पटना: तेजस्वी के नीतीश सरकार गिराने के दावे के बाद बिहार में सियासी घमासान छिड़ गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने बिहार में एनडीए (Bihar NDA) सरकार अगले पांच वर्षों तक चलने का दावा करते हुए कहा है कि आरजेडी (RJD) के ही कई विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार (Nitish Government) गिराने के दावे करने वाले मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं.
RJD के कई विधायक संपर्क में: कुशवाहा
बता दें कि आरजेडी के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शुक्रवार को दावा किया था कि राज्य सरकार अगले दो से तीन महीने में सत्ता से बाहर हो जाएगी. उपेन्द्र कुशवाहा ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा कि, आरजेडी के कई विधायक उनके संपर्क में हैं. हालांकि, इससे ज्यादा उन्होंने किसी भी खुलासे से इंकार करते हुए कहा कि समय आने पर सभी लोग देखेंगे.
''बिहार के लोगों ने राजग को नीतीश कुमार के नेतृत्व को मैंडेट दिया है. अगले पांच साल में एनडीए सरकार को कोई ताकत नहीं गिरा सकती.'' - उपेन्द्र कुशवाहा, जेडीयू नेता
कुशवाहा के बाद RCP ने कहा...
उपेन्द्र कुशवाहा के बाद आरसीपी सिंह भी मैदान में कूद गए. जेडीयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने कहा कि तेजस्वी यादव की यह उम्मीद पूरी नहीं होगी. तेजस्वी को 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की तैयारी करनी चाहिए.
''तेजस्वी अपना एजेंडा लेकर लोगों के बीच जाएं. जनता को बताएं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने यह काम किया है और अगर हमें मौका मिलता है तो यह काम करेंगे. चुनाव के समय ही सरकार गिरने और बनने का फैसला होता है. जनता द्वारा दिए गए बहुमत से एनडीए की सरकार बनी है. तेजस्वी को सरकार गिरने के लिए चुनाव तक इंतजार करना होगा." - आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू
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तेजस्वी ने राघोपुर में क्या कहा था?
दरअसल, शुक्रवार को तेजस्वी अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर पहुंचे थे और समस्याओं को सुन रहे थे. जब लोगों ने समस्याओं के समाधान की बात की, तब उन्होंने लोगों को समझाने के अंदाज में कहा कि दो से तीन महीने में यह सरकार गिरने वाली है.
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तेजस्वी के दावों के पीछे की वजह?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर किस आधार पर तेजस्वी यादव ने यह बयान दिया है. क्या अंदरखाने कोई खिचड़ी पक रही है. असल में हाल के दिनों में जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को लेकर चर्चा है कि वे एनडीए में बहुत खुश नहीं हैं. दोनों ने अपने बयानों से कई बार गठबंधन के सामने असहज स्थिति भी पैदा कर दी. वहीं, लालू यादव को जमानत मिलने के बाद जिस तरह से मांझी और सहनी ने गर्मजोशी से स्वागत किया और ये भी कहा कि लालू जब पटना आएंगे तो जरूर मिलकर उनका हाल-चाल जानेंगे. उससे ये अटकलें लगने लगी हैं कि दोनों आरजेडी के संपर्क में हैं.
मांझी से मिले थे तेजप्रताप
याद करिए, लालू यादव के जन्मदिन पर किस तरह से तेजप्रताप यादव अचानक मांझी से मिलने उनके घर पहुंच गए थे. वहां फोन पर उन्होंने मांझी की लालू से बात भी करवाई थी. जिसके बाद इन कयासों को और बल मिल गया कि जरूरत पड़ी तो मांझी साथ आ सकते हैं. वैसे भी एनडीए में को-ऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग कर मांझी ने कहीं न कहीं अलग होने की भूमिका बनानी शुरू कर दी है. को-ऑर्डिनेशन कमिटी की मांग को लेकर ही मांझी ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था.
विधानसभा का गणित?
वैसे 243 (एक सीट खाली रखने के कारण फिलहाल 242) सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी-74, जेडीयू-44, हम- 4, वीआईपी-4 और एक निर्दलीय समेत एनडीए के पास 126 विधायक हैं. जबकि महागठबंधन के विधायकों की संख्या 110 है. जिनमें आरजेडी-75, कांग्रेस-19 और वाम दल के 16 एमएलए हैं. वहीं एमआईएमआईएम के 5 विधायक हैं.
ऐसे बन सकती है बात!
अगर मांझी और सहनी एनडीए छोड़कर विरोधी खेमे में आ जाते हैं तो महागठबंधन का संख्या बल 110 से बढ़कर 118 हो जाएगा. उधर ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान पहले ही कह चुके हैं, वैसी कोई परिस्थिति बनी तो वे नई सरकार को समर्थन दे सकते हैं. इस तरह से तेजस्वी बहुमत का आंकड़ा छू लेंगे. अर्थात 123 विधायकों के साथ वे नई सरकार बना सकते हैं. हालांकि सहनी और मांझी अपनी नाराजगी के बावजूद एनडीए में बने रहने की भी बात करते रहते हैं.