पटना: हर साल 19 नवंबर के विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है. 2001 से इस दिवस को विश्व शौचालय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत विश्व शौचालय संगठन की ओर से की गई थी. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को शौचालय के इस्तेमाल को लेकर जागरूक करना है, लेकिन आज भी बड़ी आबादी शौच के लिए बाहर ही जाते हैं.
विश्व शौचालय दिवस के दिन ईटीवी भारत की टीम जमीनी हकीकत की जांच करने पटना के कदम कुआं थाना क्षेत्र के बुद्ध मूर्ति इलाके में पहुंची तो नतीजे हैरान और परेशान करने वाले थे. दरअसल, मूर्ति के पास ऐसे दर्जनों झुग्गी-झोपड़ी हैं, जहां सैकड़ों परिवार रहते हैं. लेकिन किसी एक भी शौचालय नहीं है. शौच के लिए ये लोग सड़क या नालों का रुख करते हैं.
'राशन कार्ड तक नहीं है'
बुद्ध मूर्ति के पास अपनी झोपड़ी बनाकर रह रही सुदमिया देवी कहती है कि सरकार को सिर्फ उनके वोट से मतलब है. तभी तो कोई सुधी लेने नहीं आता है. उन्होंने कहा कि शौचायल तो छोड़िए हमारे पास राशन कार्ड तक नहीं है. चुनाव के समय स्थानीय नेताओं ने वोटर कार्ड बनवाया था.
कई परिवार हैं शौचालय से वंचित
विश्व शौचालय दिवन बनाने का उद्देश यह है कि सभी लोग शौचालय के इस्तेमाल को लेकर जागरूक हो सकें. ताकि बाहर शौच करने से फैलने वाले संक्रमण से बचा जा सके. लेकिन सरकारी आंकड़े बताते हैं कि आज भी विश्व में कई करोड़ लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं या उनके पास इसकी सुविधा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 4.2 अरब आबादी को आज भी शौचालय उपलब्ध नहीं है.