पटना: ऐसी मान्यता है सरसो का साग चावल और कद्दू खाकर व्रत का आरंभ किया जाता है, इसलिए व्रत के पहले दिन को नहाए खाए कहते हैं. माना जाता रहा है कि यह दोनों सब्जियां पूरी तरह से सात्विक होती हैं और इसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की क्षमता होती है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखें तो कद्दू आसानी से पच भी जाता है.
क्यों खाते हैं कद्दू?
नहाए खाए के दिन खासतौर पर कद्दू की सब्जी बनायी जाती है. व्रत रखने वाले इसे ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के बहुत से फायदे हैं. कद्दू में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और व्रती बीमारियों से बचे रहते हैं. इसके अलावा, कद्दू में डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. इसके सेवन से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
छठ व्रतियों के लिए कद्दू का है विशेष महत्व
पटना के सब्जी मंडी में गंगा स्नान कर कद्दू की खरीद कर रही महिलाएं कहती हैं कि आज के दिन कद्दू का विशेष महत्व रहता है. कद्दू चावल और साग खाकर ही छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हैं. सदियों से आज के दिन कद्दू चावल खाने की प्रथा चली आ रही है. जिसे आज भी छठ व्रती पूरी निष्ठा से निभाते हैं.