पटना: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (President Dr. Rajendra Prasad) की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने अधिवक्ता विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे को असंतोषजनक बताया. हाईकोर्ट ने सिवान के डीएम को इस जनहित याचिका में उठाए गए सभी मामलों पर बिंदुवार हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया.
ये भी पढ़ें: कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार के इंतजामों को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई, दिए ये निर्देश
साथ ही हाईकोर्ट ने पटना के जिलाधिकारी को पटना स्थित बांस घाट और बिहार विद्यापीठ के संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार, आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया समेत अन्य सभी पक्षों को निश्चित रूप से जवाब दायर करने का आदेश दिया था. लेकिन आज आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व राज्य सरकार के द्वारा जो हलफनामा दायर कर जवाब दिया गया, उसे हाईकोर्ट ने असंतोषजनक बताया. इससे पूर्व कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था.
ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट में साइबर क्राइम पर सुनवाई, अदालत का आदेश- आपत्तिजनक पोस्ट को यूट्यूब से हटाएं
कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से इसमें जानकारी दी गई थी, कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी 2022 को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी. इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सिवान के डीएम भी सम्मिलित थे.
इस बैठक में कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने हेतु विचार और निर्णय लिया गया.
इसमें जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया. साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आसपास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय हुआ.
ये भी पढ़ें: बिहार में NH निर्माण के कार्य प्रगति पर HC में सुनवाई, पूरा रिपोर्ट पेश करने का दिया निर्देश
हाईकोर्ट द्वारा इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी. कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा लेकर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था. अधिवक्ताओं की कमिटी ने जीरादेई के डॉ राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर को जर्जर हालत में पाया. साथ ही वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में काफी पीछे होने की बात भी अपनी रिपोर्ट में बताई.
अधिवक्ताओं की कमिटी ने पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गंदगी और रखरखाव की स्थिति को भी असंतोषजनक पाया. वहां काफी गंदगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की भी बेहद कमी थी. साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की हालत को भी वकीलों की कमिटी ने दुर्दशापूर्ण स्थिति में कहा.
ये भी पढ़ें: दुर्लभ जेनेटिक बीमारी पर पटना हाईकोर्ट का निर्देश- 'हलफनामा देकर जवाब दें प्रधान स्वास्थ्य सचिव'
जनहित याचिका में अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई गांव व वहां डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है. जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं न के बराबर है. वहां न तो पहुंचने के लिए सड़क की हालत सही है.
साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों की स्थिति और भी खराब है. जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है. उन्होंने कहा कि इन स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 3 फरवरी 2022 को की जाएगी.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP