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मानवाधिकार आयोग तेजी से कर रहा है मामलों का निष्पादन, पुलिस प्रताड़ना केस हैं ज्यादा - कोरोना वायरस

मानवाधिकार आयोग शिकायतों का निष्पादन तेजी से कर रहा है. आयोग का मानना है कि पिछले 6 महीने में मानवाधिकार आयोग में 3800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा मामले पुलिस की ओर से प्रताड़ना का है.

पेश है रिपोर्ट
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Published : Aug 31, 2020, 4:28 PM IST

पटना: लॉकडाउन और कोरोना से हर विभाग के कामों पर प्रभाव पड़ा है. मानवाधिकार आयोग लॉकडाउन के बाद मामलों का निष्पादन तेजी से कर रहा है. इस संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे ने कहा कि पिछले 6 महीने में 3800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा मामले पुलिस की ओर से प्रताड़ना का मामला है.

उज्जवल कुमार दुबे ने बताया कि जब से आयोग का गठन हुआ है, तब से अब तक करीब 60 हजार से ज्यादा मामले आयोग में आए हैं, इनमें से करीब 54 हजार से ज्यादा मामलों का निष्पादन आयोग की तरफ से समय पर कर दिया गया है. इन दिनों भी लगातार मामलों का निष्पादन जोर शोर से किया जा रहा है. पिछले 6 महीने में करोना काल के दौरान और लगभग 3800 से ज्यादा मामले आयोग में आए हैं. करोना काल के दौरान मामलों का निपटारा करने में आयोग को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. लेकिन फिर से आयोग की तरफ से गति में तेजी लाई गई है.

'ऑनलाइन शिकायत की है सुविधा'

आयोग के सदस्य ने कहा कि 2019 से मानवाधिकार आयोग में ऑनलाइन के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करवाने का प्रावधान लागू किया गया है, जिसके बाद मामलों में ज्यादा वृद्धि हो रही है. 2019 के पहले से ऑफलाइन के माध्यम से शिकायतकर्ता अपना शिकायत दर्ज कराते थे. अभी करीब 7000 मामलों का निष्पादन होना बाकी है. आयोग में आए सभी मामलों का निष्पादन समय पर किया जाता है. आयोग में आए सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए उसका निष्पादन किया जाता है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद ही मानवाधिकार अपना निर्णय लेता है.

पेश है रिपोर्ट

पुलिस प्रताड़ना का मामला ज्यादा

आयोग का मानना है कि पिछले 6 महीने में मानवाधिकार आयोग में 3800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा मामले पुलिस की ओर से प्रताड़ना का है. आयोग का मानना है कि किसी भी मामले में केस लंबित होने का मुख्य वजह सरकारी विभागों की ओर से समय पर रिपोर्ट नहीं भेजा जाना है. ज्यादातर मामले पुलिस कर्मियों के तरफ से उत्पीड़न रिपोर्ट दर्ज न करना और अनुसंधान में झूठा फंसा देने जैसे मामले आयोग के सामने आते हैं, जिन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई भी की जाती है. आयोग की पूरी कोशिश होती है कि शिकायतकर्ता को जल्द से जल्द है न्याय मिले.

पटना: लॉकडाउन और कोरोना से हर विभाग के कामों पर प्रभाव पड़ा है. मानवाधिकार आयोग लॉकडाउन के बाद मामलों का निष्पादन तेजी से कर रहा है. इस संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे ने कहा कि पिछले 6 महीने में 3800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा मामले पुलिस की ओर से प्रताड़ना का मामला है.

उज्जवल कुमार दुबे ने बताया कि जब से आयोग का गठन हुआ है, तब से अब तक करीब 60 हजार से ज्यादा मामले आयोग में आए हैं, इनमें से करीब 54 हजार से ज्यादा मामलों का निष्पादन आयोग की तरफ से समय पर कर दिया गया है. इन दिनों भी लगातार मामलों का निष्पादन जोर शोर से किया जा रहा है. पिछले 6 महीने में करोना काल के दौरान और लगभग 3800 से ज्यादा मामले आयोग में आए हैं. करोना काल के दौरान मामलों का निपटारा करने में आयोग को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. लेकिन फिर से आयोग की तरफ से गति में तेजी लाई गई है.

'ऑनलाइन शिकायत की है सुविधा'

आयोग के सदस्य ने कहा कि 2019 से मानवाधिकार आयोग में ऑनलाइन के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करवाने का प्रावधान लागू किया गया है, जिसके बाद मामलों में ज्यादा वृद्धि हो रही है. 2019 के पहले से ऑफलाइन के माध्यम से शिकायतकर्ता अपना शिकायत दर्ज कराते थे. अभी करीब 7000 मामलों का निष्पादन होना बाकी है. आयोग में आए सभी मामलों का निष्पादन समय पर किया जाता है. आयोग में आए सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए उसका निष्पादन किया जाता है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद ही मानवाधिकार अपना निर्णय लेता है.

पेश है रिपोर्ट

पुलिस प्रताड़ना का मामला ज्यादा

आयोग का मानना है कि पिछले 6 महीने में मानवाधिकार आयोग में 3800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा मामले पुलिस की ओर से प्रताड़ना का है. आयोग का मानना है कि किसी भी मामले में केस लंबित होने का मुख्य वजह सरकारी विभागों की ओर से समय पर रिपोर्ट नहीं भेजा जाना है. ज्यादातर मामले पुलिस कर्मियों के तरफ से उत्पीड़न रिपोर्ट दर्ज न करना और अनुसंधान में झूठा फंसा देने जैसे मामले आयोग के सामने आते हैं, जिन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई भी की जाती है. आयोग की पूरी कोशिश होती है कि शिकायतकर्ता को जल्द से जल्द है न्याय मिले.

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