पटना: कोरोना महामारी और आगामी चुनाव दोनों के बीच प्रवासी मजदूरों का मुद्दा जितना महत्वपूर्ण है, उतनी ही गंभीर इनकी समस्या भी है. इसको देखते हुए सरकार की तरफ से अहम कदम उठाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सरकार प्रवासी मजदूरों के श्रम शक्ति को ताकत बनाना चाहती है.
उद्योगपतियों को 80% भाड़ा देगी सरकार
प्रवासी मजदूरों के दबाव के कारण बिहार सरकार ने लंबे समय से लंबित औद्योगिक नीति को मंजूरी दे दी है. उद्योग जगत के लोग सरकार के फैसले से खुश हैं. वहीं फैसला लिया गया है कि बाहर से आने वाले उद्योगपतियों को 80% भाड़ा सरकार देगी.
कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 30 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार लौट चुके हैं. ऐसे में बिहार कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में 24 प्रस्तावों को मंजूरी मिली. नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया. कोरोना की वजह से करीब तीन महीने तक बंद रहे औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को सरकार ने बड़ी राहत दी है. औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को लॉकडाउन अवधि का फिक्स ऊर्जा शुल्क नहीं देना होगा. इस फैसले से राज्य के लाखों औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी.
उठ रही थी संशोधन की मांग
इस समय उद्योग जगत के साथ कदमताल मिलाने की कोशिश की जा रही है, इसलिए नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दे दी गई है. लंबे समय से उद्योग जगत के लोग संशोधन की मांग भी कर रहे थे. लालफीताशाही को खत्म करने के लिए भी सरकार की ओर से ठोस कदम उठाए गए हैं. अधिकारियों को निश्चित समय सीमा के भीतर फाइलों का निपटारा करना होगा.
20% प्रवासियों को रोजगार की शर्त
उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा कि बिहार के बाहर के जो भी उद्योगपति बिहार में उद्योग लगाएंगे, उन्हें 80% भाड़ा बिहार सरकार देगी. बिहार में उद्योग लगाने के लिए बिहार सरकार कई तरह की सुविधाएं देने जा रही है. लेकिन शर्त यह है कि 20% प्रवासी मजदूरों को कंपनियों को रोजगार देना होगा.
कैपिटल सब्सिडी की मांग
बिहार सरकार के फैसले से उद्योग जगत में भी उत्साह है. चर्चित उद्योगपति केपीएस केसरी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिले इसके लिए सरकार ने पहल की है. सरकार के फैसले का उद्योग जगत स्वागत करता है. केपीएस केसरी ने कहा कि हम लोगों ने सरकार से मांग की थी कि कंपनियों को कैपिटल सब्सिडी मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया.