पटना: ठंड के इस मौसम (Today Bihar Temprature) में जब लोग अपने घरों में कंबल के अंदर रहते हैं, तब एक ऐसा वर्ग भी है जो इस ठिठुरती ठंड में भी फटे-पुराने कंबल और प्लास्टिक के बोरे का जुगाड़ कर ठंड से बचने की जुगत जुटा रहा होता है. बिहार की राजधानी की सड़कों पर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. हालांकि पटना जिला प्रशासन ने इन वर्ग के लोगों के लिए कई अस्थाई आश्रय स्थलों को बनवा (Temporary Shelter For Poor In Patna) रखा है. लेकिन सड़क पर ही महज कुछ फटे पुराने कंबल के जरिए अपनी रात गुजारने वाले लोग आश्रय स्थल नहीं जाते. उनके आश्रय स्थलों पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया है.
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दिसंबर माह में धीरे-धीरे पारा नीचे की ओर लुढ़कने (Bihar Temprature Drops) लगा है. ऐसे में अपनी जिंदगी की रातें सड़कों पर गुजारने वाले लोग कहते हैं कि हुजूर जिस आश्रय स्थल का निर्माण पटना जिला प्रशासन ने करवाया है, उन स्थलों पर दबंगों ने कब्जा जमाया है. जब गरीब और रिक्शा-ठेला के लोग आश्रय स्थल का रुख करते हैं, तो उन्हें रुकने की इजाजत नहीं दी जाती है.
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दबंगों के माध्यम से कहा जाता है कि यहां मौजूद सारा बेड फुल हो गया है, तो कभी इन आश्रय स्थलों पर दबंगों का कब्जा रहता है. इसके साथ ही कई लोगों का कहना है कि उन्हें आश्रय स्थल के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है. अगर उन्हें जानकारी होती, तो बेवजह इस सर्द रात में वह फटे पुराने कंबल के सहारे अपनी रात गुजारने को विवश नहीं होते.
राजधानी पटना के हर चौक-चौराहे पर ठंड के इस रात में कई लोग बेबस हालत में सोते हुए जरूर दिखाई देंगे. रिक्शा चालक कहते हैं कि जब वह आश्रय स्थल में रात गुजारने का अनुरोध लेकर जाते हैं, तो वहां से उन्हें भगा दिया जाता है. आश्रय स्थलों पर दबंगों का कब्जा रहता है. अब जरूरत है पटना जिला प्रशासन को ऐसे दबंगों से आश्रय स्थल को मुक्त कराने की. खास करके राजधानी पटना के सड़कों पर सोने वाले लोगों को आश्रय स्थल के बारे में जागरूक कर उन्हें इन सर्द रातों में जगह देने की.
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