पटना: इस बार का लोकसभा चुनाव अन्य बातों के अलावा प्रधानमंत्री की ताबड़तोड़ चुनावी सभाओं के लिए भी याद रखा जाएगा. बिहार में इस बार 7 चरण के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने 12 चुनावी सभाएं की हैं. एनडीए नेताओं को पीएम की सभाओं से बड़ी उम्मीद है. अब देखना यह है कि इन सभाओं का चुनाव परिणाम में क्या प्रभाव पड़ता है.
मोदी ने इस बार ना सिर्फ बीजेपी बल्कि जदयू और लोजपा के लिए भी चुनावी सभा करके एनडीए नेताओं के हौसले को बढ़ाने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सभा 2 अप्रैल को जमुई में हुई थी, जहां उन्होंने चिराग पासवान के लिए लोगों से वोट मांगा था. उसी दिन वे गया की सभा में भी शामिल हुए थे. इसके बाद पीएम मोदी ने 11 अप्रैल को भागलपुर, 20 अप्रैल को अररिया, 25 अप्रैल को दरभंगा, 30 अप्रैल को मुजफ्फरपुर में और 4 मई को वाल्मीकिनगर में सभा को संबोधित किया.
पीएम के सभा का होता है असर
आखिरी चरण के चुनाव के लिए पीएम मोदी ने बक्सर और सासाराम में चुनावी सभा की है. पीएम की इन सभाओं से एनडीए नेताओं की उम्मीद बढ़ गई है. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को लोग पसंद करते हैं. उनकी बात सुनना चाहते हैं और उन्हें देखना चाहते हैं. लोग उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, इसलिए उनकी हर सभा एनडीए के लिए बड़ी जीत का पैगाम लाएगी.
पीएम की सभा से नहीं होगा असर-विपक्ष
हालांकि विपक्ष ने इसे पूरी तरह नकार दिया है. राजद के वरिष्ठ नेता रामनारायण मंडल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ 23 मई तक ही प्रधानमंत्री हैं. इस बीच चाहे वह जितना भी जोर लगा लें और कितनी भी सभा कर लें, इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला. राजद नेता ने कहा कि इस बार मोदी का जाना तय है इसलिए उनकी जनसभाओं से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
23 मई को आएंगे नतीजे
19 मई को बिहार समेत पूरे देश में आखिरी चरण का मतदान होना है. इसके बाद 23 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे. नतीजों में इस बात का विश्लेषण जरूर होगा कि पीएम ने कहां-कहां सभाएं की और उसका फायदा एनडीए को मिला या नहीं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में प्रधानमंत्री मोदी ने जो 12 सभाएं की हैं उनका कितना फायदा एनडीए को मिल पाता है.