पटना: बिहार के औद्योगीकरण में तेजी लाने के लिए पटना हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण (Hearing In Patna High court ) आदेश दिया है. कोर्ट ने बंद औद्योगिक इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए छह बिंदुओं पर हलफनामा दायर करने अनुमति दी है. ये सभी इकाइयां बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये औद्योगिक इकाईयां छह महीने के भीतर पूरे जोरों पर उत्पादन शुरू करें, नहीं तो वे अदालत की अवमानना के लिए उत्तरदायी होंगे.
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60 दिन में वाणिज्यिक उत्पादन करना होगा शुरू: कोर्ट ने इन बिन्दुओं पर इन औद्योगिक इकाइयों को कार्य करने का निर्देश दिया है इन इकाइयों में साठ दिनों के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करना होगा. साथ ही बियाडा को देय सभी बकाया राशि का भुगतान करना होगा. इसके अलावे कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने सहित सभी वैधानिक आवश्यकताओं का पालन करना होगा. प्रावधानों का पालन नहीं करने पर उद्योगपति परिसर को खाली कर शांतिपूर्ण कब्जे को बियाडा को सौंप देगा और साथ ही अवमानना के लिए कार्यवाही शुरू करने के लिए उत्तरदायी होगा.
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इस मामले को लेकर चल रही है सुनवाई: पटना हाईकोर्ट ने बेगूसराय जिले के उमेश सर्विसिंग स्टेशन द्वारा विभिन्न तकनीकी आधारों पर आवंटित भूमि को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामले को सुना. बियाडा के वकील प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि ये इकाई पहले कृषि उपकरणों के निर्माण के लिए भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था. कोर्ट ने जानना चाहा कि बिहार में तेजी से औद्योगिक विकास कैसे हो सकती है. इसके उपरांत कोर्ट ने इन औद्योगिक इकाइयों को इन शर्तों को मानने के बाद ही उन्हें भूमि आवंटन को रद्द नहीं किया जाएगा.