पटना: जदयू के जदयू संसदीय बोर्ड राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha On Caste Census ) के नेतृत्व में बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) को लेकर आज पटना के जेपी गोलंबर से लेकर कारगिल चौक तक आभार यात्रा (JDU Abhar Yatra In Patna) निकाला गया. इस दौरान बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी (Minister Ashok Chaudhary) और खाद्य आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह (Minister Leshi Singh) भी मौजूद रहीं. बड़ी संख्या में जदयू के कार्यकर्ताओं ने बिहार में जातीय गणना करवाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को धन्यवाद दिया.
पढ़ें- जातीय जनगणना पर क्रेडिट लेने की कोशिश, JDU सीएम नीतीश के लिए निकाल रही धन्यवाद यात्रा
बोले अशोक चौधरी- 'पूरे देश में हो जातिगत जनगणना': आभार यात्रा में जदयू के कार्यकर्ताओं ने सीएम नीतीश कुमार के पक्ष में जमकर नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण ही बिहार में जातीय जनगणना संभव हो सका है. मौके पर मौजूद बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जातीय जनगणना करवाने के लिए हमारे मुख्यमंत्री ने शुरू से ही प्रयास किया था. यही कारण रहा कि बिहार के सभी दलों को उन्होंने एकजुट किया और प्रधानमंत्री से भी मिले लेकिन केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना नहीं करवाया. अंततः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार सरकार के खर्चे पर बिहार में जातीय गणना करवाने का निर्णय लिया है.
"इस निर्णय से बिहार के सभी जाति धर्म और वर्ग के लोगों को काफी फायदा मिलेगा. अब जो योजनाएं बनाई जाएंगी उससे समाज के अंतिम पायदान पर जो लोग हैं उन्हें फायदा होगा. सीएम जो निर्णय लिया है जातिगत जनगणना कराने का इसको लेकर हम पूरे प्रदेश में धन्यवाद यात्रा निकालेंगे."- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री, बिहार
'जातीय जनगणना करवाने को लेकर पूरे प्रदेश में खुशी': वहीं बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह भी इस आभार यात्रा में मौजूद रहीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री को आभार देने के लिए यह यात्रा निकाले हैं क्योंकि उन्होंने बिहार में जातीय जनगणना करवाने का निर्णय लिया है. वहीं जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा कि मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने बिहार में अपने खर्चे पर जातीय जनगणना करवाने का निर्णय लिया है. साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी से पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग एक बार फिर से की.
"नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना कराने का बड़ा निर्णय लिया है वह भी अपने खर्चे पर. इससे सभी को फायदा होगा. यह गणना बिहार के लिए बहुत जरूरी था. पूरे देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि किस जाति वर्ग की क्या स्थिति है."- लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार
"सीएम नीतीश कुमार के विशेष पहल पर ऐतिहासिक निर्णय हुआ है. सीएम की कोशिश का ही परिणाम है कि बिहार में इतना बड़ा काम हो रहा है. बिहारवासियों की ओर से हम सीएम को धन्यवाद देने के लिए आभार यात्रा निकाल रहे हैं. अगर जनगणना देश के स्तर पर होगा तो ज्यादा फायदा होगा. हमारी यह मांग प्रधानमंत्री जी के समक्ष लंबित है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड
बिहार में जातीय जनगणना : बता दें कि, बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई. फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जातीय जनगणना कराने के लिए दिशा निर्देश भी जारी (Guidelines For Caste Cencus In Bihar ) किया गया है. सभी जिले के डीएम को पत्र लिखा गया है. जाति आधारित गणना के तहत आंकड़ों का संग्रह डिजिटल मोड/ मोबाइल ऐप से किया जाना है.
2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य : दरअसल 1 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें जातीय जनगणना कराने पर सहमति बनी थी. इसके अगले दिन यानी 2 जून को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई. बैठक में फरवरी, 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. इसपर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया.
केंद्र नहीं करायेगी जातीय जणगणना : यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है. वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं. बिहार में लगभग सभी दल एकमत Ls कि प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था.