ETV Bharat / state

'पदयात्रा से चुनाव तक', बिहार की राजनीतिक इतिहास में नयी पार्टी जुड़ी, नया साल में क्या करेंगे PK? - BIHAR YEAR ENDER 2024

साल 2024 में बिहार की राजनीतिक में बड़े-बड़े बदलाव हुए. राज्य की सबसे बड़ी पार्टी RJD-JDU के अलावे एक और पार्टी जन सुराज जुड़ी.

Bihar Year Ender 2024
जन सुराज (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 16 hours ago

पटना: बिहार की राजनीति में अब तक राजद-जदयू में तो कभी राजद-जदयू का बीजेपी से मुकाबला रहा है. साल 2024 में राजनीतिक इतिहास में एक और नयी पार्टी जुड़ गयी. पदयात्रा से पहचान बनाने वाला जन सुराज अभियान अब एक राजनीतिक पार्टी है. कभी चुनावी रणनीतिकार से पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर इस पार्टी के कर्ता-धर्ता हैं.

कौन हैं प्रशांत किशोर?: पार्टी के बारे में बात करने से पहले हमलोग प्रशांत किशोर को जानेंगे. प्रशांत एक ऐसे नेता बनकर उभरे हैं जिनकी चर्चा बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है. बड़े-बड़े चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से लोहा मानते हैं. आईए जानते हैं कि एक चुनावी रणनीतिकार से प्रशांत किशोर जन सुराज के संस्थापक कैसे बन गए? 2025 में इनकी पार्टी कितनी सफल रहेगी?

साल 2024 में पार्टी बनी जन सुराज को लेकर विशेषज्ञ की राय (ETV Bharat)

यूनाइटेड नेशंस के लिए काम किए: प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के सासाराम निवासी हैं. पिताजी पेशे से डॉक्टर थे. बचपन बक्सर जिला में बीता प्रारंभिक शिक्षा बक्सर में ही पूरी की. इंटर और स्नातक की पढ़ाई पटना साइंस कॉलेज से करने के बाद हैदराबाद चले गए और वहां से इंजीन‍ियरिंग और पब्‍लि‍क हेल्‍थ पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई के बाद पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के तौर पर यूनाइटेड नेशंस के लिए काम किया. पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई थी.

चुनावी रणनीतिकार का पहला कदम: प्रशांत किशोर यही नहीं रुके. पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के तौर पर काम करने के दौरान राजनीतिक पार्टियों से संपर्क में रहे. एक मीडिया में दिए इंटरव्यू में बताते हैं कि पहली बार साल 2011 में उन्होंने बीजेपी से संपर्क किया. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए रणनीति बनायी. इसका रिजल्ट रहा है कि 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी और नरेंद्र मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.

Prashant Kishor
कौन हैं प्रशांत किशोर (ETV Bharat GFX)

मसहूर रणनीतिकार बने: गुजरात सफलता के बाद बीजेपी से नजदीकी बढ़ गयी. फिर इन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव जीतने में मदद की. पार्टी देश में पूर्ण बहुमत के साथ आई. इसके बाद प्रशांत किशोर की चर्चा पूरे देश में होने लगी. किशोर बताते हैं कि कई राजनीतिक दलों से उनकी बात हुई और कई के लिए उन्होंने चुनावी रणनीतिक बनायी. हालांकि इस दौरान बीजेपी से दूरी बनने लगी.

I-PAC गठन: साल 2014 में प्रशांत किशोर ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) का गठन किया, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है. यह संस्थान विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चुनाव की रणनीति बनाने, जनसंपर्क और कैंपन का जिम्मा लेता है. इस संस्थान के माध्यम से इन्होंने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बंगाल, पंजाब आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव में काम किया.

Prashant Kishor
चुनावी रणनीतिकार का सफर (ETV Bharat GFX)

नीतीश कुमार से रिस्ता: प्रशांक किशोर इंटरव्यू में बताते हैं कि 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के साथ जुड़े. महागठबंधन बनाने में इनकी भूमिका अहम थी. 2015 महागठबंधन ने बाहरी जीत दर्ज की. बीजेपी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को योजना और कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए अपना सलाहकार नियुक्त किया. बाद में पार्टी में शामिल कर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया.

बीजेपी के कारण जदयू से दूर: 2018 में आधिकारिक तौर पर जेडीयू में शामिल हुए. हालांकि अंदरूनी लड़ाई के कारण प्रशांत किशोर अघोषित रूप से पार्टी में नंबर 2 माने जाने लगे. इसी बीच 2020 में नीतीश कुमार फिर से NDA के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया. उसी समय से प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार की दूरी बढ़ने लगी. जनवरी 2020 में प्रशांत किशोर को जदयू से निष्कासित कर दिया गया. 2 वर्ष के भीतर ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी.

Prashant Kishor
प्रशांत किशोर की राजनीतिक में एंट्री (ETV Bharat GFX)

कई राज्यों की पार्टी के लिए काम किए: 2015-2018 के बीच इन्होंने 2017 में उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में टीएमसी के लिए काम किए. 2019 में आंध्रप्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और 2020 में तमिलनाडु में स्टालिन के लिए पंजाब में कांग्रेस के लिए काम किए. इन सभी राज्यों में जिस पार्टी के लिए काम किए उनती जीत हुई. इससे प्रशांत किशोर का कद बढ़ता गया.

बिहार के लिए कुछ करने की तमन्ना: प्रशांत किशोर बताते हैं कि एक मसहूर चुनावी रणनीतिकार बनने के बाद अहसास हुआ है कि उन्हें बिहार के लिए कुछ करना चाहिए. उन्होंने चुनावी रणनीति बनाने का काम छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया भी था कि I-PAC छोड़ दिए हैं. अब इस कंपनी से इनका कोई लेना देना नहीं है. लेकिन इस बात को मानते हैं कि इस कंपनी की टीम से वे काम लेते हैं.

पदयात्रा की शुरुआत: प्रशांत किशोर ने फैसला किया कि वे बिहार को 10 साल देंगे. इसके बाद उन्होंने जनसुराज अभियान का गठन किया. महात्मा गांधी से प्रेरित इस संगठन का नेतृत्व करते हुए प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2022 से चंपारण से पदयात्रा की शुरुआत की. महात्मा गांधी ने भी 1917 में इसी जगह से चंपारण यात्रा की शुरुआत की थी.

प्रशांत किशोर का लक्ष्य: साल 2022 से अब तक प्रशांत किशोर 19 जिले में पदयात्रा कर चुके हैं. पिछले दो साल के दौरान प्रशांत किशोर ने लगभग 5 हजार किमी की पदयात्रा की है. 5500 से अधिक गांवों में पैदल चलकर बिहार के लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को सरकार चुनने के लिए दायित्व का बोध कराना है. बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन आदि को मुद्दा बनाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

New Party Jan Suraj
जन सुराज पार्टी का गठन (ETV Bharat GFX)

राजनीतिक विकल्प बनाया: 2 वर्षों की पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर घोषणा करते हैं कि बिहार में नए राजनीतिक विकल्प होना चाहिए. ऐसा इसलिए कि हर साल देखा जा रहा है कि सरकार किसी गठबंधन का बने बात घूम फिरकर जदयू और राजद पर अटक जाती है. जनता के बीच कोई विकल्प नहीं है. सरकार एनडीए का हो या महागठबंधन का वही नेता और वही सीएम रहते हैं.

पार्टी का गठन: आखिर में प्रशांति किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को पटना की वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड में बड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में राजनीतिक दल जन सुराज के गठन की घोषणा की. प्रशांत किशोर ने दावा किया कि यह देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि पार्टी के गठन से पहले ही 1 करोड़ लोग इसके संस्थापक सदस्य बन रहे हैं.

चुनाव में जनसराज: उपचुनाव से पहले जनसुराज की सफलता की बात करेंगे. दल का गठन से पहले पहली बार जन सुराज समर्थिक अफाक अहमद सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी बने. इसके बाद बिहार विधानसभा उपचुनाव 2024 में पार्टी ने सभी 4 सीटों पर रामगढ़, तरारी, बेलागंज एवं इमामगंज से उम्मीदवार को खड़ा किया.

उपचुनाव में मिली हार: हालांकि जनसुराज को इसबार सफलता नहीं मिली 2 अक्टूबर को पार्टी के गठन के 40 दिन के बाद बिहार विधानसभा की 4 सीटों पर हुए उपचुनाव में बिना किसी तैयारी के प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवार खड़े किए. इन जिलों में प्रशांत किशोर की पदयात्रा भी नहीं हुई थी. जिला कमेटी का गठन भी नहीं हुआ था. इसके बावजूद जन सुराज को 660000 से ज्यादा वोट मिले.

राजद के हार का कारण जन सुराज: चार सीटों पर उपचुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों की हार के पीछे जन सुराज पार्टी को माना जा रहा है. इमामगंज सीट पर दीपा रानी मांझी ने राजद के प्रत्याशी को 5945 वोट से हराया. इसी सीट पर प्रशांत किशोर के उम्मीदवार को 37103 वोट मिले. बेलागंज सीट पर जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी को 73,334 वोट मिले. राजद के विश्वनाथ यादव को 51943 जनसुराज के मो. अमजद ने 17265 वोट.

तीसरे नंबर की पार्टी बनी जन सुराज: सबसे कड़ी टक्कर रामगढ़ में रही. बीजेपी के अशोक सिंह को बसपा के प्रत्याशी सतीश यादव से कड़ी टक्कर मिली. राजद के प्रत्याशी अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे. सबसे बड़ी बात है कि इस सीट पर जीत का अंतर 1362 रहा जबकि प्रशांत किशोर के उम्मीदवार को यहां पर 6513 वोट मिले.

2025 की तैयारी: प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को पार्टी के गठन के दिन ही या ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव 2025 में बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी. उपचुनाव 2024 में जिस तरीके का प्रदर्शन पार्टी का रहा. 10% से अधिक वोट के साथ उन्होंने बिहार में अपनी ताकत का एहसास कराया है. इससे साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर एक नई ताकत बनकर उभरने का प्रयास कर रहे हैं.

Assembly Elections 2025 Planing
विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी (ETV Bharat GFX)

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि प्रशांत किशोर पिछले दो वर्षों से बिहार में पदयात्रा के माध्यम से राजनीतिक अभियान चला रहे थे. प्रशांत किशोर के निशाने पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार रहे हैं. बिहार के लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि इन दोनों के शासनकाल में बिहार का क्या क्या बिगड़ा है?

"विधानसभा उपचुनाव में प्रशांत किशोर बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में उभर कर सामने आए हैं. 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकते हैं." - अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

इसके अलावा केंद्र की सरकार चाहे वह कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की इन दोनों को भी प्रशांत किशोर अपने निशाने पर रखे हुए हैं. बिहार के लोगों को परिवारवाद और जातिवाद के खिलाफ एकजुट होने की मुहिम चला रहे हैं. अरुण पांडेय का मानना है कि उपचुनाव में बेलागंज राजद की सबसे मजबूत सीट थी. 34 वर्षों से आरजेडी कभी नहीं हारी थी. इस सीट पर राजद के हार का कारण प्रशांत किशोर बने.

प्रशांत किशोर की रणनीति: प्रशांत किशोर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर नई रणनीति के साथ तैयारी कर रहे हैं. अरुण पांडेय का कहना है कि का कहना है आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर मुस्लिम-यादव समीकरण को तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार में जिस जाति की जितनी आबादी है, उसी अनुरूप उनको विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाएगा.

"मुसलमान को 40 और यादव को 35 से अधिक सीट पर उम्मीदवार देने की तैयारी हो रही है. अति पिछड़ा की आबादी के हिसाब से उतने कैंडिडेट खड़ा करने की तैयारी है. महिलाओं को 40 सीट देने की बात हो रही है." - अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

यह भी पढ़ेंः

पटना: बिहार की राजनीति में अब तक राजद-जदयू में तो कभी राजद-जदयू का बीजेपी से मुकाबला रहा है. साल 2024 में राजनीतिक इतिहास में एक और नयी पार्टी जुड़ गयी. पदयात्रा से पहचान बनाने वाला जन सुराज अभियान अब एक राजनीतिक पार्टी है. कभी चुनावी रणनीतिकार से पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर इस पार्टी के कर्ता-धर्ता हैं.

कौन हैं प्रशांत किशोर?: पार्टी के बारे में बात करने से पहले हमलोग प्रशांत किशोर को जानेंगे. प्रशांत एक ऐसे नेता बनकर उभरे हैं जिनकी चर्चा बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है. बड़े-बड़े चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से लोहा मानते हैं. आईए जानते हैं कि एक चुनावी रणनीतिकार से प्रशांत किशोर जन सुराज के संस्थापक कैसे बन गए? 2025 में इनकी पार्टी कितनी सफल रहेगी?

साल 2024 में पार्टी बनी जन सुराज को लेकर विशेषज्ञ की राय (ETV Bharat)

यूनाइटेड नेशंस के लिए काम किए: प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के सासाराम निवासी हैं. पिताजी पेशे से डॉक्टर थे. बचपन बक्सर जिला में बीता प्रारंभिक शिक्षा बक्सर में ही पूरी की. इंटर और स्नातक की पढ़ाई पटना साइंस कॉलेज से करने के बाद हैदराबाद चले गए और वहां से इंजीन‍ियरिंग और पब्‍लि‍क हेल्‍थ पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई के बाद पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के तौर पर यूनाइटेड नेशंस के लिए काम किया. पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई थी.

चुनावी रणनीतिकार का पहला कदम: प्रशांत किशोर यही नहीं रुके. पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के तौर पर काम करने के दौरान राजनीतिक पार्टियों से संपर्क में रहे. एक मीडिया में दिए इंटरव्यू में बताते हैं कि पहली बार साल 2011 में उन्होंने बीजेपी से संपर्क किया. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए रणनीति बनायी. इसका रिजल्ट रहा है कि 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी और नरेंद्र मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.

Prashant Kishor
कौन हैं प्रशांत किशोर (ETV Bharat GFX)

मसहूर रणनीतिकार बने: गुजरात सफलता के बाद बीजेपी से नजदीकी बढ़ गयी. फिर इन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव जीतने में मदद की. पार्टी देश में पूर्ण बहुमत के साथ आई. इसके बाद प्रशांत किशोर की चर्चा पूरे देश में होने लगी. किशोर बताते हैं कि कई राजनीतिक दलों से उनकी बात हुई और कई के लिए उन्होंने चुनावी रणनीतिक बनायी. हालांकि इस दौरान बीजेपी से दूरी बनने लगी.

I-PAC गठन: साल 2014 में प्रशांत किशोर ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) का गठन किया, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है. यह संस्थान विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चुनाव की रणनीति बनाने, जनसंपर्क और कैंपन का जिम्मा लेता है. इस संस्थान के माध्यम से इन्होंने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बंगाल, पंजाब आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव में काम किया.

Prashant Kishor
चुनावी रणनीतिकार का सफर (ETV Bharat GFX)

नीतीश कुमार से रिस्ता: प्रशांक किशोर इंटरव्यू में बताते हैं कि 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के साथ जुड़े. महागठबंधन बनाने में इनकी भूमिका अहम थी. 2015 महागठबंधन ने बाहरी जीत दर्ज की. बीजेपी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को योजना और कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए अपना सलाहकार नियुक्त किया. बाद में पार्टी में शामिल कर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया.

बीजेपी के कारण जदयू से दूर: 2018 में आधिकारिक तौर पर जेडीयू में शामिल हुए. हालांकि अंदरूनी लड़ाई के कारण प्रशांत किशोर अघोषित रूप से पार्टी में नंबर 2 माने जाने लगे. इसी बीच 2020 में नीतीश कुमार फिर से NDA के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया. उसी समय से प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार की दूरी बढ़ने लगी. जनवरी 2020 में प्रशांत किशोर को जदयू से निष्कासित कर दिया गया. 2 वर्ष के भीतर ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी.

Prashant Kishor
प्रशांत किशोर की राजनीतिक में एंट्री (ETV Bharat GFX)

कई राज्यों की पार्टी के लिए काम किए: 2015-2018 के बीच इन्होंने 2017 में उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में टीएमसी के लिए काम किए. 2019 में आंध्रप्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और 2020 में तमिलनाडु में स्टालिन के लिए पंजाब में कांग्रेस के लिए काम किए. इन सभी राज्यों में जिस पार्टी के लिए काम किए उनती जीत हुई. इससे प्रशांत किशोर का कद बढ़ता गया.

बिहार के लिए कुछ करने की तमन्ना: प्रशांत किशोर बताते हैं कि एक मसहूर चुनावी रणनीतिकार बनने के बाद अहसास हुआ है कि उन्हें बिहार के लिए कुछ करना चाहिए. उन्होंने चुनावी रणनीति बनाने का काम छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया भी था कि I-PAC छोड़ दिए हैं. अब इस कंपनी से इनका कोई लेना देना नहीं है. लेकिन इस बात को मानते हैं कि इस कंपनी की टीम से वे काम लेते हैं.

पदयात्रा की शुरुआत: प्रशांत किशोर ने फैसला किया कि वे बिहार को 10 साल देंगे. इसके बाद उन्होंने जनसुराज अभियान का गठन किया. महात्मा गांधी से प्रेरित इस संगठन का नेतृत्व करते हुए प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2022 से चंपारण से पदयात्रा की शुरुआत की. महात्मा गांधी ने भी 1917 में इसी जगह से चंपारण यात्रा की शुरुआत की थी.

प्रशांत किशोर का लक्ष्य: साल 2022 से अब तक प्रशांत किशोर 19 जिले में पदयात्रा कर चुके हैं. पिछले दो साल के दौरान प्रशांत किशोर ने लगभग 5 हजार किमी की पदयात्रा की है. 5500 से अधिक गांवों में पैदल चलकर बिहार के लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को सरकार चुनने के लिए दायित्व का बोध कराना है. बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन आदि को मुद्दा बनाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

New Party Jan Suraj
जन सुराज पार्टी का गठन (ETV Bharat GFX)

राजनीतिक विकल्प बनाया: 2 वर्षों की पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर घोषणा करते हैं कि बिहार में नए राजनीतिक विकल्प होना चाहिए. ऐसा इसलिए कि हर साल देखा जा रहा है कि सरकार किसी गठबंधन का बने बात घूम फिरकर जदयू और राजद पर अटक जाती है. जनता के बीच कोई विकल्प नहीं है. सरकार एनडीए का हो या महागठबंधन का वही नेता और वही सीएम रहते हैं.

पार्टी का गठन: आखिर में प्रशांति किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को पटना की वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड में बड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में राजनीतिक दल जन सुराज के गठन की घोषणा की. प्रशांत किशोर ने दावा किया कि यह देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि पार्टी के गठन से पहले ही 1 करोड़ लोग इसके संस्थापक सदस्य बन रहे हैं.

चुनाव में जनसराज: उपचुनाव से पहले जनसुराज की सफलता की बात करेंगे. दल का गठन से पहले पहली बार जन सुराज समर्थिक अफाक अहमद सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी बने. इसके बाद बिहार विधानसभा उपचुनाव 2024 में पार्टी ने सभी 4 सीटों पर रामगढ़, तरारी, बेलागंज एवं इमामगंज से उम्मीदवार को खड़ा किया.

उपचुनाव में मिली हार: हालांकि जनसुराज को इसबार सफलता नहीं मिली 2 अक्टूबर को पार्टी के गठन के 40 दिन के बाद बिहार विधानसभा की 4 सीटों पर हुए उपचुनाव में बिना किसी तैयारी के प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवार खड़े किए. इन जिलों में प्रशांत किशोर की पदयात्रा भी नहीं हुई थी. जिला कमेटी का गठन भी नहीं हुआ था. इसके बावजूद जन सुराज को 660000 से ज्यादा वोट मिले.

राजद के हार का कारण जन सुराज: चार सीटों पर उपचुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों की हार के पीछे जन सुराज पार्टी को माना जा रहा है. इमामगंज सीट पर दीपा रानी मांझी ने राजद के प्रत्याशी को 5945 वोट से हराया. इसी सीट पर प्रशांत किशोर के उम्मीदवार को 37103 वोट मिले. बेलागंज सीट पर जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी को 73,334 वोट मिले. राजद के विश्वनाथ यादव को 51943 जनसुराज के मो. अमजद ने 17265 वोट.

तीसरे नंबर की पार्टी बनी जन सुराज: सबसे कड़ी टक्कर रामगढ़ में रही. बीजेपी के अशोक सिंह को बसपा के प्रत्याशी सतीश यादव से कड़ी टक्कर मिली. राजद के प्रत्याशी अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे. सबसे बड़ी बात है कि इस सीट पर जीत का अंतर 1362 रहा जबकि प्रशांत किशोर के उम्मीदवार को यहां पर 6513 वोट मिले.

2025 की तैयारी: प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को पार्टी के गठन के दिन ही या ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव 2025 में बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी. उपचुनाव 2024 में जिस तरीके का प्रदर्शन पार्टी का रहा. 10% से अधिक वोट के साथ उन्होंने बिहार में अपनी ताकत का एहसास कराया है. इससे साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर एक नई ताकत बनकर उभरने का प्रयास कर रहे हैं.

Assembly Elections 2025 Planing
विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी (ETV Bharat GFX)

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि प्रशांत किशोर पिछले दो वर्षों से बिहार में पदयात्रा के माध्यम से राजनीतिक अभियान चला रहे थे. प्रशांत किशोर के निशाने पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार रहे हैं. बिहार के लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि इन दोनों के शासनकाल में बिहार का क्या क्या बिगड़ा है?

"विधानसभा उपचुनाव में प्रशांत किशोर बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में उभर कर सामने आए हैं. 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकते हैं." - अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

इसके अलावा केंद्र की सरकार चाहे वह कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की इन दोनों को भी प्रशांत किशोर अपने निशाने पर रखे हुए हैं. बिहार के लोगों को परिवारवाद और जातिवाद के खिलाफ एकजुट होने की मुहिम चला रहे हैं. अरुण पांडेय का मानना है कि उपचुनाव में बेलागंज राजद की सबसे मजबूत सीट थी. 34 वर्षों से आरजेडी कभी नहीं हारी थी. इस सीट पर राजद के हार का कारण प्रशांत किशोर बने.

प्रशांत किशोर की रणनीति: प्रशांत किशोर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर नई रणनीति के साथ तैयारी कर रहे हैं. अरुण पांडेय का कहना है कि का कहना है आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर मुस्लिम-यादव समीकरण को तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार में जिस जाति की जितनी आबादी है, उसी अनुरूप उनको विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाएगा.

"मुसलमान को 40 और यादव को 35 से अधिक सीट पर उम्मीदवार देने की तैयारी हो रही है. अति पिछड़ा की आबादी के हिसाब से उतने कैंडिडेट खड़ा करने की तैयारी है. महिलाओं को 40 सीट देने की बात हो रही है." - अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

यह भी पढ़ेंः

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.