पटना(मसौढ़ी): राजधानी के धनरूआ और मसौढ़ी में मगध सम्राट जरासंध की 5223वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. चंद्रवंशी समाज के लोगों में इसके प्रति काफी उत्साह देखा गया है. धनरूआ में इस अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. धनरूआ में लोगों ने अपने इष्ट देव की आराधना की.
जरासंध की 5223वीं जयंती
धनरूआ स्थित जरासंध सरोवर तट पर स्थित इष्ट देव की चंद्रवंशी समाज के लोगों ने धूमधाम से पूजा की. पूजा के बाद लोगों ने प्रसाद का वितरण किया. बताया जाता है कि जरासंध दो माताओं के संतान थे और इनके पिता महाराज वृहद्रथ मगध के प्रथम शासक थे. जरासंध के शासनकाल में मगध ने अद्भुत तरक्की की. मगध देश के समृद्ध राज्यों में से एक था. योगेंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि इतिहास में उनके कार्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. वे इतना बलशाली थे कि भगवान श्री कृष्ण को भी उनके पराजित करने के लिए छल का सहारा लेना पड़ा था.
जयंती के मौके पर होता है भजन कीर्तन
चंद्रवंशी समाज के योगेंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि जरासंध की जयंती को लेकर 50 सालों से धनरूआ के जरासंध सरोवर के पास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर आस-पास के सैकड़ों लोग शामिल होते हैं और भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है. चंद्रवंशी समाज के लोगों ने बताया कि मगध सम्राट जरासंध भगवान शिव के बड़े भक्त थे. उनकी गाथाओं से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए. जिस तरह से महाराज जरासंध ने अपनी प्रतिभा के बल पर पूरे दुनिया में मगध का नाम रोशन किया है. उन्हीं के पद चिन्हों पर चलकर हमें उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है.