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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, 4 मई को आएगा अंतरिम आदेश - जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी

Patna high court verdict on Caste census जातिगत जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है. अब कल इस पर अंतरिम आदेश आएगा. दरअसल नीतीश सरकार द्वारा कराए जा रहे जातीय जनगणना को ये कह कर कोर्ट में चुनौती दी गई है कि ये कार्य राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.

patna high court
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Published : May 3, 2023, 8:02 AM IST

Updated : May 3, 2023, 5:56 PM IST

पटनाः बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है. कल यानी 2 मई को भी इस मामले पर दोनों पक्षों ने कोर्ट के सामने अपने-अपने तर्क रखे थे. अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई पूरी होने के बाद अब गुरुवार को उच्च न्यायालय इस पर अंतरिम आदेश जारी करेगा.

ये भी पढे़ंः Bihar Caste Census: बिहार में जातिगत जनगणना के क्या हैं फायदे और नुकसान? एक क्लिक में जानें सबकुछ

पटना HC में जातीय जनगणना के खिलाफ सुनवाई पूरी : कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान ये जानना चाहा कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जो जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार ही करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है.

''बिहार सरकार गणना में 17 बिंदुओं पर जानकारी ले रही है, जिसमें धर्म जाति और आर्थिक स्थिति शामिल है. ऐसे में यह किसी की स्वतंत्रता और निजता के खिलाफ है. आपके पास आधार समेत सारे दस्तावेज है, ऐसे में किसी की गोपनीयता को उजागर करना गैरकानूनी है.'' - दीनू कुमार, याचिकाकर्ता

अब गणना होगी या नहीं, 4 मई को अंतरिम आदेश : वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल पी के शाही ने कहा कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण किया कराया जा रहा है. आपको बता दें कि इस मामले पर याचिकाकर्ताओं की ओर से दीनू कुमार और ऋतु राज, अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष अपना- अपना पक्ष प्रस्तुत किया. ऐसे में अब सुनवाई पूरी हो गई. अब गणना होगी या नहीं, 4 मई को अंतरिम आदेश आएगा.

बिहार में जातिगत जनगणना की थी मांगः आपको बता दें कि बिहार में जाति आधारित जनगणना का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, लेकिन इसका विरोध भी लगातार जारी है. एक तरफ जहां कोर्ट में इसे चुनौती दी गई और मामला कोर्ट में चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार फायदे गिना रही है. बिहार में पिछड़ी राजनीति करने वाले अधिकांश राजनीतिक दलों और नेताओं ने मांग की कि बिहार में जातिगत जनगणना की जानी चाहिए. दरअसल जातिगत जनगणना कराने को लेकर पिछले साल बिहार के राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिला था. लेकिन केंद्र के मना करने के बाद अब बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना करा रही है.

पटनाः बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है. कल यानी 2 मई को भी इस मामले पर दोनों पक्षों ने कोर्ट के सामने अपने-अपने तर्क रखे थे. अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई पूरी होने के बाद अब गुरुवार को उच्च न्यायालय इस पर अंतरिम आदेश जारी करेगा.

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पटना HC में जातीय जनगणना के खिलाफ सुनवाई पूरी : कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान ये जानना चाहा कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जो जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार ही करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है.

''बिहार सरकार गणना में 17 बिंदुओं पर जानकारी ले रही है, जिसमें धर्म जाति और आर्थिक स्थिति शामिल है. ऐसे में यह किसी की स्वतंत्रता और निजता के खिलाफ है. आपके पास आधार समेत सारे दस्तावेज है, ऐसे में किसी की गोपनीयता को उजागर करना गैरकानूनी है.'' - दीनू कुमार, याचिकाकर्ता

अब गणना होगी या नहीं, 4 मई को अंतरिम आदेश : वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल पी के शाही ने कहा कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण किया कराया जा रहा है. आपको बता दें कि इस मामले पर याचिकाकर्ताओं की ओर से दीनू कुमार और ऋतु राज, अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष अपना- अपना पक्ष प्रस्तुत किया. ऐसे में अब सुनवाई पूरी हो गई. अब गणना होगी या नहीं, 4 मई को अंतरिम आदेश आएगा.

बिहार में जातिगत जनगणना की थी मांगः आपको बता दें कि बिहार में जाति आधारित जनगणना का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, लेकिन इसका विरोध भी लगातार जारी है. एक तरफ जहां कोर्ट में इसे चुनौती दी गई और मामला कोर्ट में चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार फायदे गिना रही है. बिहार में पिछड़ी राजनीति करने वाले अधिकांश राजनीतिक दलों और नेताओं ने मांग की कि बिहार में जातिगत जनगणना की जानी चाहिए. दरअसल जातिगत जनगणना कराने को लेकर पिछले साल बिहार के राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिला था. लेकिन केंद्र के मना करने के बाद अब बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना करा रही है.

Last Updated : May 3, 2023, 5:56 PM IST
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