पटना : यूपी के गाजीपुर में 30 साल पुराने आचार संहिता उल्लंघन केस में पूर्व सांसद पप्पू यादव समेत 11 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शरद कुमार चौधरी की कोर्ट में पेश हुए. दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने साक्ष्य के अभाव में सभी 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया.
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पप्पू यादव समेत 11 आरोपी बरी : अभियोजन के मुताबिक मुहम्मदाबाद थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक बीएन सिंह ने 8 नवंबर 1993 को थाने में केस दर्ज कराया था. रिपोर्ट में लिखा गया था कि तब सुबह साढ़े 10 बजे बिहार के दो विधायक पप्पू यादव और उमेश पासवान अपने साथ काफी संख्या में अवांछनीय तत्वों को लेकर प्रदेश में अपने विरोधी राजनीतिक दलों को चुनावी सभावों में प्रवेश कराने जा रहे हैं.
30 साल पहले हुई थी कार्रवाई : इस सूचना के आधार पर मुहम्मदाबाद थाने के प्रभारी निरीक्षक ने उजियार घाट से आ रहे 19 गाड़ियों पर सवार लोगों को रोक दिया. इस पर लोग उग्र हो गए और वहीं धरने पर बैठ कर चक्काजाम कर दिया. इस मामले में आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज हो गया. तब से लेकर आज तक ये केस तारीख पर तारीख के बाद फैसलों तक पहुंचा. साक्ष्य के अभाव में सभी 11 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया.
संदेह का मिला 11 आरोपियों को लाभ : पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, मजय लाल राय, भरत यादव उर्फ फेकन,असरारुल हक उर्फ लाडले, शमसुल्हक ,सुकेश राय, मनोज भारती, महेश कुमार पासवान, मोती लाल, दीपक कुमार उर्फ दीपक यादव व रामनारायन के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया था. सुनवाई के दौरान अभियोजन की तरफ से कुल 6 गवाहों को पेश किया गया. सभी ने अपना बयान न्यायालय में दर्ज कराया. सोमवार को दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए सभी लोगों को दोषमुक्त कर दिया.