पटना: रेलवे स्कूलों (Indian Railways Schools) को बंद करने की कोशिश लंबे समय से हो रही है. पहले ही काफी प्राइमरी स्कूल बंद किए जा चुके हैं. लेकिन बीते कुछ दिन पहले यह मामला आया कि देश भर में रेलवे के स्कूलों पर ताला लगने वाला है, इसके साथ ही इसपर विवाद शुरू हो गया है.
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जहां एक तरफ रेलवे यूनियन कर्मचारी में भारी आक्रोश देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ रेलवे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की भविष्य दांव पर है. रेलवे स्कूल का निर्माण इसलिए कराया गया था ताकि रेलवे के कर्मचारियों के बच्चे उस स्कूल में पढ़े. लेकिन समय के साथ रेलवे कर्मचारियों की मानसिकता बदली और रेलवे कर्मचारी, अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने लगे. इसको देखते हुए रेलवे बोर्ड के द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि देश भर के रेलवे स्कूलों को बंद करके पीपीपी मॉडल पर नए स्कूल बनाए जाएंगे.
रेलवे बोर्ड के द्वारा धीरे धीरे रेलवे स्टेशन, रेलवे अस्पताल और अब रेलवे स्कूल को भी प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में देने की तैयारी की जा रही है. इस मामले को लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल किया कि पूर्व मध्य रेल में कितने रेलवे स्कूल अभी संचालित हैं, और उसमें कितने रेलवे कर्मचारी के बच्चे पढ़ते हैं.
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हमारी टीम ने पाया कि वाकई में रेलवे स्कूल में रेलवे कर्मचारी के बच्चे बहुत कम संख्या में पढ़ते हैं. निजी बच्चे ज्यादा संख्या में रेलवे के स्कूल में पढ़ाई करते हैं. हमने दानापुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल का जायजा लिया. प्रिंसिपल ज्ञानेश्वर कुमार ने बताया कि स्कूल बंद करने का फैसला सही नहीं है.
"दानापुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मात्र 96 बच्चे रेलवे कर्मचारियों के पढ़ते हैं. 435 नॉन रेलवे के बच्चे पढ़ते हैं. इस स्कूल में कुल 531 बच्चे पढ़ते हैं. इस स्कूल में कक्षा 1 से लेकर 12th तक के क्लास चलते हैं. स्कूल में किसी भी मामले में कोई कमी नहीं है. पहले थोड़ी बहुत कमी थी, लेकिन उसको दूर कर दिया गया है."- ज्ञानेश्वर कुमार, प्रिंसिपल,सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दानापुर रेलवे
अब सवाल यह उठता है कि रेलवे के द्वारा संचालित स्कूल में जब सभी तरह की मूलभूत सुविधा है तो आखिरकार रेलवे कर्मचारी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में क्यों पढ़ा रहे हैं. इधर रिटायर्ड शिक्षिका सिंगिना सत्यनारायण का कहना है कि रेलवे द्वारा किया गया फैसला उचित नहीं है. स्कूल को और अच्छे ढंग से चलाने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए.
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"रेलवे स्कूल में हर वह फैसिलिटी है जिससे बच्चे अच्छे ढंग से पढ़ सकते हैं. सिर्फ प्राइवेटाइजेशन करके स्कूल को अच्छा नहीं बनाया जा सकता है बल्कि सरकार चाहे तो रेलवे स्कूल में भी अच्छी पढ़ाई हो सकती है. रेलवे कर्मचारी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं. रेलवे कर्मचारी को साल भर शिक्षा भत्ता मिलता है. ये भी एक कारण है कि वे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्राइवेट स्कूल भेजते हैं. जिस कारण से रेलवे स्कूलों में रेलवे कर्मचारियों के बच्चों की संख्या कम होती है."- सिंगिना सत्यनारायण, रिटायर्ड शिक्षिका, रेलवे स्कूल
बता दें कि देशभर में रेलवे के कुल 94 स्कूल हैं. जिसमें कर्मचारी से लेकर बाहर के लोगों के बच्चे पढ़ सकते हैं. साल 2019 में रेलवे कर्मचारियों के 15,399 बच्चों ने दाखिला लिया. जबकि बाहर के 34,277 बच्चों ने इन स्कूलों में दाखिला लिया. रेलवे 87 केंद्रीय विद्यालय को सहायता प्रदान करती है जिनमें 33,212 रेलवे के और 55,386 बाहर के बच्चे पढ़ाई करते हैं. रेलवे कर्मचारियों के 4 से 18 साल तक के लगभग 8 लाख बच्चे हैं जबकि इनमें से महज़ 2% बच्चे ही रेलवे के स्कूलों में पढ़ते हैं.
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"जिस रेलवे स्कूल में रेलवे कर्मचारी के बच्चे पढ़ते हैं. वे स्कूल बंद नहीं होंगे, रेलवे प्रशासन के द्वारा यूनियन को आश्वस्त किया गया है. जिस स्कूल में रेलवे कर्मचारी के बच्चे नहीं पढ़ते हैं उन स्कूलों को बंद करना तो बाध्यता है. ईस्ट सेंट्रल रेलवे में मात्र 3 जोन में ही स्कूल अभी संचालित है. 6 पे कमीशन के बाद से शिक्षा भत्ता मिलने से रेलवे कर्मचारी चाहते हैं कि हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ें."- एसएनपी श्रीवास्तव,महामंत्री, पूर्व मध्य रेल यूनियन
वहीं दानापुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है कि रेलवे स्कूल को बंद नहीं किया जाए. रेलवे स्कूल में पढ़ाई अच्छी होती है. रेलवे स्कूल अगर बंद होता है तो हम लोग को पढ़ाई लिखाई करने में बहुत दिक्कत होगी.
गौरतलब है कि रेलवे कर्मचारी में थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड के भी कर्मचारी शामिल हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों के बच्चे भी रेलवे स्कूलों में पढ़ते हैं या सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. जो ट्रैक मेंटेनेंस का काम करते हैं, वैसे रेल कर्मचारियों को रेलवे स्कूल बंद होने से समस्या उत्पन्न होगी.
बता दें कि पूर्व मध्य रेल में लगभग 20 स्कूल हैं, जिसमें सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. लेकिन 16 रेलवे स्कूल बहुत पहले बंद हो चुके हैं. अब मात्र पूर्व मध्य रेलवे के 3 डिवीजन में 4 स्कूल ही चल रहे हैं. दानापुर मंडल में एक ,सोनपुर मंडल के ग्रहरा में 1, मुगलसराय में 2 स्कूल चल रहे हैं.
इन सभी रेलवे स्कूलों में रेलवे कर्मचारियों के बच्चे बहुत ही कम है. ज्यादातर दूसरे विभाग या तो बिहार सरकार या तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते हैं. वहीं मिली जानकारी के अनुसार आने वाले 30 अक्टूबर को मुगलसराय के एक स्कूल को बंद किया जाएगा .सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह कहा गया है कि नया दाखिल ना किया जाए, जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनके अभिभावकों को समझाए कि अगले सत्र में अपने बच्चों का दाखिल कहीं और कराएं. जानकारी के मुताबिक उनको टीसी देकर स्कूल को बंद किया जाएगा.