पटनाः वैसे तो बढ़ती महंगाई से सभी परेशान हैं लेकिन कोरोना संक्रमण के इस दौर ने तो सबकी कमर ही तोड़ दी है. मुश्किल के इस दौर में जहां लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो मुर्दों की आग पर रोटी सेकने से बाज नहीं आ रहे हैं.
कोरोना के कारण जिन लोगों ने जान गंवाई है, उनके परिजन अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं. लेकिन कुछ लोग इन परिजनों को मुश्किल के इस दौर में भी लूटने में लगे हैं. चिताओं की आग पर रोटी सेकने के इस घिनौने कारोबार का ईटीवी भारत ने पर्दाफाश किया.
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अंतिम संस्कार के लिए दलालों ने बनाया है पैकेज
आपने टूर पैकेज के बारे में सुना होगा या कोई प्रोडक्ट को खरीदा होगा, जो स्पेशल पैकेज पर आपको ऑफर होता है. लेकिन अगर आप पटना के बांसघाट पर पहुंचेंगे तो यहां आपको अपने किसी प्रियजन का अंतिम संस्कार करने को लेकर भी पैकेज की व्यवस्था मिल जाएगी. यहां अर्थी के दलालों ने कोरोना से जान गंवाने वालों के लिए विशेष पैकेज तैयार किया है.
दलालों ने अंतिम यात्रा में लगने वाले सामानों जैसे- सीढ़ी, रामनामा, पितांबरी, हुमाद, मखाना, तील, दही, फूल आदि चीजों का एक पैकेज बना लिया है. इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं जो सीढ़ी बांस घाट पर 450 रुपये में मिल रही है, उसकी कीमत पीएमसीएच के गेट के पास 1050 हो जाती है. यानि अगर आप पीएमसीएच से अंतिम यात्रा के लिए सामान खरीद रहे हैं तो आपकी जेब कटनी तय है.
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छह से सात हजार का पैकेज, फूल, रस्सी व चटाई छोड़कर
पीएमसीएच में जहां लोग अपनों की जिंदगी बचाने के लिए आते हैं, वहां दलाल लोगों से उनके प्रियजनों की मौत के बाद सौदा करते दिखाई दे रहे हैं. आप वीडियों में देख सकते हैं कि मखनियां कुआं के सामने PMCH के गेट के पास दो लोग बैठे हैं. एक केवल अर्थी के लिए सीढ़ी बेच रहा है, तो दूसरा केवल फूल छोड़कर एक बक्से में सारा सामान रखा हुआ है.
ईटीवी संवाददाता नीरज ने जब उससे सीढ़ी का रेट पूछा तो उसने 1050 रुपये बताया. जब मोल-भाव किया तो दुकानदार कहता है कि आप एक सप्ताह पहले आते तो दो हजार में भी नहीं मिलता.
उस व्यक्ति ने ही बगल के दुकान से संपर्क कर सभी चीजों के रेट फिक्स करवाये. बगल के दुकानदार ने बताया कि अंतिम यात्रा में लगने वाले सारे सामानों का रेट पांच हजार रुपये तक आएगा, सिर्फ फूल छोड़कर.
हमारे रिपोर्टर से दुकानदार कहता है कि बोलियेगा तो फूल हो जायेगा. अनुमानत: उसके भी एक हजार रुपये लगेंगे. दुकानदार आगे कहता है कि करीब आठ हजार में अर्थी तैयार हो जाएगी, बस आपको अंतिम संस्कार के लिए घाट पर लकड़ी खरीदना पड़ेगा.
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कंकड़बाग में दाम सुन उड़ गए होश
पीएमसीएच के बाद हमारे संवाददाता कंकड़बाग के टेम्पो स्टैंड पहुंचे. यहां पास में ही बांस की ढेर सारी दुकानें हैं. यहां कई प्रकार के सामान बनाये जा रहे हैं. टोकरी, सूप के साथ अर्थी की सीढ़ी भी बन रही थी.
यहां के दुकानदार बताते हैं कि सीढ़ी 1900 रुपये में आएगी. संवाददाता ने पूछा कि इतना ज्यादा दाम क्यों ? इस पर दुकानदार ने बताया कि लॉकडाउन में बांस की आपूर्ति नहीं हो रही है, इसिलए दाम बढ़ गये हैं.
कंकड़बाग के एमआईजी की रहने वाली सीमा उपाध्याय ने बताया कि पिछले महीने 10 अप्रैल को करीब 3000 हजार में अर्थी का सीढ़ी खरीदा गया था. मेरे पड़ोस में ही एक परिचित का निधन हो गया था.
मेरे पति ने आकर मुझे बताया कि दाम इतना ज्यादा बढ़ गया. पूरा सामान लेकर करीब नौ हजार रुपये पड़ गया था. जिस सीढ़ी का दाम पांच सौ भी नहीं हुआ करता था, उसके लिए तीन हजार देने पड़े.
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सरकार की नाक के नीचे हो रहा घिनौना कारोबार
ईटीवी के संवाददाता ने बांस घाट, पीएमसीएच और कंकड़बाग का जायजा लेने के बाद पाया कि तीनों जगहों पर अंतिम संस्कार में लगने वाले सामानों के दामों में ज्यादा अंतर है.
दुकानदार लोगों से मनमाना पैसा बसूल रहे हैं. एक ओर सरकार कोरोना संक्रमण के दौर में दावा कर रही है कि इससे जान गंवाने वालों के लोगों के अंतिम संस्कार में कोई धांधली नहीं हो रही है. वहीं, पटना में सरकार की नाक के नीचे ही आपदा में अवसर तलाशने वाले लोगों को विपदा की इस घड़ी में भी लूट रहे हैं.