पटना: मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटना में मरे एक शख्स के शव को बगैर अस्पताल पहुंचाए नदी में फेंक दिये जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. स्वतः संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.
शव फेंकने के मामले पर HC में सुनवाई: पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी करने के लिए कहा था. इस मामले पर टिपण्णी करते हुए कहा कि राज्य सरकार को राज्य की पुलिस को संवेदनशील बनाने के लिए तमाम कदम उठाने चाहिए. पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सरकार द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
पुलिस का अमानवीय चेहरा हुआ था उजागर: गौरतलब है कि शव को सीधे नदी में फेंक कर ठिकाने लगा दिया गया था, जिसका वीडियो रविवार (8 अक्टूबर) को वायरल हो गया. राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर एक घातक सड़क दुर्घटना ने एक अज्ञात व्यक्ति की जान ले ली. दुर्घटना स्थल पर एक अज्ञात ट्रक द्वारा कुचले जाने के बाद उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई थी.
नहर से नीचे फेंका गया था शव: बाद में घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को अस्पताल पहुंचाया नहीं पहुंचाया और ना ही पोस्टमार्टम ही कराया. इतना ही नहीं कुछ पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से शव को सड़क से उठाया और अमानवीय तरीके से एक पुल के ऊपर से लाठियों का उपयोग करके उसे नदी में नीचे फेंक दिया.
वायरल वीडियो के बाद पुलिस की किरकिरी: पुलिस की हरकत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. वीडियो के व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद पुलिस की आलोचना बढ़ गई. वीडियो में साफ दिखा कि कैसे खून से लथपथ लाश को पुलिसवालों ने लाठी से पुल से नदी में धकेल दिया. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने देर रात शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
कोर्ट ने इस मामले पर भी लिया संज्ञान: वायरल वीडियो के अनुसार एक पुलिस अधिकारी शव को पैरों से उठाकर नदी में फेंकने के लिए पुल की रेलिंग पर रखा और इसके बाद, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने शव को नदी की ओर धकेलने के लिए छड़ी का इस्तेमाल किया. कोर्ट ने बिहार मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया, जिसमें कोविड के दौरान शवों को नदी में बहाए जाने की बात उजागर हुई थी.