पटना: अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी (Illegal Bangladeshi immigrants) महिलाओं से संबंधी याचिका पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने बांग्लादेश से बिहार में अवैध रूप से आईं तीन महिला अप्रवासी को नारी निकेतन में रखने के मामले में केंद्र सरकार को 12 जुलाई तक जवाब देने का समय दिया.
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महिलाओं को नारी निकेतन में क्यों रखा?
मरियम खातून की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अब तक हुई कार्रवाई के बारे में केंद्र सरकार से ब्यौरा मांगा था, लेकिन मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा कार्रवाई का ब्यौरा रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया. कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि इन बांग्लादेशी महिलाओं को डिटेंशन सेंटर की जगह नारी निकेतन में क्यों रखा गया है.
बिहार में क्यों नहीं है डिटेंशन सेंटर?
कोर्ट को बताया गया कि इन्हें बेऊर जेल में रखने के लिए अलग व्यवस्था है. कोर्ट ने जानना चाहा कि राज्य में डिटेंशन सेंटर क्यों नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जेल में डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया जा सकता है. कोर्ट ने अलग से डिटेंशन सेंटर बनाए जाने के बारे में जवाब मांगा था. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए पूछा था कि इन्हें वापस भेजने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है. 12 जुलाई को इस मामले में फिर सुनवाई की जाएगी.
घुसपैठियों को रखा जाता है जेल में
गौरतलब है कि बिहार में अवैध विदेशी घुसपैठियों को रखने के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है. अवैध विदेशी घुसपैठियों को जेल में ही अलग से रखा जाता है. बिहार की सीमा बांग्लादेश से लगती है. बिहार में गैरकानूनी ढंग से आए बांग्लादेशी नागरिकों की बड़ी तादाद है. विदेशी घुसपैठियों की समस्या कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में अधिक है.
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