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HC में सरकार ने हलफनामा पेश कर मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले में कार्रवाई की सौंपी रिपोर्ट

मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले में पटना हाईकोर्ट में (Hearing In Patna High Court) सुनवाई हुई. जहां याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा है.

Patna High Court
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Published : Mar 25, 2022, 2:19 PM IST

पटनाः मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले (Muzaffarpur Eye Hopital Case) में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई हुई. मुकेश कुमार के दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई की. जहां राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर कर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आंखों की रोशनी खोने वाले पीड़ितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराई गई है.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल मामला: मोतिहारी के 15 में से 8 मरीज IGIMS जाने को तैयार नहीं, ऐसे में कैसे होगा इलाज?

हाईकोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब देने के लिए कोर्ट ने 31 मार्च, 2022 तक की मोहलत दी है. अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीके सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था.

यह भी पढ़ें- Muzaffarpur Eye Hospital Case : बड़ा सवाल- आंख तो गई, पर कब मिलेगा मुआवजा ?

इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आंखों की दृष्टि खोनी पड़ी. याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी.

मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31 मार्च,2022 को होगी. बता दें कि पिछले साल 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप (Muzaffarpur Cataract Operation Camp) लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों को एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि, उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों के कहना था कि अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरी आंख भी खोना पड़ेगा. जिसके बाद कई मरीजों की आखं निकाल दी गई. मामले में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए पटना हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.

ये भी पढ़ेंः पटना हाईकोर्ट में मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड पर सुनवाई, CS का हलफनामा असंतोषजनक, स्वास्थ्य विभाग को ये निर्देश

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पटनाः मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले (Muzaffarpur Eye Hopital Case) में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई हुई. मुकेश कुमार के दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई की. जहां राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर कर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आंखों की रोशनी खोने वाले पीड़ितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराई गई है.

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हाईकोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब देने के लिए कोर्ट ने 31 मार्च, 2022 तक की मोहलत दी है. अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीके सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था.

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इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आंखों की दृष्टि खोनी पड़ी. याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी.

मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31 मार्च,2022 को होगी. बता दें कि पिछले साल 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप (Muzaffarpur Cataract Operation Camp) लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों को एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि, उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों के कहना था कि अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरी आंख भी खोना पड़ेगा. जिसके बाद कई मरीजों की आखं निकाल दी गई. मामले में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए पटना हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.

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