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असफल हो रहे लिव इन रिलेशन! चौंकाने वाले हैं आकड़े

हेल्प लाइन की सीनियर काउंसलर प्रमिला ने सलाह देते हुए कहा कि शादी करना है तो पहले ही कर लो. उसके बाद रिश्ता बनाओ क्योंकि छोटे मोटे झगड़े तो शादी के बाद भी होते हैं.

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Published : Jun 14, 2019, 8:54 AM IST

Updated : Jun 14, 2019, 11:12 AM IST

पटनाः महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्थाओं के हालिया आंकड़े बताते हैं कि लिव इन रिलेशन में रहने वाले प्रेमी जोड़े के रिश्ते कुछ समय के बाद टूट जाते है. जो चिंता का विषय है. राजधानी पटना में ये आंकड़े चौकानें वाले हैं.

असफल हो रहा लिव इन रिलेशन
कानून ने जहां लिव इन रिलेशन को मान्यता दे दी है. वहीं, महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्थाएं महिला हेल्प लाइन और महिला आयोग के ताजा आंकड़े बिल्कुल चौकानें वाले हैं. यहां हर चौथा मामला लिव इन रिलेशन में कई सालों से रह रहे प्रेमी जोड़ों का होता है. जो कई सालों तक रिलेशन में रहने के बाद भी टूट जाते हैं.

जानकारी देती महिला हेल्प लाइन की सदस्य और सीनियर काउंसलर

शिकायत के बढ़ रहे हैं आकड़े
अपनी सहमति से कई सालों तक एक साथ रहने के बाद भी वैवाहिक बंधन में असफल रहने वालों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है. महिला आयोग की सदस्य रेणु देवी ने बताया कि लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों के मामले अधिक आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि महीने भर के आने वाले मामले में लगभग दस प्रतिशत से अधिक मामले इनसे जुड़े होते हैं. जिसमें हम दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग करके मामलों को सुलझाने की कोशिश करते हैं.

  • आंधी-तूफान और वज्रपात से दर्जनों की मौत, CM ने शोक जताते हुए 4-4 लाख मुआवजा देने का दिया निर्देश
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'पहले ही करनी चाहिए शादी'

वहीं, हेल्प लाइन की सीनियर काउंसलर प्रमिला ने कहा कि इस तरह के मामले पहले कम आते थे. लेकिन हाल के दिनों में यह आंकड़ा कुल मामलों के तीस प्रतिशत तक पहुंच गया है. जो बेहद ही चिंताजनक है. उन्होंने लिव इन रिलेशन में रहने वालों को सलाह देते हुए कहा कि जब शादी करना है तो पहले ही कर लो. उसके बाद रिश्ता बनाओ, क्योंकि छोटे मोटे झगड़े तो शादी के बाद भी होते हैं.

  • भोजपुर: डायन कहकर दबंगों ने महिला को पीट-पीटकर किया अधमरा

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ऐसे रिश्तों को लेकर सवाल
मालूम हो कि भारत में लिव इन रिलेशन को मान्यता देने के लिए कानून बनाने में विधायिका का रुख भले ही लचर रहा हो. लेकिन 2013 और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दो मामले में लिव इन रिलेशन में जन्में बच्चे को संतान का दर्जा देते हुए इस तरह के रिश्ते को कानूनी मान्यता देने की बात कही थी. साथ ही इससे संबंधी दिशा निर्देश भी जारी किया. बहरहाल, हालिया आंकड़ों को देखते हुए समाज में एक बार फिर ऐसे रिश्ते को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

पटनाः महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्थाओं के हालिया आंकड़े बताते हैं कि लिव इन रिलेशन में रहने वाले प्रेमी जोड़े के रिश्ते कुछ समय के बाद टूट जाते है. जो चिंता का विषय है. राजधानी पटना में ये आंकड़े चौकानें वाले हैं.

असफल हो रहा लिव इन रिलेशन
कानून ने जहां लिव इन रिलेशन को मान्यता दे दी है. वहीं, महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्थाएं महिला हेल्प लाइन और महिला आयोग के ताजा आंकड़े बिल्कुल चौकानें वाले हैं. यहां हर चौथा मामला लिव इन रिलेशन में कई सालों से रह रहे प्रेमी जोड़ों का होता है. जो कई सालों तक रिलेशन में रहने के बाद भी टूट जाते हैं.

जानकारी देती महिला हेल्प लाइन की सदस्य और सीनियर काउंसलर

शिकायत के बढ़ रहे हैं आकड़े
अपनी सहमति से कई सालों तक एक साथ रहने के बाद भी वैवाहिक बंधन में असफल रहने वालों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है. महिला आयोग की सदस्य रेणु देवी ने बताया कि लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों के मामले अधिक आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि महीने भर के आने वाले मामले में लगभग दस प्रतिशत से अधिक मामले इनसे जुड़े होते हैं. जिसमें हम दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग करके मामलों को सुलझाने की कोशिश करते हैं.

  • आंधी-तूफान और वज्रपात से दर्जनों की मौत, CM ने शोक जताते हुए 4-4 लाख मुआवजा देने का दिया निर्देश
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'पहले ही करनी चाहिए शादी'

वहीं, हेल्प लाइन की सीनियर काउंसलर प्रमिला ने कहा कि इस तरह के मामले पहले कम आते थे. लेकिन हाल के दिनों में यह आंकड़ा कुल मामलों के तीस प्रतिशत तक पहुंच गया है. जो बेहद ही चिंताजनक है. उन्होंने लिव इन रिलेशन में रहने वालों को सलाह देते हुए कहा कि जब शादी करना है तो पहले ही कर लो. उसके बाद रिश्ता बनाओ, क्योंकि छोटे मोटे झगड़े तो शादी के बाद भी होते हैं.

  • भोजपुर: डायन कहकर दबंगों ने महिला को पीट-पीटकर किया अधमरा

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ऐसे रिश्तों को लेकर सवाल
मालूम हो कि भारत में लिव इन रिलेशन को मान्यता देने के लिए कानून बनाने में विधायिका का रुख भले ही लचर रहा हो. लेकिन 2013 और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दो मामले में लिव इन रिलेशन में जन्में बच्चे को संतान का दर्जा देते हुए इस तरह के रिश्ते को कानूनी मान्यता देने की बात कही थी. साथ ही इससे संबंधी दिशा निर्देश भी जारी किया. बहरहाल, हालिया आंकड़ों को देखते हुए समाज में एक बार फिर ऐसे रिश्ते को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

Intro:महिलाओं को न्याय दिलाने वाले संस्थाओं के हालिया आंकड़े बताते है की लिव इन रिलेशन में रहने वाले प्रेमी जोड़ियों के रिश्ते कुछ समय के बाद टूट जाते है...जो बढ़ी ही चिंता जनक है


Body:कानून ने जहां लिव इन रिलेशन को मान्यता दे दी है..वही
महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्थाएं महिला हेल्प लाइन और महिला आयोग के ताजा आंकड़े बिल्कुल चौकानें वाले है...यहा हर चौथा मामला लिव इन रिलेशन में कई सालों से रह रहे प्रेमी जोड़ों को होता है..


प्रेमी जोड़े अपनी सहमति से कई सालों तक एक साथ रहने के बाद भी वैवाहिक बंधन में असफल रहने वालो की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है...वही महिला आयोग के सदस्य रेणु देवी ने भी बताया कि लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ो के मामले अधिक आ रहे है...उन्होंने कहा महीने भर के आने वाले में लगभग दस प्रतिशत से अधिक मामले इनसे जुड़े होते है।जिसमे हम दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग करके मामलों को सुलझाने की कोशिश की जाती है।

वही पटना महिला हेल्प लाइन में लिव इन रिलेशन रहने के बाद असफल हुए प्रेमी जोड़े मामले के आंकड़े तो चौकानें वाले है..हेल्प लाइन की सीनियर काउंसलर प्रमिला ने कहा कि इस तरह के मामलों पहले कम आते थे...लेकिन हाल के दिनों में यह आंकड़ा कुल मामलों के तीस प्रतिशत तक पहुँच गया है...जो बेहद ही चिंताजनक है।

वही उन्होंने लिव इन रिलेशन में रहने वालों को सलाह देते हुए कहा जब शादी करना है तो पहले कर लों... उसके बाद रिश्ता बनाओ क्योंकि छोटे मोटे झगड़े तो शादी में बाद भी होते है।


भारत मे लिव इन रिलेशन को मान्यता देने के लिए लंबी लड़ाई के बाद भी कानून बनाने में विधायिका का रुख भले ही लचर रहा हो..लेकिन 2013 और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दो मामले में लिव इन रिलेशन में जन्में बच्चे को संतान का दर्जा देते हुए...इस तरह के रिश्ते को कानूनी मान्यता देने संबंधी दिशानिर्देश भी जारी किया।


Conclusion:बहरहाल हालिया आंकड़ो ने लिव इन रिलेशन का मतलब ही बदल दिया है..जिसके बाद समाज मे एकबार भी से ऐसे रिश्ते को लेकर सवाल उठने लगे है।
Last Updated : Jun 14, 2019, 11:12 AM IST
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