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Namami Gange Project in Bihar: गंगा की साफ सफाई पर करोड़ों खर्च, 8 साल बाद भी वही हाल

गंगा नदी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण योजना नमामि गंगे की साल 2014 में शुरूआत की थी. नमामि कार्यक्रम, पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रोजेक्ट नेशनल मिशन फोर क्लीन गंगा (एमसीजी) का फ्लैगशिप प्रोग्राम यानि सबसे प्रमुख कार्यक्रम है. लेकिन, बिहार में 2014 से शुरू हुई नमामि गंगे योजना अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. प्रदेश में नदी के किनारे बसे शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है. इसके चलते पटना के घाटों पर गंगा का पानी कम नाले का कचरा अधिक दिखता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Namami Gange Project in Bihar
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Published : Dec 30, 2022, 6:31 AM IST

पटना: जिस गंगा किनारे हजारों लोग कभी हर सुबह स्नान करने आते थे आज उसी गंगा किनारे दो मिनट खड़ा रहना भी मुश्किल है. बिहार में गंगा नदी में सीवरेज का गंदा पानी (Sewage Water in Ganga) जाने से रोकने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है. गंगा किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर स्वच्छ करने के सारे वादे अब तक सिर्फ कागजों पर नजर आते हैं. आज पीएम मोदी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक साथ मंच पर होंगे. ऐसे में क्या कुछ बात निकलकर सामने आती है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.

ये भी पढ़ें - वैशाली: पुरानी गंडक घाट के पास गंदगी का अंबार, नमामी गंगे की लिस्ट में है शामिल

बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल: बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक और छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गंगा नदी में गिरता है. उसी गंगा में सुबह शाम लोग स्नान करने आते थे. लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने गंगा की साफ-सफाई पर करोड़ों खर्च किए हैं तो दिखता क्यों नहीं? सालों से गंगा की हालत जस की तस है.

क्‍या है CAG रिपोर्ट में? : सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राशि बैंक में रहने के बावजूद खर्च नहीं किए जाने का खुलासा किया है. जिस वजह से सीवरेज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका और गंगा में आज भी गंदा पानी बह रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, चार वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 683 करोड़ 10 लाख रुपए को बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन सोसायटी (बीजीसीएमएस) द्वारा इस्तेमाल किया जाना था, जो नहीं किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार लेखा परीक्षा में पाया गया कि 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया जा रहा था. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि पटना में सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोकने के लिए राशि बैंकों में रह गई लेकिन खर्च नहीं हो पाया और इसके कारण योजना पूरी नहीं हो सकी.

NGT की ओर से 667 करोड़ का जुर्माना : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 667 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है. राज्य के अलग-अलग शहरों में सीवरेज का निर्माण पूरा नहीं होने के कारण नदियों में गंदा पानी जाने से नहीं रोके जाने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से यह जुर्माना लगाया गया है.

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राशि बैंक खातों में जमा कर दिए जाने के कारण सीवरेज निर्माण की गुणवत्ता का स्तर काफी नीचे रहा. बुडको सीवरेज के साथ एसटीपी का निर्माण आज तक पूरा नहीं कर सका और इस कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों में पटना के नालों का गंदा पानी खुलेआम आज भी गिर रहा है. गंगा पर काम करने वाले विशेषज्ञ पूरी योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं आर्थिक विशेषज्ञ इसे भ्रष्टाचार का बड़ा कारण बता रहे हैं.

''नमामि गंगे योजना के तहत कितने सालों से काम हो रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि एक भी बूंद सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोका नहीं जा सका है.'' - गुड्डु बाबा, सोशल एक्टिविस्ट

''ऐसा नहीं है कि तकनीकी लोगों की कमी है या फिर प्रशासनिक ढांचा हमारा कमजोर है. लेकिन राशि खर्च नहीं होना प्रशासनिक और सरकार की अक्षमता है. यह एक तरह से भ्रष्टाचार का भी मामला है.'' - एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

नमामि गंगे.. बिहार में 8 बड़ी परियोजनाएं : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिहार में 1259 करोड़ से अधिक की आठ बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिली थी. इन परियोजनाओं के तहत पटना, मोकामा, बाढ़, नवगछिया और सुल्तानगंज को चुना गया.

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ईटीवी भारत GFX.

पटना में गंगा की गंदगी के लिए जिम्मेदार नाले : बता दें कि पिछले आठ सालों में गंगा की हालत में कुछ नहीं बदला. गंदगी की वजह से गंगा किनारे रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है. पटना जिेले के तमाम घाटों पर गंगा में मिलने वाले नाला के पानी में लोग स्नान करने के लिए मजबूर है.

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पटना: जिस गंगा किनारे हजारों लोग कभी हर सुबह स्नान करने आते थे आज उसी गंगा किनारे दो मिनट खड़ा रहना भी मुश्किल है. बिहार में गंगा नदी में सीवरेज का गंदा पानी (Sewage Water in Ganga) जाने से रोकने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है. गंगा किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर स्वच्छ करने के सारे वादे अब तक सिर्फ कागजों पर नजर आते हैं. आज पीएम मोदी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक साथ मंच पर होंगे. ऐसे में क्या कुछ बात निकलकर सामने आती है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.

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बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल: बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक और छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गंगा नदी में गिरता है. उसी गंगा में सुबह शाम लोग स्नान करने आते थे. लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने गंगा की साफ-सफाई पर करोड़ों खर्च किए हैं तो दिखता क्यों नहीं? सालों से गंगा की हालत जस की तस है.

क्‍या है CAG रिपोर्ट में? : सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राशि बैंक में रहने के बावजूद खर्च नहीं किए जाने का खुलासा किया है. जिस वजह से सीवरेज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका और गंगा में आज भी गंदा पानी बह रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, चार वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 683 करोड़ 10 लाख रुपए को बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन सोसायटी (बीजीसीएमएस) द्वारा इस्तेमाल किया जाना था, जो नहीं किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार लेखा परीक्षा में पाया गया कि 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया जा रहा था. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि पटना में सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोकने के लिए राशि बैंकों में रह गई लेकिन खर्च नहीं हो पाया और इसके कारण योजना पूरी नहीं हो सकी.

NGT की ओर से 667 करोड़ का जुर्माना : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 667 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है. राज्य के अलग-अलग शहरों में सीवरेज का निर्माण पूरा नहीं होने के कारण नदियों में गंदा पानी जाने से नहीं रोके जाने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से यह जुर्माना लगाया गया है.

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राशि बैंक खातों में जमा कर दिए जाने के कारण सीवरेज निर्माण की गुणवत्ता का स्तर काफी नीचे रहा. बुडको सीवरेज के साथ एसटीपी का निर्माण आज तक पूरा नहीं कर सका और इस कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों में पटना के नालों का गंदा पानी खुलेआम आज भी गिर रहा है. गंगा पर काम करने वाले विशेषज्ञ पूरी योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं आर्थिक विशेषज्ञ इसे भ्रष्टाचार का बड़ा कारण बता रहे हैं.

''नमामि गंगे योजना के तहत कितने सालों से काम हो रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि एक भी बूंद सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोका नहीं जा सका है.'' - गुड्डु बाबा, सोशल एक्टिविस्ट

''ऐसा नहीं है कि तकनीकी लोगों की कमी है या फिर प्रशासनिक ढांचा हमारा कमजोर है. लेकिन राशि खर्च नहीं होना प्रशासनिक और सरकार की अक्षमता है. यह एक तरह से भ्रष्टाचार का भी मामला है.'' - एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

नमामि गंगे.. बिहार में 8 बड़ी परियोजनाएं : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिहार में 1259 करोड़ से अधिक की आठ बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिली थी. इन परियोजनाओं के तहत पटना, मोकामा, बाढ़, नवगछिया और सुल्तानगंज को चुना गया.

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पटना में गंगा की गंदगी के लिए जिम्मेदार नाले : बता दें कि पिछले आठ सालों में गंगा की हालत में कुछ नहीं बदला. गंदगी की वजह से गंगा किनारे रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है. पटना जिेले के तमाम घाटों पर गंगा में मिलने वाले नाला के पानी में लोग स्नान करने के लिए मजबूर है.

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