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पटना: किसानों के समर्थन में जन संगठनों ने किया सड़क जाम - जन संगठन का प्रदर्शन

पटना में किसानों के समर्थन में जन संगठनों ने सड़क जाम किया. प्रदर्शन कर रहे नेताओं का कहना है कि सरकारी मंडी (खरीद) समाप्त होने से किसानों के फसल की लूट बढ़ेगी और गरीबों को मिल रही खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी.

protest in patna
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Published : Dec 3, 2020, 7:37 PM IST

पटना: जमाल रोड मोड़ के पास विभिन्न जन संगठनों ने किसानों पर दमन के खिलाफ सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने देश के किसानों, खेत मजदूरों की जिंदगी को मरणासन्न करने के लिए पूंजी पतियों को मालामाल करने के इरादे से किसानों कृषि कानूनों में संशोधन कर नया कानून बना दिया है.

रोजगार पर बुरा प्रभाव
यह कानून किसानों को गुलाम बनाकर उनके खेती पर कब्जा करना चाहता है. सरकारी मंडी (खरीद) समाप्त होने से किसानों के फसल की लूट बढ़ेगी. गरीबों को मिल रही खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी. खेत मजदूरों के रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाएगी.

किसानों में काफी आक्रोश
किसान महीनों से नए जन विरोधी कानून के खिलाफ संघर्षरत हैं. मोदी सरकार किसानों के जुलूस पर पुलिसिया दमन करा रही है. जिससे किसानों में काफी आक्रोश है. आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की बात करती थी लेकिन अब कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण कर रही है.

कई कार्यकर्ता रहे मौजूद
कार्यक्रम का नेतृत्व सीटू के राज्य महासचिव गणेश शंकर सिंह, डीवाईएफआई के राज्य अध्यक्ष मनोज कुमार चंद्रवंशी, खेतिहर मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव भोला प्रसाद दिवाकर कर रहे थे. कार्यक्रम में सीटू के राज्य उपाध्यक्ष अरुण मिश्रा, खेतिहर मजदूर यूनियन के देवेन्द्र चौरसिया, सीटू के नाथुन जमादार, एसएफआई के दीपक कुमार, हेमंत कुमार शाह, किशोर, सुमन सहित अन्य मौजूद रहे.

पटना: जमाल रोड मोड़ के पास विभिन्न जन संगठनों ने किसानों पर दमन के खिलाफ सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने देश के किसानों, खेत मजदूरों की जिंदगी को मरणासन्न करने के लिए पूंजी पतियों को मालामाल करने के इरादे से किसानों कृषि कानूनों में संशोधन कर नया कानून बना दिया है.

रोजगार पर बुरा प्रभाव
यह कानून किसानों को गुलाम बनाकर उनके खेती पर कब्जा करना चाहता है. सरकारी मंडी (खरीद) समाप्त होने से किसानों के फसल की लूट बढ़ेगी. गरीबों को मिल रही खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी. खेत मजदूरों के रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाएगी.

किसानों में काफी आक्रोश
किसान महीनों से नए जन विरोधी कानून के खिलाफ संघर्षरत हैं. मोदी सरकार किसानों के जुलूस पर पुलिसिया दमन करा रही है. जिससे किसानों में काफी आक्रोश है. आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की बात करती थी लेकिन अब कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण कर रही है.

कई कार्यकर्ता रहे मौजूद
कार्यक्रम का नेतृत्व सीटू के राज्य महासचिव गणेश शंकर सिंह, डीवाईएफआई के राज्य अध्यक्ष मनोज कुमार चंद्रवंशी, खेतिहर मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव भोला प्रसाद दिवाकर कर रहे थे. कार्यक्रम में सीटू के राज्य उपाध्यक्ष अरुण मिश्रा, खेतिहर मजदूर यूनियन के देवेन्द्र चौरसिया, सीटू के नाथुन जमादार, एसएफआई के दीपक कुमार, हेमंत कुमार शाह, किशोर, सुमन सहित अन्य मौजूद रहे.

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