पटना: आमतौर पर देखा जाए तो ठंड के मौसम में हार्ट अटैक (Heart Attack in Cold Weather) के मामले बढ़ जाते हैं. प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही हार्ट के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. इसके लिए प्रदूषण एक बड़ा फैक्टर है. प्रदेश के कई जिलों में हवा की गुणवत्ता खराब हुई है. जिससे हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना बनी हुई है. ठंड के मौसम में रोगियों की संख्या क्यों बढ़ती है और हार्ट अटैक से बचाव के उपाय (Heart Attack Prevention Tips) क्या हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष कुमार झा से खास बातचीत की और उन्होंने हार्ट अटैक के कारण और बचाव (Heart Attack Causes and Prevention) के विषय में विस्तृत जानकारी दी.
ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार की बिहार यात्रा पर राबड़ी का तंज- 'घूमला से काम नहीं चलेगा, क्राइम और करप्शन पर कंट्रोल ज्यादा जरूरी'
इस संबंध में डॉ. आशीष कुमार झा ने बताया कि ठंड के मौसम में शरीर की धमनियां सिकुड़ती है. हार्ट की बीमारियों से ग्रसित लोगों की हृदय नली में ब्लॉकेज होने लगते हैं. हार्ट अटैक में ब्लड प्रेशर का भी बड़ा रोल होता है. ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भी हृदयाघात होता है. ऐसे में ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है. ठंड का मौसम शुरू होने से पहले हृदय रोग के मरीज चिकित्सक से परामर्श करें. जिससे मौसम के अनुसार मरीज के शरीर के लिए जरूरी दवाइयां चिकित्सक प्रिसक्राइब कर सकें.
इसके अलावा ठंड के मौसम में हृदय रोगियों के लिए जरूरी है कि वह व्यायाम करने के लिए घर से बाहर न निकले. सनराइज होने पर ही घर से बाहर निकले. ठंड के मौसम में हृदय रोगी भरपूर गर्म कपड़े का प्रयोग करें और अधिक ठंड हो तो मॉर्निंग वॉक से परहेज करें. उन्होंने बताया कि अगर किसी को सीने में तकलीफ पर, सांस लेने पर भारी महसूस होने पर, थोड़ा चलने में अधिक थकावट होने पर, अधिक चक्कर आने पर फिजीशियन या कार्डियोलॉजिस्ट चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें.
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार झा ने बताया कि अभी पटना में हवा की गुणवत्ता काफी खराब है और पॉल्यूशन हार्ट की बीमारी के साथ-साथ फेफड़े जनित कई बीमारियों को भी जन्म देता है. वातावरण में धुंध अधिक होने से सांस लेने के समय पैसिव स्मोकिंग होता है और यह हृदय रोगियों के लिए बड़ा घात करता है. उन्होंने कहा कि बाजार में कई प्रकार के मास्क उपलब्ध हैं, लेकिन सभी मास्क धूल कण को फिल्टर करने में सक्षम नहीं होते इसलिए एन-95 मास्क का प्रयोग करना जरूरी होता है. यह कोरोना वायरस और जो नया स्ट्रेन ओमिक्रोन आया है बचने में मदद करेगा.
उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर हार्ट अटैक का खतरा पुरुषों में 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में और 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में रहता है. लेकिन भारतीय परिदृश्य में हार्ट अटैक के मामले एक दशक पहले देखने को मिलते हैं यानी कि पुरुषों में 40 वर्ष की उम्र और महिलाओं में 50 वर्ष के बाद हार्ट की दिक्कत होने लगती है.
हृदय रोगियों के लिए खानपान पर विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है. खानपान बहुत बड़ा फैक्टर है. अधिक कोलेस्ट्रॉल और कैलोरी युक्त भोजन न करें और ठंड के मौसम में तेल मसाले वाले भोजन करने से परहेज करें. संतुलित आहार ग्रहण करें और खाने-पीने में तेल, कार्बोहाइड्रेट, फैट और खासकर सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम रखें. जिससे हार्ट अटैक से बचा जा सके.
ये भी पढ़ें- BJP विधायक के सवालों का CM ने यूं दिया जवाब, 'सब मेरा ही किया हुआ.. आज हमसे ही पूछ रहे हैं..'
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP