पटना : बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की जयंती के मौके पर शनिवार को बिहार इंटेलेक्चुअल फोरम और मेड यूनिवर्सल फाउंडेशन की ओर से बिहार केसरी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर आचार्य किशोर कुणाल और कई गणमान्य मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें : Shri Krishna Singh Jayanti: 'दलितों के लिए लाठी खाए श्रीकृष्ण सिंह'.. बिहार के प्रथम सीएम की जयंती पर वृषण पटेल
विशिष्ट लोगों को किया गया सम्मानित : कार्यक्रम में राज्यपाल ने पद्म भूषण डॉ शारदा सिन्हा, पद्मश्री डॉक्टर शांति राय, पद्मश्री डॉ विजय प्रकाश, पद्मश्री सुधा वर्गीज और जाने माने शिक्षाविद खान सर को बिहार केसरी सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा उद्योग जगत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कर रहे लोगों को भी विशिष्ट सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने लोगों से श्री कृष्ण सिंह के पद चिन्हों पर चलते हुए जात-पात की भावनाओं से ऊपर उठकर समाज हित में एकजुट होकर सोचने और कार्य करने की अपील की.
"श्री कृष्ण सिंह के दौर में बिहार तेज गति से आगे बढ़ रहा था और विकसित प्रदेशों में बिहार की गिनती की जाती थी. लेकिन आज हम सभी के मन में बैठ गया है कि बिहार गरीब प्रदेश है कमजोर प्रदेश है विकसित नहीं है. यह हीनता की भावना हमें खुद के भीतर से निकालनी होगी तभी प्रदेश का विकास होगा. जब हम नालंदा और विक्रमशिला की बात करते हैं तो बिहार का काफी समृद्धि इतिहास रहा है और देश-विदेश से लोग बिहार में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे. लेकिन आज जब वह बिहार के विश्वविद्यालय को देखते हैं तो पाते हैं कि काफी संख्या में बिहार के बच्चे शिक्षा के लिए दूसरे प्रदेश में पलायन कर रहे हैं."- राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल
फिर लौटेगा बिहार का गौरव : राज्यपाल ने कहा कि वह खुद को बिहारी मानते हैं और इसके लिए वह खुद को जिम्मेदार मानते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं का भविष्य बनाने के लिए जिनके हाथों में जिम्मेवारी है उसमें वह भी शामिल है. उन्होंने कहा कि अगर गलती हमसे हुई है तो हमें ही सुधारना होगा और हमें ही बिहार के बच्चों को बेहतर भविष्य देना होगा ताकि बिहार के बच्चे शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाएं. उन्होंने ने कहा कि उनकी एक ही ख्वाहिश है कि बिहार का फिर से वह गौरव का दिन लौटे, जब दूसरे प्रदेशों के बच्चे शिक्षा ग्रहण के लिए बिहार आए.
बिहार के विश्वविद्यालयों में सेशन होगा सुचारू : राज्यपाल ने कहा कि बिहार के विश्वविद्यालय में वह शैक्षणिक माहौल बनाना चाहते हैं. विश्वविद्यालय के सेशन को सुचारू बनाने के लिए वह निरंतर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में जाति-पात की राजनीति से प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है. जब हम जातियों में बंटते हैं तो हम पतन की ओर जाते हैं और हमारा विकास अवरूद्ध हो जाता है. जब हम समाज हित में एकजुट होकर सोचते हैं और कार्य करते हैं तो हम प्रदेश इसके विकास की दिशा में आगे बढ़ते हैं.
'संपन्न लोग एक टीबी मरीज को गोद लें' : राज्यपाल ने इस मौके पर संपन्न लोगों से आग्रह किया कि बिहार में 120000 टीबी के मरीज हैं, उनमें से संपन्न लोग कम से कम एक को गोद ले और 6 महीना उसके दवा का खर्च उठाएं. इससे हम 2024 तक टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि वह खुद 51 टीबी पेशेंट को गोद लिए हुए हैं. कार्यक्रम में सम्मानित होने के बाद प्रख्यात शिक्षाविद खान सर ने कहा कि इस प्रकार के सम्मान से मनोबल बढ़ता है और लगता है कि उनके कार्यों को सराहा जा रहा है.
बच्चों को खूब मेहनत करने का आग्रह किया : राज्यपाल से उन्होंने बिहार के विश्वविद्यालय की शिक्षा को लेकर बातें की है और उनसे आग्रह किया है कि बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी है कि विश्वविद्यालय का सेशन सुचारू हो. राज्यपाल भी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. वहीं बिहार में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर उन्होंने कहा कि इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले बच्चों के लिए वह यही कहेंगे कि खूब पढ़िए खूब मेहनत कीजिए और सफल होने के लिए पढ़ाई के अलावा कोई विकल्प नहीं है.