पटना: केंद्र सरकार ने अस्पतालों में ब्लड रिस्प्लेस्टमेंट की बाध्यता को खत्म कर दिया है. केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को एक सर्कुलर जारी कर खून के बदले खून की बाध्यता पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद राजधानी के अस्पतालों में मरीजों को खून देने के लिए परेशान किया जा रहा है और सरकार की ओर से जारी सर्कुलर का आनुपालन नहीं हो रहा है.
क्या है मामला
राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में इन दिनों किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो मरीज के परिजन को ही खून लाने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में अस्पताल लोगों से खून का सैंपल लेकर उनसे दोबारा खून लाने को कह रहा है. साथ ही, जब लोग ब्लड बैंक जाते हैं तो खून देने के बदले उनसे डोनर की मांग की जा रही है.
अस्पतालों को खुद करनी है खून की व्यवस्था
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश के हिसाब से अब मरीजों को जरूरत पड़ने पर खून की व्यवस्था अस्पतालों को खुद करनी है. इसके लिए वह मरीजों के परिजनों को परेशान नहीं कर सकते हैं. लेकिन राजधानी में अभी भी कई सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में मरीजों से खून लेने से पहले बदले में उनसे खून की मांग की जा रही है.
अस्पताल पर हो सकती है कार्रवाई
बिहार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि सभी अस्पताल ब्लड बैंक से संबंध बनाकर भर्ती मरीजों की रक्त की आपूर्ति खुद सुनिश्चित करेंगे. मरीजों के परिजनों से खून की व्यवस्था की मांग नहीं करनी है. ऐसे में अस्पतालों को ब्लड बैंक के साथ समन्वय बनाकर ब्लड डोनेशन कैंप लगाना चाहिए. साथ ही, जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. यदि अस्पताल मरीजों के परिजनों को खून का प्रबंध करने के लिए बाध्य करते हैं तो, इन पर सख्त कार्रवाई होगी.