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एक्सक्लूसिव: असंगठित मजदूरों का सही आंकड़ा बिहार सरकार के पास नहीं

बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार के पास असंगठित मजदूरों का सही आंकड़ा नहीं है.

श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा
श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा
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Published : Apr 7, 2020, 7:29 PM IST

Updated : Apr 8, 2020, 10:11 AM IST

पटना: आखिर सरकार कामगारों के हालत कैसे सुधारेगी? आखिर असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को अपने काम का सही मेहताना कैसे मिलेगा? कामगारों की रोटी, कपड़ा और मकान की बुनियादी जरूरतें कैसे पूरी होंगी? ये कुछ ऐसे जलते सवाल हैं जो सरकारों को हमेशा कटघरे में खड़ी करती हैं.

दरअसल, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के बारे में बिहार सरकार के पास अब तक कोई सटीक अनुमान और आंकड़े हैं ही नहीं. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने इस बात को माना है. हालांकि वे कहते है कि मजदूरों के हितों के लिए सरकार लगातार कार्यरत है. श्रम संसाधन विभाग भी मजदूरों के लिए हर संभव कदम उठा रही है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

असंगठित मजदूरों का आंकड़ा नहीं: विजय सिन्हा

श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा कहते है कि सरकार राज्य में रजिस्टर्ड मजदूरों के साथ-साथ बिना रजिस्टर्ड मजदूरों के लिए भी कई राहत कदम उठा रही है. जिनका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. ऐसे मजदूरों को डिटेक्ट करने की कोशिश की जा रही है. जल्द ही सभी मजदूरों को डिटेक्ट कर मदद की जाएगी.

लॉकडाउनः बिहार से बाहर फंसे, खाते में भेजे पैसे

बता दें कि कोरोना लॉकडाउन के बाद अब भी बड़ी संख्या में बिहार के मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. सरकार मजदूरों के लिए मुकम्मल व्यवस्था के दावे भी कर रही है. सरकार के मंत्री की माने तो एक लाख से ज्यादा लोगों के अकाउंट में पैसा भेजा जा चुका है. दूसरे राज्यों में भी राहत कैंप चलाए जा रहे हैं. बता दें कि बिहार सरकार ने अन्य राज्यों में फंसे एक लाख तीन हजार 579 लोगों के खाते में हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से आर्थिक मदद भेजी गई.

असंगठित मजदूर: सरकार के पास न डेटा न रोस्टर

बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को सीएम नीतीश कुमार लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रहे है. मजदूरों और पीड़ितों को सहायता पहुंचाने के लिए बैठकों का दौर भी जारी रहता है. लेकिन, यह एक कड़वा सच है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सरकार के पास न तो कोई औपचारिक रोस्टर है न ही कोई डेटा प्रकाशित हुआ है.

असंगठित मजदूर: सिर्फ चुनावी मुद्दा या...?

ऐसे में आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक और व्यापक बनाना होगा ताकि जिनकी कामगारों में गिनती तक नहीं होती, उनको भी इसका लाभ मिले. इसके लिए एक नये तंत्र की जरूरत है जो यह सुनिश्चित करे कि सभी कामगारों को इसका लाभ मिले. वो भी ऐेसे वक्त में जब कोरोना महामारी के बीच बिहार के कामगार दूसरे राज्यों में फंसे है.

पटना: आखिर सरकार कामगारों के हालत कैसे सुधारेगी? आखिर असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को अपने काम का सही मेहताना कैसे मिलेगा? कामगारों की रोटी, कपड़ा और मकान की बुनियादी जरूरतें कैसे पूरी होंगी? ये कुछ ऐसे जलते सवाल हैं जो सरकारों को हमेशा कटघरे में खड़ी करती हैं.

दरअसल, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के बारे में बिहार सरकार के पास अब तक कोई सटीक अनुमान और आंकड़े हैं ही नहीं. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने इस बात को माना है. हालांकि वे कहते है कि मजदूरों के हितों के लिए सरकार लगातार कार्यरत है. श्रम संसाधन विभाग भी मजदूरों के लिए हर संभव कदम उठा रही है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

असंगठित मजदूरों का आंकड़ा नहीं: विजय सिन्हा

श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा कहते है कि सरकार राज्य में रजिस्टर्ड मजदूरों के साथ-साथ बिना रजिस्टर्ड मजदूरों के लिए भी कई राहत कदम उठा रही है. जिनका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. ऐसे मजदूरों को डिटेक्ट करने की कोशिश की जा रही है. जल्द ही सभी मजदूरों को डिटेक्ट कर मदद की जाएगी.

लॉकडाउनः बिहार से बाहर फंसे, खाते में भेजे पैसे

बता दें कि कोरोना लॉकडाउन के बाद अब भी बड़ी संख्या में बिहार के मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. सरकार मजदूरों के लिए मुकम्मल व्यवस्था के दावे भी कर रही है. सरकार के मंत्री की माने तो एक लाख से ज्यादा लोगों के अकाउंट में पैसा भेजा जा चुका है. दूसरे राज्यों में भी राहत कैंप चलाए जा रहे हैं. बता दें कि बिहार सरकार ने अन्य राज्यों में फंसे एक लाख तीन हजार 579 लोगों के खाते में हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से आर्थिक मदद भेजी गई.

असंगठित मजदूर: सरकार के पास न डेटा न रोस्टर

बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को सीएम नीतीश कुमार लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रहे है. मजदूरों और पीड़ितों को सहायता पहुंचाने के लिए बैठकों का दौर भी जारी रहता है. लेकिन, यह एक कड़वा सच है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सरकार के पास न तो कोई औपचारिक रोस्टर है न ही कोई डेटा प्रकाशित हुआ है.

असंगठित मजदूर: सिर्फ चुनावी मुद्दा या...?

ऐसे में आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक और व्यापक बनाना होगा ताकि जिनकी कामगारों में गिनती तक नहीं होती, उनको भी इसका लाभ मिले. इसके लिए एक नये तंत्र की जरूरत है जो यह सुनिश्चित करे कि सभी कामगारों को इसका लाभ मिले. वो भी ऐेसे वक्त में जब कोरोना महामारी के बीच बिहार के कामगार दूसरे राज्यों में फंसे है.

Last Updated : Apr 8, 2020, 10:11 AM IST
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