पटना: बिहार में अब विद्यालय से बाहर के बच्चों (School Dropouts Children Of Bihar) का भी रिकार्ड तैयार किया जा रहा है. दरअसल शिक्षा विभाग स्कूल से बाहर के बच्चों के भी आंकड़ें अब उपलब्ध कराएगा. बिहार के सरकारी स्कूलों में अब तक नामांकन नहीं लेने वाले या किसी वजह से स्कूल छोड़ चुके बच्चों के पूरे आंकड़े उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है.
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इसके लिए पिछले महीने घर-घर सर्वे का काम हुआ और अब बिहार शिक्षा परियोजना (Bihar Education Project) ने निर्देश दिया है कि, सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को बेस्ट ऐप (Bihar Easy School Tracking) के जरिए स्कूल से बाहर पाए गए बच्चों के पूरे आंकड़े की एंट्री 15 दिसंबर तक कर लेना है. बिहार के सभी जिलों में पिछले महीने विशेष अभियान के तहत स्कूल से बाहर होने वाले बच्चों की पहचान की गई. इस दौरान सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को घर-घर सर्वे के दौरान विद्यालय से बाहर रह गए बच्चों से संबंधित आंकड़ों की प्रविष्टि, बेस्ट ऐप पर दर्ज करने का निर्देश दिया है.
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बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि, 15 दिसंबर तक बेस्ट ऐप (Children Of Bihar On The Best App) के जरिए सभी जिलों को स्कूल से बाहर आए बच्चों के आंकड़ों की एंट्री कर लेना है. श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि, सभी जिलों में विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वे 30 नवंबर तक पूरा हो चुका है.
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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के निर्देश पर घर-घर सर्वे का काम पूरे राज्य में कराया गया. इस दौरान विद्यालय से बाहर रहने वाले या बीच में पढ़ाई छोड़ चुके या अब तक स्कूल में नामांकन नहीं कराने वाले 6 से 18 साल के बच्चों की पहचान कर उन्हें स्कूलों में अपनी उम्र के सापेक्ष दाखिला कराना था. बिहार शिक्षा परियोजना निदेशक ने सभी जिलों को बेस्ट ऐप में एंट्री दर्ज करने के लिए कहा है.
इसके लिए गूगल प्ले स्टोर से बेस्ट ऐप को डाउनलोड करना है और उसमें विद्यालय का लॉग इन आईडी ही विद्यालय का यू डाइस कोड है. उस विद्यालय का यू डाइस कोड ही उसका पासवर्ड भी है. इसके अलावा सभी जिलों को ऑफ लाइन मोड में भी आंकड़े, बिहार शिक्षा परियोजना को उपलब्ध कराने हैं.
इस सर्वेक्षण के जरिए ना सिर्फ सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ेगा बल्कि, साक्षरता दर बढ़ेगी और किसी कारणवश पढ़ाई नहीं करने वाले या पारिवारिक दबाव में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को भी पढ़ने का मौका मिलेगा.
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