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'पीड़िता ने विरोध नहीं किया, इसका मतलब ये नहीं रेप के लिए सहमति दी', पटना हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी - Patna High Court on lower court order

रेप पर पटना हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला (Patna High Court verdict on rape case) आया है. लोवर कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, 'विरोध नहीं करने का मतलब रेप पीड़िता की सहमति नहीं' होती है. साथ ही मामले में दस वर्ष की कैद और दस हजार के आर्थिक दंड को सही ठहराया है. पढ़ें पूरी कबर

रेप पर पटना हाईकोर्ट का फैसला
रेप पर पटना हाईकोर्ट का फैसला
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Published : Jun 28, 2022, 11:07 AM IST

Updated : Jun 28, 2022, 12:27 PM IST

पटना: दुष्कर्म पीड़िता (Rape Victim) को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि यदि किसी रेप पीड़िता ने दुष्कर्म के समय संघर्ष नहीं किया या उसके निजी अंगों की क्षति होने का सबूत नहीं हो, तो इसका अर्थ ये नहीं हो सकता कि पीड़िता की सहमति (Not resisting rape does not mean act was consensual) थी. जस्टिस एएम बदर ने आरोपी इस्लाम मियां की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट किया. पटना उच्च न्यायालय ने लोवर कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई (Patna High Court on lower court order) करते हुए ये निर्णय सुनाया है.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने रद्द किया निचली अदालत के फांसी का फैसला, नए सिरे से रेप केस की सुनवाई के आदेश

'विरोध नहीं करने का मतलब रेप पीड़िता की सहमति नहीं': दरअसल, ये मामला जमुई जिले के एक गांव का है. जहां 9 अप्रैल 2015 को ईंट-भट्टे का मालिक इस्लाम मियां ने भट्टे में काम करने वाली महिला को कमरे में घसीटकर उसके साथ बलात्कार किया था. इसमें हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर लोअर कोर्ट में साबित हो गया है कि महिला द्वारा दिया गया बयान विश्वसनीय और सही है, तो ये रेप आपसी सहमति से नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 ( contents of section 375 of the IPC) में स्पष्ट है कि आपसी सहमति होने के बाद ही अपनी इच्छा से यौन संबंध स्थापित किया जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेप के समय पीड़िता द्वारा शारीरिक रूप से संघर्ष नहीं किए जाने के सबूत के अभाव में उसकी सहमति नहीं मानी जा सकती है.

क्या है मामला?: पीड़िता 9 अप्रैल 2015 को काम खत्म करने के बाद ईंट-भट्टे के मालिक से मजदूरी मांगने गई तो उसने बोला कि बाद में पैसे दे देंगे. उसके बाद रात को इस्लाम मियां उसके घर गया. उसने उसके बच्चे से उसकी मां के बारे में पूछा. उसके बाद वाह उसे कमरे में घसीट कर ले गया. वहां उसने उसके साथ दुष्कर्म किया. बाद में पीड़िता द्वारा शोर मचाने के बाद गांव वालो ने आरोपी को पकड़ लिया.

10 वर्ष की कैद और 10 हजार जुर्माना: अगले दिन सुबह पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई. महिला का पति बाहर रहता था और वह खुद अपने बच्चे के साथ यहां रहती थी. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट द्वारा रेप और गलत तरीका से घर में घुसने के मामले दस वर्ष की कैद और दस हजार के आर्थिक दंड को सही ठहराया.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट से राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को नहीं मिली राहत, रेप केस में जमानत अर्जी खारिज

पटना: दुष्कर्म पीड़िता (Rape Victim) को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि यदि किसी रेप पीड़िता ने दुष्कर्म के समय संघर्ष नहीं किया या उसके निजी अंगों की क्षति होने का सबूत नहीं हो, तो इसका अर्थ ये नहीं हो सकता कि पीड़िता की सहमति (Not resisting rape does not mean act was consensual) थी. जस्टिस एएम बदर ने आरोपी इस्लाम मियां की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट किया. पटना उच्च न्यायालय ने लोवर कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई (Patna High Court on lower court order) करते हुए ये निर्णय सुनाया है.

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'विरोध नहीं करने का मतलब रेप पीड़िता की सहमति नहीं': दरअसल, ये मामला जमुई जिले के एक गांव का है. जहां 9 अप्रैल 2015 को ईंट-भट्टे का मालिक इस्लाम मियां ने भट्टे में काम करने वाली महिला को कमरे में घसीटकर उसके साथ बलात्कार किया था. इसमें हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर लोअर कोर्ट में साबित हो गया है कि महिला द्वारा दिया गया बयान विश्वसनीय और सही है, तो ये रेप आपसी सहमति से नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 ( contents of section 375 of the IPC) में स्पष्ट है कि आपसी सहमति होने के बाद ही अपनी इच्छा से यौन संबंध स्थापित किया जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेप के समय पीड़िता द्वारा शारीरिक रूप से संघर्ष नहीं किए जाने के सबूत के अभाव में उसकी सहमति नहीं मानी जा सकती है.

क्या है मामला?: पीड़िता 9 अप्रैल 2015 को काम खत्म करने के बाद ईंट-भट्टे के मालिक से मजदूरी मांगने गई तो उसने बोला कि बाद में पैसे दे देंगे. उसके बाद रात को इस्लाम मियां उसके घर गया. उसने उसके बच्चे से उसकी मां के बारे में पूछा. उसके बाद वाह उसे कमरे में घसीट कर ले गया. वहां उसने उसके साथ दुष्कर्म किया. बाद में पीड़िता द्वारा शोर मचाने के बाद गांव वालो ने आरोपी को पकड़ लिया.

10 वर्ष की कैद और 10 हजार जुर्माना: अगले दिन सुबह पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई. महिला का पति बाहर रहता था और वह खुद अपने बच्चे के साथ यहां रहती थी. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट द्वारा रेप और गलत तरीका से घर में घुसने के मामले दस वर्ष की कैद और दस हजार के आर्थिक दंड को सही ठहराया.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट से राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को नहीं मिली राहत, रेप केस में जमानत अर्जी खारिज

Last Updated : Jun 28, 2022, 12:27 PM IST
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