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पालतू कुत्ते हो रहे डायबिटीज, किडनी और हार्ट की बीमारी के शिकार, जानें क्यों? - DOG HEALTH RISKS

बिहार में पालतू कुत्ते डायबिटीज, किडनी और हार्ट की बीमारी के शिकार हो रहे हैं. क्या है इसका कारण और कैसे करें बचाव, जानें.

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बिहार में कुत्तों को डायबिटीज और हार्ट अटैक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 14 hours ago

पटना: यदि आप विदेशी नस्ल का कुत्ता पाले हुए हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि अब इंसानों के बाद जानवरों में भी डायबिटीज किडनी और हार्ट संबंधी बीमारी बढ़ने लगी है. पटना के वेटनरी कॉलेज अस्पताल में इस तरह की बीमारी को लेकर अपने कुत्तों को इलाज कराने वाले लोग प्रतिदिन आने लगे हैं. स्थिति ऐसी हो गई है कि इन बीमारियों के कारण पालतू कुत्तों की मौत भी होने लगी है.

विदेशी नस्ल के कुत्ते प्रभावित: कहावत है कि स्वस्थ रहने के लिए दैनिक दिनचर्या बदलना पड़ता है. यह नियम इंसानों पर नहीं जानवरों पर भी लागू होता है. खानपान एवं दिनचर्या में लापरवाही के कारण लोगों को डायबिटीज किडनी एवं हार्ट के जैसी बीमारी होती है. अब यही बीमारी विदेशी नस्ल के बड़े पालतू कुत्तों में आम तौर पर देखने को मिलने लगा है.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

लीवर की बीमारी से परेशान: पटना के एन कॉलेज के पास रहने वाले राजन अपना लेब्रा डॉग (ब्रोनी) लेकर पटना वेटनरी कॉलेज में हर सप्ताह इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं. राजन ने 8000 रुपये में आज से 4 साल पहले लेब्रा डॉग लिया था. घर में अपने दोस्त की तरह इसको पाला. महीने के ढाई से तीन हजार रु इसकी देख रेख पर खर्च होता है. सब कुछ ठीक था लेकिन 2 महीने पहले उसके कुत्ते की तबीयत खराब हुई.

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बिहार में पालतू कुत्तों में डायबिटीज (ETV Bharat)

"2 महीने पहले ब्रोनी की तबीयत खराब हुई. एक हफ्ते से खाना कम कर दिया था. चिंता हुई तो वेटरनरी डॉक्टर से दिखाएं तो पता चला कि फीवर है. फीवर का इलाज करवाया, लेकिन उससे ज्यादा रिलीफ नहीं मिला. जांच करवाई तो पता चला कि लिवर में इंफेक्शन हो गया है. अब हर हफ्ते पटना वेटनरी कॉलेज स्थित अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.- राजन कुमार, स्थानीय निवासी

किडनी की बीमारी से मौत: पटना के बोरिंग रोड नागेश्वर कॉलोनी के रहने वाले हर्ष कुमार बड़े ही शौक से लेब्रा डॉग खरीद के लाए थे. घर में सारे लोगों से प्यार से सैम के नाम से पुकारते थे. 3 साल में वह घर के लोगों से इतना घुल मिल गया कि परिवार का एक सदस्य बन गया. अचानक उसकी तबीयत खराब हुई. पटना के ही डॉ अजीत के पास ले जाकर दिखवाया ढेर सारा टेस्ट हुआ.

बिहार में पालतू कुत्ते हो रहे डायबिटीज के शिकार (ETV Bharat)

"सैम कुछ दिनों से अच्छे से नहीं खा रहा था. डॉक्टर से दिखाएं ढेर सारा टेस्ट हुआ. बहुत दिनों तक इलाज चला लेकिन बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो रहा था. बाद में पता चला कि कुत्ते का किडनी खराब हो गया है. सैम के इलाज के पीछे 60 हजार रु खर्च किया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मेरे सैम की मौत हो गई."- हर्ष कुमार, नागेश्वर कॉलोनी निवासी

प्रतिदिन आ रहे मामले: हार्टअटैक, किडनी और डायबिटीज से पीड़ित पालतू कुत्तों को लेकर लोग पटना वेटरनरी कॉलेज में प्रतिदिन दिखाई दे रहे हैं. पटना वेटनरी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि ऐसी बीमारियों को लेकर हर महीने 700 से 800 लोग अपने पालतू डॉग को लेकर आ रहे हैं. इन पालतू डॉगी में बुखार, डायरिया से लेकर डायबिटीज, किडनी और हार्ट डिजीज का मामला सामने आता है.

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विदेशी नस्ल के कुत्ते प्रभावित (ETV Bharat)

कुत्तों में संक्रमण का भय: पटना वेटनरी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि आमतौर पर विदेशी नस्ल के वजनदार कुत्ते जिनका वेट बहुत ज्यादा है, वह इन डिजीज से प्रभावित होते हैं. जर्मन शेफर्ड, लेब्रा डॉग, सेंट बर्नार्ड, बर्नीज़ माउंटेन डॉग, पिटबुल, ब्लैक रशियन टेरियर, नेपोलिटन मस्टिफ, लियोन बर्गर जैसी नस्ल के कुत्तों में इस तरीके की क्रॉनिक डिजीज का खतरा रहता है.

बीमारी का कारण: डॉ भावना ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस तरीके की बीमारी पहले लोगों में भी नहीं थी लेकिन लाइफस्टाइल के कारण लोगों में भी यह बीमारियां बढ़ने लगी है. यही चीज जानवरों में भी है. देसी कुत्ते को कोई भी पालना पसंद नहीं करता है. अच्छे-अच्छे नस्ल के कुत्ते बाहर से मंगवाकर पालने का प्रचलन बढ़ गया है.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

लाइफ स्टाइल से परेशानी: डायबिटीज हार्ट एवं किडनी जैसे रोग होने का मुख्य कारण यह है कि यह विदेशी नस्ल के कुत्ते यहां के वातावरण के हिसाब से अपने आप को फिट नहीं रख पा रहे हैं. कुछ कुत्तों के बाल बहुत बड़े-बड़े होते हैं जिन्हें यहां की गर्मी सहन नहीं हो पाती।. इसके अलावा कुत्तों के लाइफस्टाइल भी उनको बीमार बना रहे हैं.

खानपान बीमारी की वजह: पटना वेटनरी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि जो लोग शौक से कुत्ता पाल रहे हैं, वह अपने कुत्तों को जंक फूड भी खिलाने लगे हैं जैसे कुरकुरे पिज्जा चॉकलेट आइसक्रीम. यह सब चीज इन पालतू कुत्तों के लिए नहीं बनी हुई है. यही कारण है कि कुत्तों का वजन भी अब बढ़ने लगा है.

"जंक फूड और अन्य फैटी लिवर वाले प्रोडक्ट खिलाने के कारण कुत्तों का वजन बढ़ रहा है. यही कारण है कि किडनी जो ब्लड को साफ करती है इससे संबंधित बीमारी पालतू विदेशी नस्ल के कुत्तों में देखने को मिल रहे हैं."- डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

सावधानी बरतनी की जरूरत: डॉ भावना ने बताया कि पालतू कुत्तों को समय पर वैक्सीनेशन दिलवाना जरूरी है. जानवरों में एनुअल बूस्टर समय पर लगवा कर बहुत सारी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. अपनी मर्जी का खाना कभी भी पालतू कुत्तों को नहीं खिलाना चाहिए. बहुत सारे लोग अपने पालतू कुत्तों को टॉफी खिला देते हैं जो उनके लिए जहर के समान है.

"लेब्रा डॉग को जितना खाना दीजिएगा वह खा लेगा, लेकिन अपने पालतू डॉगी को डाइट चार्ट के हिसाब से खाना खिलाना चाहिए. एवरेज 25 किलो तक के कुत्तों को तीन टाइम खाना खिलाना चाहिए. सुबह दो रोटी दिन के खाने में दो रोटी और रात के खाने में उसी के अनुरूप खाना देना चाहिए. बॉयल्ड चिकन कभी भी कच्चा और मसालेदार खाना अपने डॉग को नहीं खिलाना चाहिए."- डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

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सुबह शाम कुत्ते को एक-एक घंटे कराएं वॉकिंग (ETV Bharat)

कुत्तों में बढ़ते वजन की समस्या: आमतौर पर देखा जाता है कि देसी कुत्ते का वजन एवरेज 15 से 25 किलो तक का होता है. लेकिन विदेशी नस्ल के कई ऐसे डॉग होते हैं जिनका वजन 100 से 200 पाउंड तक होता है. जर्मन शेफर्ड, लेब्राडॉग, पिटबुल, ज़ोरबा, इंग्लिश मास्टिफ़ जैसे जानवरों का वजन ज्यादा होता है और उनको फिजिकल वर्कआउट नहीं करवाया जाता है. इस कारण उनका वजन धीरे-धीरे और बढ़ने लगता है.

'जरूर कराएं वॉकिंग': डॉ भावना ने बताया कि आम आदमी की तरह जानवरों को भी फिजिकल वर्कआउट की जरूरत होती है. सुबह और शाम एक-एक घंटे का वॉकिंग सही रहता है, लेकिन 1 घंटे का वॉकिंग जानवरों के लिए बोरिंग हो सकता है इसीलिए उनको अपने घर के छतों पर या किसी पार्क में कुछ देर ऐसा वर्कआउट करवाएं, जिससे उनका शरीर कुछ देर के लिए एक्टिव रहे.

बीमारी का लक्षण: पालतू कुत्ते को यदि डायबिटीज हो गया है तो उसका लक्षण शुरू से ही आदमी के लक्षण के जैसा ही दिखने लगता है. डॉ भावना ने बताया कि जिन कुत्तों में यह बीमारी होती है उसका लक्षण सबसे पहले यह दिखाता है कि उसको भूख ज्यादा लगती है. बहुत ज्यादा पेशाब होता है. पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा रहने के कारण यदि पालतू कुत्ता अपने पेशाब को चाटने लगे या उनके पेशाब वाले जगह पर चींटी दिखाई दे तो समझ जाइए कि आपके डॉगी को डायबिटीज की बीमारी हो गई है.

"जिन जानवरों में इस तरीके का लक्षण दिखे तुरंत वेटनरी के डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि आप बहुत ही प्यार से उसे पालते हैं तो उसका प्रॉपर ट्रीटमेंट होना चाहिए. इनके इलाज में खर्चा कुछ अधिक आता है." डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

देसी कुत्ते में बीमारी नहीं: देसी कुत्तों में इस तरह की बीमारी नहीं पाई जाती है. इसका मुख्य कारण है कि उनको जंक फूड या अन्य घरेलू खाना नसीब नहीं होता. वह वैसे खाना खाकर अपना जीवन पालते हैं जो सड़कों पर फेंका गया हो या लोगों के द्वारा दे दिया जाता हो. इसके अलावा देसी कुत्ते दिन भर सड़कों पर दौड़ते रहते हैं. इससे उनका फिजिकल वर्कआउट हो जाता है.

कुत्तों की औसत उम्र: कुत्ते की औसत आयु नस्ल, आकार, और कुत्ते के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. आम तौर पर कुत्तों की औसत आयु 10 से 13 साल होती है, लेकिन देसी और छोटी नस्ल के कुत्ते ज़्यादा समय तक जीवित रहते हैं, जबकि बड़े एवं वजनदार विदेशी नस्ल के कुत्तों का जीवनकाल कम होता है.

पटना: यदि आप विदेशी नस्ल का कुत्ता पाले हुए हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि अब इंसानों के बाद जानवरों में भी डायबिटीज किडनी और हार्ट संबंधी बीमारी बढ़ने लगी है. पटना के वेटनरी कॉलेज अस्पताल में इस तरह की बीमारी को लेकर अपने कुत्तों को इलाज कराने वाले लोग प्रतिदिन आने लगे हैं. स्थिति ऐसी हो गई है कि इन बीमारियों के कारण पालतू कुत्तों की मौत भी होने लगी है.

विदेशी नस्ल के कुत्ते प्रभावित: कहावत है कि स्वस्थ रहने के लिए दैनिक दिनचर्या बदलना पड़ता है. यह नियम इंसानों पर नहीं जानवरों पर भी लागू होता है. खानपान एवं दिनचर्या में लापरवाही के कारण लोगों को डायबिटीज किडनी एवं हार्ट के जैसी बीमारी होती है. अब यही बीमारी विदेशी नस्ल के बड़े पालतू कुत्तों में आम तौर पर देखने को मिलने लगा है.

dog health risks
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

लीवर की बीमारी से परेशान: पटना के एन कॉलेज के पास रहने वाले राजन अपना लेब्रा डॉग (ब्रोनी) लेकर पटना वेटनरी कॉलेज में हर सप्ताह इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं. राजन ने 8000 रुपये में आज से 4 साल पहले लेब्रा डॉग लिया था. घर में अपने दोस्त की तरह इसको पाला. महीने के ढाई से तीन हजार रु इसकी देख रेख पर खर्च होता है. सब कुछ ठीक था लेकिन 2 महीने पहले उसके कुत्ते की तबीयत खराब हुई.

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बिहार में पालतू कुत्तों में डायबिटीज (ETV Bharat)

"2 महीने पहले ब्रोनी की तबीयत खराब हुई. एक हफ्ते से खाना कम कर दिया था. चिंता हुई तो वेटरनरी डॉक्टर से दिखाएं तो पता चला कि फीवर है. फीवर का इलाज करवाया, लेकिन उससे ज्यादा रिलीफ नहीं मिला. जांच करवाई तो पता चला कि लिवर में इंफेक्शन हो गया है. अब हर हफ्ते पटना वेटनरी कॉलेज स्थित अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.- राजन कुमार, स्थानीय निवासी

किडनी की बीमारी से मौत: पटना के बोरिंग रोड नागेश्वर कॉलोनी के रहने वाले हर्ष कुमार बड़े ही शौक से लेब्रा डॉग खरीद के लाए थे. घर में सारे लोगों से प्यार से सैम के नाम से पुकारते थे. 3 साल में वह घर के लोगों से इतना घुल मिल गया कि परिवार का एक सदस्य बन गया. अचानक उसकी तबीयत खराब हुई. पटना के ही डॉ अजीत के पास ले जाकर दिखवाया ढेर सारा टेस्ट हुआ.

बिहार में पालतू कुत्ते हो रहे डायबिटीज के शिकार (ETV Bharat)

"सैम कुछ दिनों से अच्छे से नहीं खा रहा था. डॉक्टर से दिखाएं ढेर सारा टेस्ट हुआ. बहुत दिनों तक इलाज चला लेकिन बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो रहा था. बाद में पता चला कि कुत्ते का किडनी खराब हो गया है. सैम के इलाज के पीछे 60 हजार रु खर्च किया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मेरे सैम की मौत हो गई."- हर्ष कुमार, नागेश्वर कॉलोनी निवासी

प्रतिदिन आ रहे मामले: हार्टअटैक, किडनी और डायबिटीज से पीड़ित पालतू कुत्तों को लेकर लोग पटना वेटरनरी कॉलेज में प्रतिदिन दिखाई दे रहे हैं. पटना वेटनरी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि ऐसी बीमारियों को लेकर हर महीने 700 से 800 लोग अपने पालतू डॉग को लेकर आ रहे हैं. इन पालतू डॉगी में बुखार, डायरिया से लेकर डायबिटीज, किडनी और हार्ट डिजीज का मामला सामने आता है.

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विदेशी नस्ल के कुत्ते प्रभावित (ETV Bharat)

कुत्तों में संक्रमण का भय: पटना वेटनरी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि आमतौर पर विदेशी नस्ल के वजनदार कुत्ते जिनका वेट बहुत ज्यादा है, वह इन डिजीज से प्रभावित होते हैं. जर्मन शेफर्ड, लेब्रा डॉग, सेंट बर्नार्ड, बर्नीज़ माउंटेन डॉग, पिटबुल, ब्लैक रशियन टेरियर, नेपोलिटन मस्टिफ, लियोन बर्गर जैसी नस्ल के कुत्तों में इस तरीके की क्रॉनिक डिजीज का खतरा रहता है.

बीमारी का कारण: डॉ भावना ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस तरीके की बीमारी पहले लोगों में भी नहीं थी लेकिन लाइफस्टाइल के कारण लोगों में भी यह बीमारियां बढ़ने लगी है. यही चीज जानवरों में भी है. देसी कुत्ते को कोई भी पालना पसंद नहीं करता है. अच्छे-अच्छे नस्ल के कुत्ते बाहर से मंगवाकर पालने का प्रचलन बढ़ गया है.

dog health risks
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

लाइफ स्टाइल से परेशानी: डायबिटीज हार्ट एवं किडनी जैसे रोग होने का मुख्य कारण यह है कि यह विदेशी नस्ल के कुत्ते यहां के वातावरण के हिसाब से अपने आप को फिट नहीं रख पा रहे हैं. कुछ कुत्तों के बाल बहुत बड़े-बड़े होते हैं जिन्हें यहां की गर्मी सहन नहीं हो पाती।. इसके अलावा कुत्तों के लाइफस्टाइल भी उनको बीमार बना रहे हैं.

खानपान बीमारी की वजह: पटना वेटनरी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ भावना ने बताया कि जो लोग शौक से कुत्ता पाल रहे हैं, वह अपने कुत्तों को जंक फूड भी खिलाने लगे हैं जैसे कुरकुरे पिज्जा चॉकलेट आइसक्रीम. यह सब चीज इन पालतू कुत्तों के लिए नहीं बनी हुई है. यही कारण है कि कुत्तों का वजन भी अब बढ़ने लगा है.

"जंक फूड और अन्य फैटी लिवर वाले प्रोडक्ट खिलाने के कारण कुत्तों का वजन बढ़ रहा है. यही कारण है कि किडनी जो ब्लड को साफ करती है इससे संबंधित बीमारी पालतू विदेशी नस्ल के कुत्तों में देखने को मिल रहे हैं."- डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

सावधानी बरतनी की जरूरत: डॉ भावना ने बताया कि पालतू कुत्तों को समय पर वैक्सीनेशन दिलवाना जरूरी है. जानवरों में एनुअल बूस्टर समय पर लगवा कर बहुत सारी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. अपनी मर्जी का खाना कभी भी पालतू कुत्तों को नहीं खिलाना चाहिए. बहुत सारे लोग अपने पालतू कुत्तों को टॉफी खिला देते हैं जो उनके लिए जहर के समान है.

"लेब्रा डॉग को जितना खाना दीजिएगा वह खा लेगा, लेकिन अपने पालतू डॉगी को डाइट चार्ट के हिसाब से खाना खिलाना चाहिए. एवरेज 25 किलो तक के कुत्तों को तीन टाइम खाना खिलाना चाहिए. सुबह दो रोटी दिन के खाने में दो रोटी और रात के खाने में उसी के अनुरूप खाना देना चाहिए. बॉयल्ड चिकन कभी भी कच्चा और मसालेदार खाना अपने डॉग को नहीं खिलाना चाहिए."- डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

dog health risks
सुबह शाम कुत्ते को एक-एक घंटे कराएं वॉकिंग (ETV Bharat)

कुत्तों में बढ़ते वजन की समस्या: आमतौर पर देखा जाता है कि देसी कुत्ते का वजन एवरेज 15 से 25 किलो तक का होता है. लेकिन विदेशी नस्ल के कई ऐसे डॉग होते हैं जिनका वजन 100 से 200 पाउंड तक होता है. जर्मन शेफर्ड, लेब्राडॉग, पिटबुल, ज़ोरबा, इंग्लिश मास्टिफ़ जैसे जानवरों का वजन ज्यादा होता है और उनको फिजिकल वर्कआउट नहीं करवाया जाता है. इस कारण उनका वजन धीरे-धीरे और बढ़ने लगता है.

'जरूर कराएं वॉकिंग': डॉ भावना ने बताया कि आम आदमी की तरह जानवरों को भी फिजिकल वर्कआउट की जरूरत होती है. सुबह और शाम एक-एक घंटे का वॉकिंग सही रहता है, लेकिन 1 घंटे का वॉकिंग जानवरों के लिए बोरिंग हो सकता है इसीलिए उनको अपने घर के छतों पर या किसी पार्क में कुछ देर ऐसा वर्कआउट करवाएं, जिससे उनका शरीर कुछ देर के लिए एक्टिव रहे.

बीमारी का लक्षण: पालतू कुत्ते को यदि डायबिटीज हो गया है तो उसका लक्षण शुरू से ही आदमी के लक्षण के जैसा ही दिखने लगता है. डॉ भावना ने बताया कि जिन कुत्तों में यह बीमारी होती है उसका लक्षण सबसे पहले यह दिखाता है कि उसको भूख ज्यादा लगती है. बहुत ज्यादा पेशाब होता है. पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा रहने के कारण यदि पालतू कुत्ता अपने पेशाब को चाटने लगे या उनके पेशाब वाले जगह पर चींटी दिखाई दे तो समझ जाइए कि आपके डॉगी को डायबिटीज की बीमारी हो गई है.

"जिन जानवरों में इस तरीके का लक्षण दिखे तुरंत वेटनरी के डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि आप बहुत ही प्यार से उसे पालते हैं तो उसका प्रॉपर ट्रीटमेंट होना चाहिए. इनके इलाज में खर्चा कुछ अधिक आता है." डॉ भावना, असिस्टेंट प्रोफेसर, वेटनरी कॉलेज पटना

देसी कुत्ते में बीमारी नहीं: देसी कुत्तों में इस तरह की बीमारी नहीं पाई जाती है. इसका मुख्य कारण है कि उनको जंक फूड या अन्य घरेलू खाना नसीब नहीं होता. वह वैसे खाना खाकर अपना जीवन पालते हैं जो सड़कों पर फेंका गया हो या लोगों के द्वारा दे दिया जाता हो. इसके अलावा देसी कुत्ते दिन भर सड़कों पर दौड़ते रहते हैं. इससे उनका फिजिकल वर्कआउट हो जाता है.

कुत्तों की औसत उम्र: कुत्ते की औसत आयु नस्ल, आकार, और कुत्ते के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. आम तौर पर कुत्तों की औसत आयु 10 से 13 साल होती है, लेकिन देसी और छोटी नस्ल के कुत्ते ज़्यादा समय तक जीवित रहते हैं, जबकि बड़े एवं वजनदार विदेशी नस्ल के कुत्तों का जीवनकाल कम होता है.

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