पटना: बिहार में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामले पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार और निगरानी विभाग ने हलफनामा दायर किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 77 हजार ऐसे शिक्षक हैं, जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है.
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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा?: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें, जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपनी डिग्री और उससे जुड़े कागजात पेश करें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड पेश नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. साथ ही वे वेतन उठा रहे हैं.
कोर्ट ने दिया था मौका कि इस्तीफा दे दें: इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी. 26अगस्त 2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं.
अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी: कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था. उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया गया. 31 जनवरी 2020 की सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके संबंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है, लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए।कोर्ट ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया. कोर्ट ने विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था.