पटना: बिहार विधानसभा का चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है. जहां एनडीए से लोजपा बाहर है तो वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम और मुकेश सहनी की पार्टी एनडीए में शामिल हो चुकी है. लेकिन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम गठबंधन के साथ मुस्लिम बहुल सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहा है. ऐसे में एनडीए और महागठबंधन के लिए एआईएमआईएम बड़ी चुनौती पेश करने वाला है.
वहीं, जदयू एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी का कहना है कि बिहार में मुस्लिम वोटर्स समझदार हैं और वह नीतीश कुमार के साथ हैं अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे. विधानसभा चुनाव में मुस्लिम और दलित वोट बैंक के साथ अति-पिछड़ा वोट बैंक पर भी लंबे समय से सियासत होती रही है. महागठबंधन और एनडीए दोनों की नजर इस वोट बैंक पर रही है. मुस्लिम वोट बैंक पर ऐसे तो आरजेडी लंबे समय से अपना दावा ठोकती रही है. लेकिन नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से आरजेडी के इस वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी मारी हुई. अब एआईएमआईएम कि पिछले कुछ सालों से इंट्री ने मुस्लिम वोट बैंक पर सियासत करने वालों की परेशानी बढ़ा दी है.
मुस्लिम बहुल इलाकों पर नजर
एआईएमआईएम देवेंद्र यादव की पार्टी के साथ गठबंधन कर चुका है और अन्य दलों के साथ भी गठबंधन की कोशिश में लगा है. कई सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है और खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों पर नजर है. ओवैसी की एंट्री पर जदयू एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी का कहना है लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का हक है और अब तो पहलवानी का समय है बहुत से नेता आएंगे और जाएंगे. लेकिन बिहार की जनता को पता है कि उसे क्या करना है.
बिहार में ओवैसी की हो चुकी हैं एंट्री
गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि जीत-हार जनता तय करती है. ओवैसी की पार्टी ने 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. देवेंद्र यादव की पार्टी के साथ चुनाव गठबंधन की भी घोषणा की है. ओवैसी पटना में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर चुके हैं और नीतीश सरकार को फेल बताया है और विपक्ष को भी नाकाम. ओवैसी की पार्टी की 2019 में हुए उपचुनाव में एंट्री भी विधानसभा में हो चुकी है और अब नजर बड़ी जीत की ओर है. इसलिए मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की दावेदारी ने कई दलों की मुश्किलें बढ़ा दी है.
बता दें कि राज्य की कई विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं. यानी उनका वोट ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करता है. 243 सीटों में से तीन दर्जन से अधिक सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. इन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटर 20 से 40 फीसदी या इससे भी अधिक हैं. राज्य की 11 के करीब ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 40 फीसदी के करीब हैं.
राज्य में मुस्लिम आबादी
2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की आबादी 10 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है और इसमें मुस्लिमों की संख्या तकरीबन 1 करोड़ 75 लाख से ज्यादा है.