पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सीतामढ़ी के जलीय क्षेत्र की भूमि को सोनबरसा के अंचलाधिकारी द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र देकर अवैध रूप से क़ब्रिस्तान घोषित किए जाने के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने सम्बन्धित अंचलाधिकारी से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने उमेश यादव की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
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अवैध रूप कब्रिस्तान घोषित करने का मामला : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि सोनबरसा के अंचलाधिकारी के कार्यालय पत्र द्वारा जलीय क्षेत्र की सरकारी ज़मीन को अवैध रूप से क़ब्रिस्तान घोषित कर दिया. इतना ही नहीं अंचलाधिकारी द्वारा एनओसी दिये जाने के बाद बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने इस भूमि पर कब्रिस्तान बनाने के लिए उसकी घेराबंदी करने के संबंध में सीतामढ़ी के ज़िला पदाधिकारी को पत्र भी लिख दिया.
सीतामढ़ी डीएम को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश : हाईकोर्ट ने सीतामढ़ी के डीएम को इस मामले पर स्वयं जांच कर दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि जलीय क्षेत्र की भूमि को कैसे बंदोबस्त कर दिया. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने संदीप कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की.
मसौढ़ी में जलीय भूमि का किया गया बंदोबस्त : वहीं, एक दूसरे मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि जलीय क्षेत्र के भूमि का बंदोबस्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि मसौढ़ी अनुमंडल के पुनपुन अंचल में राज्य सरकार ने सौ गरीब परिवारों के बीच 4 एकड़ 77 डिसिमल जलीय क्षेत्र की भूमि का बंदोबस्त कर दिया. ये प्रावधानों के विरुद्ध है. उन्होंने इस बंदोबस्त को रद्द करने की मांग की.
इस मामले पर कोर्ट के समक्ष अधिवक्ता दीनू कुमार व रितिका रानी ने व राज्य सरकार की ओर से मोहम्मद खुर्शीद आलम ने पक्ष प्रस्तुत किया. इस मामले पर फिर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.