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अनोखी है ऐतिहासिक खप्पड़ पूजा की कहानी, 201 साल पहले ऐसे हुई थी शुरुआत

खप्पड़ पूजा ऐतिहासिक पूजा है, जिसके सफल आयोजन में हिन्दू और मुस्लिम मिलकर अपना योगदान देते हैं. मंदिर में सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी होती है.

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Published : Aug 12, 2019, 2:56 AM IST

Updated : Aug 12, 2019, 7:48 AM IST

फुलवारीशरीफ काली मंदिर

पटना: सावन महीने में जहां हर तरफ हर-हर महादेव की गूंज सुनाई पड़ती है. वहीं, इसी महीने में पटना में एक अनोखा आयोजन होता है. फुलवारीशरीफ स्थित देवी स्थान काली मंदिर में ऐतिहासिक माता की डाली निकाली गई. इस पूजा को खप्पड़ पूजा भी कहते हैं. यह पूजा का 201वां वर्ष था.

हवन की अग्नि से की जाती है शहर की परिक्रमा
भव्य पूजन के बाद मंदिर के पुजारी खप्पर में हवन की अग्नि लेकर शहर की परिक्रमा करने के लिए निकलते हैं. इस दौरान पुजारी के पीछे-पीछे हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ माता के जयकारे लगते हुए परिक्रमा में शामिल होती है. इस परिक्रमा में श्रद्धालु अपने हाथों में पारंपरिक हथियार भाला, तलवार, लाठी, त्रिशूल आदि से लैस रहते हैं. लगभग डेढ़ किलोमीटर तक नगर भ्रमण के बाद खप्पर की परिक्रमा मंदिर परसर में आकर संपन्न होती है.

70 हजार श्रद्धालुओ ने लिया हिस्सा
70 हजार श्रद्धालुओ ने लिया हिस्सा

सन 1818 से चली आ रही है परंपरा
खप्पर पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि करीब 200 साल पहले महामारी से फुलवारी शरीफ और आसपास के सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. दन्त कथाओं की मानें तो महामारी के समय मंदिर के पुजारी झमेली बाबा को मां काली ने सपने में दर्शन दिया और उनसे कहा कि मेरी पूजा करो और खप्पड़ पूजा निकालो और उस खप्पड़ में जलती आग की खुशबू से महामारी खत्म होगी. लोगों की जान बचाने के लिए झमेली बाबा ने मां की आज्ञा का पालन करते हुए पहली बार माता की डाली पूजा निकली थी. इसके बाद इलाके के सभी लोग ठीक हो गए थे और तब से लेकर आज तक हर वर्ष डाली पूजा की परंपरा चली आ रही है.

निकली ऐतिहासिक खप्पड़ पूजा की डाली

देखने को मिलता है हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा
इस बाबत देवी स्थान समिति के सचिव देवेंद्र प्रसाद बताते हैं कि खप्पड़ पूजा ऐतिहासिक पूजा है, जिसके सफल आयोजन में हिन्दू और मुस्लिम मिलकर अपना योगदान देते हैं. मंदिर में सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी होती है. उन्होंने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ 70 हजार से भी ज्यादा है.

चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती
वहीं, इस मामले पर फुलवारीशरीफ डीएसपी संजय पांडे ने बताया कि पूजा को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई थी. परिक्रमा पूजा शुरु होने से पहले ही पटना की ओर आने-जाने वाले सभी वाहनों को एहतियातन दो किलोमीटर पहले ही रोक लगाकर उनका रुट डायवर्ट कर दिया गया था.

पटना: सावन महीने में जहां हर तरफ हर-हर महादेव की गूंज सुनाई पड़ती है. वहीं, इसी महीने में पटना में एक अनोखा आयोजन होता है. फुलवारीशरीफ स्थित देवी स्थान काली मंदिर में ऐतिहासिक माता की डाली निकाली गई. इस पूजा को खप्पड़ पूजा भी कहते हैं. यह पूजा का 201वां वर्ष था.

हवन की अग्नि से की जाती है शहर की परिक्रमा
भव्य पूजन के बाद मंदिर के पुजारी खप्पर में हवन की अग्नि लेकर शहर की परिक्रमा करने के लिए निकलते हैं. इस दौरान पुजारी के पीछे-पीछे हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ माता के जयकारे लगते हुए परिक्रमा में शामिल होती है. इस परिक्रमा में श्रद्धालु अपने हाथों में पारंपरिक हथियार भाला, तलवार, लाठी, त्रिशूल आदि से लैस रहते हैं. लगभग डेढ़ किलोमीटर तक नगर भ्रमण के बाद खप्पर की परिक्रमा मंदिर परसर में आकर संपन्न होती है.

70 हजार श्रद्धालुओ ने लिया हिस्सा
70 हजार श्रद्धालुओ ने लिया हिस्सा

सन 1818 से चली आ रही है परंपरा
खप्पर पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि करीब 200 साल पहले महामारी से फुलवारी शरीफ और आसपास के सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. दन्त कथाओं की मानें तो महामारी के समय मंदिर के पुजारी झमेली बाबा को मां काली ने सपने में दर्शन दिया और उनसे कहा कि मेरी पूजा करो और खप्पड़ पूजा निकालो और उस खप्पड़ में जलती आग की खुशबू से महामारी खत्म होगी. लोगों की जान बचाने के लिए झमेली बाबा ने मां की आज्ञा का पालन करते हुए पहली बार माता की डाली पूजा निकली थी. इसके बाद इलाके के सभी लोग ठीक हो गए थे और तब से लेकर आज तक हर वर्ष डाली पूजा की परंपरा चली आ रही है.

निकली ऐतिहासिक खप्पड़ पूजा की डाली

देखने को मिलता है हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा
इस बाबत देवी स्थान समिति के सचिव देवेंद्र प्रसाद बताते हैं कि खप्पड़ पूजा ऐतिहासिक पूजा है, जिसके सफल आयोजन में हिन्दू और मुस्लिम मिलकर अपना योगदान देते हैं. मंदिर में सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी होती है. उन्होंने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ 70 हजार से भी ज्यादा है.

चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती
वहीं, इस मामले पर फुलवारीशरीफ डीएसपी संजय पांडे ने बताया कि पूजा को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई थी. परिक्रमा पूजा शुरु होने से पहले ही पटना की ओर आने-जाने वाले सभी वाहनों को एहतियातन दो किलोमीटर पहले ही रोक लगाकर उनका रुट डायवर्ट कर दिया गया था.

Intro:फुलवारीशरीफ स्थित देवी स्थान काली मंदिर में रविवार को ऐतिहासिक माता की डाली निकाली गई। ये पूजा का 201वां वर्ष था। इस पूजा को खप्पड़ पूजा भी कहते है। जो 200 साल पहले 1818 में शुरू हुई थी। इस पूजा में माता की डाली के पीछे हजारो श्रद्धालु नंगे पांव जय माता दी के जयकारे के साथ दौड़ लगाते है। माता की इस ऐतिहासिक यात्रा के मद्देनजर स्थानीय अनुमंडल प्रशासन और पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंध किए गए थे।


Body:हांथो में खप्पड़ और उसमें जलते आग की लपटों को लेकर भीड़ के साथ सड़को पर दौर लगाते फुलवारीशरीफ देवी स्थान काली मंदिर के पुजारी रविवार को एक बार ऐतिहासिक खप्पड़ (डाली)पूजा के गवाह बने। सड़को पर करीब 60 हजार से ज्यादा की भीड़ और जय माता दी के जयकारे के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी है। दरलसल आज से 200 साल पहले फुलवारीशरीफ में भयानक महामारी फैली थी जिससे सैकड़ो लोगो की मौत हो गई थी। इस भयानक महामारी के समय इलाके के झमेली बाबा को मां काली ने सपने में दर्शन दिया और उनसे कहा कि मेरी पूजा करो साथ ही खप्पड़ निकालो और उस खप्पड़ मे जलते आग से जो खुशबू निकलेगी वो जितनी दूर तक फैलेगी महामारी खत्म होगी और कभी दोबारा नही होगी। झमेली बाबा ने मां की आज्ञा का पालन करते हुए दूसरे दिन ही देवी स्थान काली मंदिर में मां काली की पूजा की और खप्पड़ निकाला जिसके बाद हमेशा के लिए महामारी खत्म हो गई । उस दिन से हर साल सावन के महीने में फुलवारीशरीफ के देवी स्थान मंदिर में मां काली की भव्य पूजा की जाती है और मंदिर परिसर से भव्य माता की डाली यानी खप्पड़ निकाली जाती है जो फुलवारीशरीफ के कई इलाकों में भ्रमण करते हुए वापस मंदिर पहुंचती है।


Conclusion:इस दौरान मंदिर के पुजारी खप्पड़ में आग डालकर सड़को पर दौड़ लगाते है और पुजारी के हांथो में जल रहे आग की लपटों के पीछे हजारो हजार श्रद्धालु भी जय माता दी के जयकारे के साथ दौड़ लगाते है। हांथो में तलवार बरछी भाला और लाठी डंडे लिए हजारो श्रद्धालुओ का मां काली पर अटूट विश्वास है। देवी स्थान समिति के सचिव देवेंद्र प्रसाद बताते है कि ये खप्पड़ पूजा ऐतिहासिक पूजा है जिसके सफल आयोजन में हिन्दू और मुश्लिम भाई मिलकर अपना योगदान देते है और हर साल ये पूजा और माता की डाली पूरे हर्षोउल्लास और शांति के साथ निकाली जाती जी। उन्होंने बताया कि पिछली बार 61 हजार की भीड़ हुई थी और इस बार उससे भी ज्यादा भीड़ है। वही फुलवारीशरीफ डीएसपी ने बताया कि पूजा शांति और सौहार्द के साथ संपन्न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल लगाया गया है। इस मौके पर माता की आरती और प्रसाद वितरण का भी आयोजन किया गया।
बाईट - देवेंद्र प्रसाद - सचिव - देवी स्थान समिति - फुलवारीशरीफ
बाईट - संजय पांडे - डीएसपी - फुलवारीशरीफ

कुणाल सिंह...ईटीवी भारत...फुलवारीशरीफ
Last Updated : Aug 12, 2019, 7:48 AM IST
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