पटना: कोरोना संक्रमण से ठीक होने वालों में अन्य संक्रामक बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. पहले ब्लैक फंगस फिर व्हाइट फंगस और अब हैप्पी हाइपोक्सिया नामक बीमारी का नाम इस कड़ी में जुड़ गया है.
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तेजी से गिरता है ऑक्सीजन लेवल
हैप्पी हाइपोक्सिया के पटना में कई मामले सामने आ चुके हैं. पीएमसीएच में भी इस बीमारी के कई मरीज मिले हैं. ऐसे में पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ. अजय अरुण ने बताया कि हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी साइलेंट किलर की तरह है. इसमें अचानक मरीज का ऑक्सीजन लेवल काफी गिर जाता है. ऐसी स्थिति में मरीज को बचाना मुश्किल होता है.
युवा अधिक हो रहे शिकार
डॉ. अजय अरुण ने कहा "यह बीमारी कोरोना से ग्रसित युवाओं में काफी ज्यादा देखने को मिल रही है. क्योंकि वे अपने ऑक्सीजन सैचुरेशन पर नियमित ध्यान नहीं देते हैं. ऐसे में जब थोड़ा बहुत उनका ऑक्सीजन डाउन होता है तब भी उन्हें पता नहीं चलता. जब अचानक ऑक्सीजन लेवल बहुत नीचे चला जाता है तब मरीज को समझ में आता है कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है और मरीज की बहुत कम समय में ही मौत भी हो जाती है."
50-70 पर पहुंच जाता है ऑक्सीजन लेवल
डॉ अजय अरुण ने कहा "हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी होने पर मरीज के ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल काफी कम हो जाता है. मरीज को लगता है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है, मगर अचानक से उसका ऑक्सीजन लेवल 50 से 70 पर पहुंच जाता है. ऐसे में मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है.
ब्लड में ऑक्सीजन की सप्लाई अगर कम होती है तो शरीर के कई पार्ट (लंग्स, किडनी, फेफड़ा, हार्ट, ब्रेन इत्यादि) डैमेज होने शुरू हो जाते हैं. शरीर के अंग तेजी से डैमेज होना शुरू होते हैं तो फिर रिकवर कर पाना मुश्किल हो जाता है.
2 दिन में हो जाती है मौत
अजय अरुण ने कहा "पीएमसीएच में अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं उसमें 10% मामले हैप्पी हाइपोक्सिया के रहे हैं, जिसमें मरीज तो आता है सही स्थिति में मगर अचानक से उसकी तबीयत बिगड़ जाती है और काफी मरीजों की 2 दिन के अंदर ही मौत हो जाती है."
ऑक्सीजन सैचुरेशन अधिक गिरने पर अस्पताल आते हैं युवा
अजय अरुण ने कहा "कोरोना संक्रमित कई युवाओं में पहले से लक्षण मौजूद नहीं होता. ऐसे में कई बार यह देखने को मिलता है कि वे अपने हिम्मत के बल पर मजबूती से खड़े रहते हैं. ऐसे में उनके शरीर का ऑक्सीजन सैचुरेशन गिर रहा होता है मगर उन्हें पता नहीं चलता. जब अचानक से ऑक्सीजन सैचुरेशन 70 से 60 पर पहुंच जाता है तब उसे बेचैनी होने लगती है और जब उन्हें अस्पताल में लाया जाता है तब एचआरसीटी में पता चलता है कि फेफड़ा काफी हद तक संक्रमित हो चुका है."
युवाओं की अधिक मौत के लिए जिम्मेदार है हैप्पी हाइपोक्सिया
डॉ अजय अरुण ने कहा "कोरोना के सेकेंड वेब में युवाओं की मौतें अधिक हुई हैं. उनमें काफी मामले हैप्पी हाइपोक्सिया के रहे हैं. बुजुर्ग का ऑक्सीजन सैचुरेशन गिरना शुरू होता है तो उन्हें तुरंत बेचैनी महसूस होती है और उन्हें यह बीमारी काफी कम देखने को मिलती है. इसका इलाज भी वही है जो कोरोना का इलाज है और अगर समय पर हैप्पी हाइपोक्सिया का पता चल जाता है तो उसे ठीक किया जा सकता है. इसे ठीक करने में स्टेरॉयड का प्रयोग करना होता है."
दिन में दो बार करें ऑक्सीजन सैचुरेशन चेक
हैप्पी हाइपोक्सिया बहुत ही खतरनाक है. ऐसे में अगर कोई युवा कोरोना संक्रमित हुआ हो, संक्रमण की संभावना वाले स्थान पर जाता हो या फिर बाहर ज्यादा भ्रमण करता हो तो उसे सुबह-शाम दिन में दो बार ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन सैचुरेशन चेक करते रहना चाहिए. इस बीमारी का नाम हैप्पी हाइपोक्सिया इसीलिए है क्योंकि इसमें मरीज को पता ही नहीं चलता कि वह इस गंभीर बीमारी से पीड़ित है और जब पता चलता है तब काफी देर हो जाती है."- डॉ. अजय अरुण, प्रभारी, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच
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