पटना: पटना हाईकोर्ट में आज जातियों की गणना पर सुनवाई (Hearing on caste census in Bihar today) हुई. जहां कोर्ट ने बिहार सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 3 जुलाई से पहले सुनवाई के लिए अपील की गई थी. आपको बताएं कि पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 3 जुलाई 2023 के पूर्व ही कोर्ट द्वारा सुनवाई करने के लिए याचिका दायर की गई थी. गौरतलब कि पहले कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी.
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आंकड़ों को शेयर व उपयोग पर भी लगी है रोक: चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग फिलहाल नहीं करेगी. दायर याचिका में यह कहा गया कि क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है. इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई 2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है.
'जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं' : कोर्ट ने कहा था कि कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है. कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया है.राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि इन जनहित याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर कोर्ट ने अपना निर्णय अंतिम रूप से दे दिया है. इस कारण इन याचिकाओं की सुनवाई 3 जुलाई 2023 के पूर्व ही करके इनका निष्पादन कर दिया जाए.
'जातीय जनगणना से निजता का उल्लंघन': कोर्ट ने ये भी कहा कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है. इस संबंध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है. कोर्ट ने अपने 4 मई 2023 के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है. उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया. कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है.