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जर्जर हालत में है नालंदा का यह रहस्यमयी कुआं, इसके पानी से दूर होती हैं कई बीमारियां

कुएं के पानी का सेवन करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारी इस पानी के स्नान करने से खत्म हो जाती हैं.

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Published : Sep 8, 2019, 10:24 PM IST

नालंदा: जिले के इस्लामपुर प्रखंड का बेशवक गांव अपने गर्भ में इतिहास के कई पन्नों को समेटे हुए है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस गांव को ज्यादा पहचान नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि यहां मौजूद कई ऐतिहासिक अवशेष अब अंतिम सांस ले रहे हैं.

बेशवक में स्थित ऐतिहासिक कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. सदियों से लोगों की प्यास बुझा रहा ये रहस्ययी कुएं में आज भी पानी मौजूद है. बावजूद इसके इसका जीर्णोद्धार करवाना सरकार ने उचित नहीं समझा. ग्रामीणों की माने तो टेकारी महाराज इस कुएं के पानी का प्रतिदिन सेवन करते थे. कुएं का पानी में कई औषधीय गुण भी मौजूद हैं.

ये रहा ऐतिहासिक कुआं

कई बीमारियां हो जाती हैं दूर...
ग्रामीणों के अनुसार इस कुएं के पानी का सेवन करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारी इस पानी के स्नान करने से खत्म हो जाती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कुएं के पानी से बनाया गया चावल जल्द खराब नहीं होता है. 24 घंटे बाद भी चावल वैसा का वैसा ही रहता है.

जीर्णोद्धार की मांग
कुएं का पानी अब तक सूखा नहीं है. बिहार में भीषण सूखा होने के बावजूद यहां का पानी बरकरार रहता है. आज भी इस कुएं का महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और इसके पानी का सेवन करते हैं. हालांकि, समय के साथ-साथ इस कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से इसकी मरम्मती और जीर्णोद्धार की मांग की है.

बता दें कि बेशवक गांव वहीं गांव हैं जहां कश्मीर के आखिरी सुल्तान सोए हुए हैं. यहां ऐतिहासिक धरोहरों की अपनी अलग मान्यता है. पढ़ें कश्मीर के राजा के बारे में...

  • बिहार: गुमनामी में तन्हा सो रहा कश्मीर का आखिरी सुल्तान
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    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 8, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नालंदा: जिले के इस्लामपुर प्रखंड का बेशवक गांव अपने गर्भ में इतिहास के कई पन्नों को समेटे हुए है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस गांव को ज्यादा पहचान नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि यहां मौजूद कई ऐतिहासिक अवशेष अब अंतिम सांस ले रहे हैं.

बेशवक में स्थित ऐतिहासिक कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. सदियों से लोगों की प्यास बुझा रहा ये रहस्ययी कुएं में आज भी पानी मौजूद है. बावजूद इसके इसका जीर्णोद्धार करवाना सरकार ने उचित नहीं समझा. ग्रामीणों की माने तो टेकारी महाराज इस कुएं के पानी का प्रतिदिन सेवन करते थे. कुएं का पानी में कई औषधीय गुण भी मौजूद हैं.

ये रहा ऐतिहासिक कुआं

कई बीमारियां हो जाती हैं दूर...
ग्रामीणों के अनुसार इस कुएं के पानी का सेवन करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारी इस पानी के स्नान करने से खत्म हो जाती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कुएं के पानी से बनाया गया चावल जल्द खराब नहीं होता है. 24 घंटे बाद भी चावल वैसा का वैसा ही रहता है.

जीर्णोद्धार की मांग
कुएं का पानी अब तक सूखा नहीं है. बिहार में भीषण सूखा होने के बावजूद यहां का पानी बरकरार रहता है. आज भी इस कुएं का महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और इसके पानी का सेवन करते हैं. हालांकि, समय के साथ-साथ इस कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से इसकी मरम्मती और जीर्णोद्धार की मांग की है.

बता दें कि बेशवक गांव वहीं गांव हैं जहां कश्मीर के आखिरी सुल्तान सोए हुए हैं. यहां ऐतिहासिक धरोहरों की अपनी अलग मान्यता है. पढ़ें कश्मीर के राजा के बारे में...

  • बिहार: गुमनामी में तन्हा सो रहा कश्मीर का आखिरी सुल्तान
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Intro:नालंदा। नालंदा जिला के इस्लामपुर प्रखंड के वेशवक गांव जो की ऐतिहासिक गांव के रूप में जाना जाता है । इस गांव में एक नेताऊ कुआं है जो कि अपना एक इतिहास रखता है । इस ऐतिहासिक कुआं की हालत भले ही आज जर्जर हो चुकी हो, बावजूद इसके इस कुआं का पानी अब तक नहीं सुखा है । स्कूल का अपना एक पुराना इतिहास रहा है । ग्रामीणों की माने तो टेकारी महाराज इस कुआं के पानी को प्रतिदिन सेवन करते थे। इस कुआं के पानी के सेवन से कई प्रकार की बीमारियां दूर रहती है । यही वजह है कि टिकारी महाराज के द्वारा इस कुआं के पानी को प्रतिदिन अपने राजमहल में मंगवाया जाता था और उसका भी सेवन करते थे।


Body:ग्रामीणों के अनुसार इस कुआं के पानी में काफी औषधीय गुण भी पाया जाता है। कई प्रकार की बीमारियों को दूर रखता है जिसमें चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारी इस पानी के स्नान करने से खत्म हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कोर के पानी से बनाया गया चावल जल्द खराब नहीं होता है । 24 घंटे बाद भी चावल वैसा का वैसा ही रहता है । कुआं का पानी अब तक नहीं सूखा है। बिहार में भीषण सूखा होने के बावजूद यहां का पानी बरकरार रहा। आज भी इस कुआं के महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और इसके पानी का सेवन करते हैं।
हालांकि समय के साथ-साथ इस कुआं के हालात भी जर्जर हो चुके हैं । कुआं की उड़ाई नहीं हुई है जिसके कारण लोगों को कुछ समस्या भी उत्पन्न हो रही है । ग्रामीणों ने सरकार से इस कुआं की उड़ाई और जीर्णोद्धार कराने के लिए लिखित मांग की है जिसके बाद ग्रामीणों को शीघ्र ही कुआं को मरम्मत करने का आश्वासन भी दिया गया है।
बाइट। मनोज पांडेय, ग्रामीण
बाइट। कौशल कुमार, ग्रामीण


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