नालंदा: जिले के इस्लामपुर प्रखंड का बेशवक गांव अपने गर्भ में इतिहास के कई पन्नों को समेटे हुए है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस गांव को ज्यादा पहचान नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि यहां मौजूद कई ऐतिहासिक अवशेष अब अंतिम सांस ले रहे हैं.
बेशवक में स्थित ऐतिहासिक कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. सदियों से लोगों की प्यास बुझा रहा ये रहस्ययी कुएं में आज भी पानी मौजूद है. बावजूद इसके इसका जीर्णोद्धार करवाना सरकार ने उचित नहीं समझा. ग्रामीणों की माने तो टेकारी महाराज इस कुएं के पानी का प्रतिदिन सेवन करते थे. कुएं का पानी में कई औषधीय गुण भी मौजूद हैं.
कई बीमारियां हो जाती हैं दूर...
ग्रामीणों के अनुसार इस कुएं के पानी का सेवन करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारी इस पानी के स्नान करने से खत्म हो जाती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कुएं के पानी से बनाया गया चावल जल्द खराब नहीं होता है. 24 घंटे बाद भी चावल वैसा का वैसा ही रहता है.
जीर्णोद्धार की मांग
कुएं का पानी अब तक सूखा नहीं है. बिहार में भीषण सूखा होने के बावजूद यहां का पानी बरकरार रहता है. आज भी इस कुएं का महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और इसके पानी का सेवन करते हैं. हालांकि, समय के साथ-साथ इस कुआं जर्जर हालत में पहुंच चुका है. ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से इसकी मरम्मती और जीर्णोद्धार की मांग की है.
बता दें कि बेशवक गांव वहीं गांव हैं जहां कश्मीर के आखिरी सुल्तान सोए हुए हैं. यहां ऐतिहासिक धरोहरों की अपनी अलग मान्यता है. पढ़ें कश्मीर के राजा के बारे में...
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बिहार: गुमनामी में तन्हा सो रहा कश्मीर का आखिरी सुल्तान
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