पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है और बिहार में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी है. शनिवार को भी नालंदा में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत (Suspicious Death of Many People in Nalanda) हो गई है. जिसके बाद बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर सियासत जारी है. शराबबंदी कानून पर हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हम लोग शुरू से कहते रहे हैं कि शराबबंदी कानून से सिर्फ बिहार के गरीब लोगों को दिक्कत हो रही है. जो लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं, वो गरीब है और मुख्यमंत्री इस बात को समझ नहीं रहे हैं.
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''हमारे नेता मांझी जी ने शराबबंदी कानून का शुरू से विरोध किया है. मुख्यमंत्री से बार-बार अपील करते हैं कि गुजरात मॉडल शराबबंदी लागू की जाय. बावजूद इसके मुख्यमंत्री ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. लगातार जहरीली शराब पीकर लोग मर रहे हैं. एक बार फिर से हम मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि शराबबंदी कानून की समीक्षा हो, जो कानून है उसमें बदलाव किया जाए, जिससे गरीब जनता को परेशानी नहीं झेलनी पड़े.''- दानिश रिजवान, हम प्रवक्ता
बता दें कि बिहार में लागू शराबबंदी कानून सीएम नीतीश के गले की फांस बनती जा रही है. विपक्ष, भाजपा और सत्ता में शामिल दल अब खुलेआम इसका विरोध कर रहे हैं. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने सवाल उठाते हुए कहा कि कृषि कानून वापस हो सकते हैं, तो शराबबंदी पर विचार क्यों नहीं हो सकता है.
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पूर्व सीएम ने कहा कि नीतीश कुमार को इस पर समझना, सोचना और विचार करना चाहिए. जब पीएम मोदी कृषि कानून को वापस ले सकते हैं, तो आप इसपर विचार क्यों नहीं कर सकते. मांझी ने कहा कि शराबबंदी पर मैं इतनी बार बोल चूका हूं कि अब बोलना बेईमानी लगती है. नालंदा में शराब से लोगों की मौतें हुई हैं. इससे पहले भी मौत हो चुकी है. अगर इस मुद्दे पर वे कुछ बोलेंगे तो भाजपा और अन्य लोग दूसरे तरीके से समझ जाते हैं. लेकिन सीएम नीतीश कुमार इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिए हैं.
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