पटना: दरभंगा जंक्शन ( Darbhanga junction ) पर हुए पार्सल ब्लास्ट ( Parcel Blast ) के बाद राजधानी पटना के दोनों स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए राजेंद्र नगर टर्मिनल ( Rajendra Nagar Terminal ) और पटना जंक्शन ( Patna Junction ) पर यूवीएसएस मशीन ( UVSS Machine ) लगाई गई थी. इस मशीन को लगे महीने भर से ज्यादा हो गए. लेकिन आज तक यह मशीन कारगर ढंग से काम नहीं कर पा रही है.
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नहीं दिखती है किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था
अगर हम बात करें पटना जंक्शन के सुरक्षा व्यवस्था की तो यहां किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं दिखती है. यहां इक्के-दुक्के जीआरपी और आरपीएफ के जवान प्लेटफॉर्म पर घूमते जरूर नजर आ जाते हैं. ईटीवी भारत ने जब पटना जंक्शन की सुरक्षा की पड़ताल की तो जंक्शन की सुरक्षा के दांवों की पोल खुल गई.
कुछ माह पहले लगाया गया था अंडर व्हीलर स्कैनर सिस्टम
कुछ माह पहले पटना जंक्शन और राजेंद्र नगर जंक्शन पर अंडर व्हीलर स्कैनर सिस्टम लगाया गया था. ताकि यहां पर आने वाले चार पहिया या तीन पहिया वाहनों के चेसिस स्कैन कर यह पता लगाया जा सके कि इन गाड़ियों के चेसिस से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है या फिर गाड़ियों की चेसिस में छुपा कर कोई व्यक्ति जंक्शन पर बम लेकर तो नहीं घुस रहा है.
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काम नहीं कर रहा जंक्शन पर लगा यूवीएसएस मशीन
महीने भर पहले लगी यह मशीन आज भी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही है. इस योजना पर रेलवे ने लाखों रुपये खर्च कर दिए. उसके बाद भी अंडर व्हीलर स्कैनर सिस्टम हाथी दांत की तरह पटना जंक्शन की शोभा बढ़ाते नजर आ रही है.
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"सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जीआरपी की 10 टीम पूरे प्लेटफॉर्म और रेलवे परिसर में मुस्तैद रहती है. बैग स्कैनर जो बंद पड़ी हुर्ई है उसको भी दुरुस्त कराया जाएगा."-रंजीत कुमार, निरीक्षक प्रभारी, जीआरपी थाना, पटना जंक्शन
क्या है अंडर व्हीलर स्कैनर सिस्टम
यह मशीन कुछ माह पहले सुरक्षा की दृष्टि से लगाया गया था. ताकि स्टेशन पर आने जाने वाले वाहनों की चेकिंग किया जा सके. लेकिन मशीन अभी तक ठीक ढ़ंग से काम नहीं कर रहा है. जो की सुरक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही है.
कैसे काम करती है यह मशीन
यूवीएसएस सिस्टम ( Under Vehicle Surveillance System ) के बैरियर से होकर जैसे ही वाहन गुजरेंगे, ड्राइवर और बगल की सीट में बैठे दोनों व्यक्तियों की फोटो आ जाएगी. वाहन के आगे और पीछे लिखे नंबर भी सिस्टम तुरंत पढ़ लेगा. इसके साथ ही वाहन भी पूरी तरह स्कैन हो जाएगा.
वाहन के अंदर जो भी वस्तु होगी वह स्क्रीन पर अपने वास्तविक आकार में दिखायी देगी. एक सेकेंड के भीतर यूवीएसएस अपना काम पूरा कर लेगा. इस दौरान वाहनों को रोका नहीं जाएगा. वाहन के अंदर संदिग्ध वस्तु होने के शक पर आरपीएफ जवान उसकी जांच करेंगे.