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पटना: ब्लड रिस्प्लेस्टमेंट की बाध्यता खत्म होने के बावजूद अस्पताल कर रहे मनमानी, होगी कार्रवाई - no restriction on blood replacement in Patna

सभी अस्पताल ब्लड बैंक से संबंध बनाकर अपने अस्पतालों में भर्ती मरीजों की रक्त आपूर्ति खुद सुनिश्चित करेंगे. मरीजों के परिजनों से खून की व्यवस्था की मांग नहीं करनी है. यदि ऐसा होता है तो, अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई होगी.

blood replacement in patna
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Published : Sep 22, 2019, 10:12 PM IST

पटना: केंद्र सरकार ने अस्पतालों में ब्लड रिस्प्लेस्टमेंट की बाध्यता को खत्म कर दिया है. केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को एक सर्कुलर जारी कर खून के बदले खून की बाध्यता पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद राजधानी के अस्पतालों में मरीजों को खून देने के लिए परेशान किया जा रहा है और सरकार की ओर से जारी सर्कुलर का आनुपालन नहीं हो रहा है.

क्या है मामला
राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में इन दिनों किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो मरीज के परिजन को ही खून लाने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में अस्पताल लोगों से खून का सैंपल लेकर उनसे दोबारा खून लाने को कह रहा है. साथ ही, जब लोग ब्लड बैंक जाते हैं तो खून देने के बदले उनसे डोनर की मांग की जा रही है.

रोक के बावजूद लोगों से खून के बदले खून ले रहे अस्पताल

अस्पतालों को खुद करनी है खून की व्यवस्था
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश के हिसाब से अब मरीजों को जरूरत पड़ने पर खून की व्यवस्था अस्पतालों को खुद करनी है. इसके लिए वह मरीजों के परिजनों को परेशान नहीं कर सकते हैं. लेकिन राजधानी में अभी भी कई सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में मरीजों से खून लेने से पहले बदले में उनसे खून की मांग की जा रही है.

blood replacement in patna
बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक मनोज कुमार

अस्पताल पर हो सकती है कार्रवाई
बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि सभी अस्पताल ब्लड बैंक से संबंध बनाकर भर्ती मरीजों की रक्त की आपूर्ति खुद सुनिश्चित करेंगे. मरीजों के परिजनों से खून की व्यवस्था की मांग नहीं करनी है. ऐसे में अस्पतालों को ब्लड बैंक के साथ समन्वय बनाकर ब्लड डोनेशन कैंप लगाना चाहिए. साथ ही, जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. यदि अस्पताल मरीजों के परिजनों को खून का प्रबंध करने के लिए बाध्य करते हैं तो, इन पर सख्त कार्रवाई होगी.

पटना: केंद्र सरकार ने अस्पतालों में ब्लड रिस्प्लेस्टमेंट की बाध्यता को खत्म कर दिया है. केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को एक सर्कुलर जारी कर खून के बदले खून की बाध्यता पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद राजधानी के अस्पतालों में मरीजों को खून देने के लिए परेशान किया जा रहा है और सरकार की ओर से जारी सर्कुलर का आनुपालन नहीं हो रहा है.

क्या है मामला
राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में इन दिनों किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो मरीज के परिजन को ही खून लाने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में अस्पताल लोगों से खून का सैंपल लेकर उनसे दोबारा खून लाने को कह रहा है. साथ ही, जब लोग ब्लड बैंक जाते हैं तो खून देने के बदले उनसे डोनर की मांग की जा रही है.

रोक के बावजूद लोगों से खून के बदले खून ले रहे अस्पताल

अस्पतालों को खुद करनी है खून की व्यवस्था
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश के हिसाब से अब मरीजों को जरूरत पड़ने पर खून की व्यवस्था अस्पतालों को खुद करनी है. इसके लिए वह मरीजों के परिजनों को परेशान नहीं कर सकते हैं. लेकिन राजधानी में अभी भी कई सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में मरीजों से खून लेने से पहले बदले में उनसे खून की मांग की जा रही है.

blood replacement in patna
बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक मनोज कुमार

अस्पताल पर हो सकती है कार्रवाई
बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि सभी अस्पताल ब्लड बैंक से संबंध बनाकर भर्ती मरीजों की रक्त की आपूर्ति खुद सुनिश्चित करेंगे. मरीजों के परिजनों से खून की व्यवस्था की मांग नहीं करनी है. ऐसे में अस्पतालों को ब्लड बैंक के साथ समन्वय बनाकर ब्लड डोनेशन कैंप लगाना चाहिए. साथ ही, जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. यदि अस्पताल मरीजों के परिजनों को खून का प्रबंध करने के लिए बाध्य करते हैं तो, इन पर सख्त कार्रवाई होगी.

Intro:केंद्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलेशन का राजधानी पटना मे नही हो पा रहा है आनुपालन,
अस्पतालों मे ब्लड रिस्प्लेस्टमेंट कि बाध्यता समाप्त होने के बावजूद मरीजों को खुन देने के लिए किया जा रहा है परेशान,
खून के बदले खून देने कि केंद्र सरकार ने बाध्यता कि है खत्म


Body:स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश के हिसाब से अब मरीजों को जरूरत पड़ने वाली खून की व्यवस्था संबंधित अस्पतालों को खुद करनी है, इसके लिए वह मरीजों के परिजनों को परेशान नहीं कर सकते हैं, यानी यू कहें कि मरीजों को खून के बदले खून की बाध्यता को केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया है, यह सर्कुलर 15 दिसंबर 2017 को एक केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया है, बावजूद राजधानी पटना में अभी भी कई सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को खून लेने से पहले उन्हें खून की मांग की जा रही है, जिससे मरीज परेशान दिख रहे हैं, केंद्र ने विभाग के अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि खून के बदले खून की बाध्यता को खत्म किया जाए, राज्य को मरीजों में खून के ट्रांसफ्यूजन के संबंधित सर्कुलर जारी कर दिया गया है
गौरतलब है कि राजधानी पटना के विभिन्न अस्पतालों में इन दिनों किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो मरीज के परिजन को ही खून लाने के लिए कहा जा रहा है, उसके लिए अस्पताल के द्वारा खून का सैंपल कर लोगों को खून व्यवस्था करने को भी कहा जा रहा है वही ब्लड बैंक जब लोग जाते हैं खून देने के बदले उसे डोनर की मांग की जाती हैं


Conclusion:वहीं इस मामले में बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक ने कहा कि अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि रक्त और रक्त अवयवों की बढ़ती मांग को देखते हुए रक्त संग्रह में वृद्धि की जानी आवश्यक हैं ,सभी अस्पताल ब्लड बैंक से संबंध स्थापित कर अपने अस्पतालों में भर्ती मरीजों के रक्त आपूर्ति खुद सुनिश्चित करेंगे, मरीजों के परिजनों से खून की व्यवस्था करने की मांग नहीं की जाएगी, ब्लड बैंक साथ समन्वय स्थापित कर ब्लड डोनेशन कैंप लगाएं, जागरूकता अभियान चलाएं, मरीजों के परिजनों को खून का प्रबंध करने के लिए अस्पताल बाध्य नहीं करेंगे, नहीं तो इन पर सख्त कार्रवाई होगी, वहीं इस मामले में रेड क्रॉस सोसायटी के चेयरमैन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी सरकुलेशन में अस्पतालों में खून की कमी हो जाएगी क्योंकि लोगों में खून देने की अभी तक जागरूकता नहीं आई है जब तक लोग खून नहीं देंगे तो ब्लड बैंकों में खून का स्टोरेज नहीं हो पाएगा और मरीजों को खून के बदले खून के बता नहीं खत्म होगी तो सबसे पहले जागरूकता चलाने की जरूरत है तभी या खून के बदले खून की बाध्यता खत्म



बाईट:-मनोज कुमारी, निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार
बाईट:-डॉ विनय बहादुर, चेयरमैन, रेड क्रॉस सोसायटी
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