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Patna High Court: सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों को लेकर दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में लॉ कॉलेजों के सम्बन्ध दायर याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायालय में राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के कुलपति के हलफनामा दायर किया गया. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल के बाद फिर की जाएगी.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Mar 27, 2023, 4:56 PM IST

पटना: पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने प्रदेश के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएससिंह की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की. न्यायालय में राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के कुलपति के हलफनामा दायर किया गया. इस हलफनामा में बताया गया है कि लॉ कालेजों में नेट/पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होने चाहिए.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग केस की भरमार, जजों की संख्या रह गई आधी

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चांसलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही ये भी बताने को कहा था कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं.

हलफनामा दायर करने का निर्देश: चांसलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाईस चांसलर की बैठक 3 अप्रैल, 2023 को तय किया है. इस बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके बाद चांसलर कार्यालय को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है.

कॉलेजों में बुनियादी सुविधा का अभाव: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे हैं, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है. पिछली सुनवाई में न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है. राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है.

योग्य शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक: कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है. न्यायालय को वकील दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का भी काफी अभाव है.

वकील ने बताया कि बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है. बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज ऐसे हैं, जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं. इससे पूर्व न्यायालय ने बीसीआई के अनुमति/अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021-22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी.

पूर्व में हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी. बाद में इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी गई. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने-अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 अप्रैल, 2023 के बाद फिर की जाएगी.

पटना: पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने प्रदेश के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएससिंह की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की. न्यायालय में राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के कुलपति के हलफनामा दायर किया गया. इस हलफनामा में बताया गया है कि लॉ कालेजों में नेट/पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होने चाहिए.

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पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चांसलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही ये भी बताने को कहा था कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं.

हलफनामा दायर करने का निर्देश: चांसलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाईस चांसलर की बैठक 3 अप्रैल, 2023 को तय किया है. इस बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके बाद चांसलर कार्यालय को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है.

कॉलेजों में बुनियादी सुविधा का अभाव: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे हैं, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है. पिछली सुनवाई में न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है. राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है.

योग्य शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक: कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है. न्यायालय को वकील दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का भी काफी अभाव है.

वकील ने बताया कि बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है. बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज ऐसे हैं, जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं. इससे पूर्व न्यायालय ने बीसीआई के अनुमति/अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021-22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी.

पूर्व में हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी. बाद में इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी गई. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने-अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 अप्रैल, 2023 के बाद फिर की जाएगी.

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