पटना: आज पूरे देश में होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रदेश के चौक-चौराहों पर भी जमकर होली खेली जा रही है. लोग रंगों में सराबोर होकर एक-दूसरे को होली की बधाई देते नजर आ रहे हैं.
पटना की गलियों में भी होली की धूम देखने को मिल रही है. हर कोई सामाजिक बेड़ियों से ऊपर उठकर आपसी भाईचारे और प्रेम के साथ त्योहार मना रहा है. इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में भी होली की मस्ती देखने को मिल रही है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में युवा और बच्चों की टोली हाथों में ढोल-मंजीरा लिए होली के रंग में डूबे नजर आ रहे हैं. महिलाएं भी फगुआ के रंग में रंगी नजर आ रही हैं.
अलर्ट पर प्रशासन
होली में किसी भी तरह की अप्रिय घटना ना हो इसके लिए हर राज्य की सरकार ने प्रशासन को तैयार रहने के लिए कहा है. जगह -जगह पुलिस की तैनाती की गई है. वहीं अस्पतालों को भी चौकस रहने को कहा गया है. कई जिलों में अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है.
क्यों मनाई जाती है होली?
मान्यता है कि राजा हिरण्यकश्यप को अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. अंहकार में चूर हिरण्यकश्यप भगवान को भी चुनौती देने लगा. वह अपनी प्रजा पर स्वयं की पूजा करने का दबाव बनाने लगा. वह खुद को भगवान मानने लगा. लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त थे. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को ऐसा करने से रोका लेकिन प्रहलाद नहीं माने इससे हिरण्यकश्यप बहुत नाराज हो गया और प्रहलाद को यातनाएं और पीड़ा देने लगा. आठ दिनों तक लगातार हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर तरह तरह के जुल्म किए. जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया. होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था. लेकिन होलिका जैसे ही प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वह जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित आग से बाहर निकल आए. तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.
कल मनाया गया होलिक दहन
होलिका दहन के अगले ही दिन रंगों का यह त्योहार मनाया जाता है. अब आप सोचेंगे कि रंग होली में कैसे आया. दरअसल माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ. वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे.