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कार्तिक पूर्णिमा: पटना के गायघाट पर लगा 'भूतों का मेला', नदारद रहा प्रशासन

पटना के गयाघाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भूतों का मेला लगा. इस मेले में भूतों से मुक्ति दिलाने के लिए तांत्रिकों की दुकानें लगीं. फिर जो कुछ हुआ, वो ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हो गया.

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Published : Nov 30, 2020, 4:29 PM IST

भूतों का मेला
भूतों का मेला

पटना: पटना सिटी के गायघाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भूतों का मेला लगा. इस वैज्ञानिक युग में जहां हम चांद और मंगल ग्रह पर जाने की बात करते हैं. वहीं, गायघाट में अंधविश्वास के इस खेल में शामिल होने सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस बाबत प्रशासन मौन धारण कर लेता है.

पटना सिटी के गंगा घाट पर अंधविश्वास का जो नजारा देखने को मिला, उससे मन विचलित जरूर होता है. लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि सुरक्षा का दावा करने वाली पुलिस यहां नदारद रहती है. दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा नहाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसे में तंत्र मंत्र के नुमाइंदे अपनी दुकान चलाने से बाज नहीं आते. तांत्रिकों का मानना है कि इस दिन बुरी बला से मुक्ति मिलती है. लिहाजा, गंगा किनारे इनका काले जादू का खेल खेला जाता है.

पटना सिटी से अरुण कुमार की रिपोर्ट

अंधविश्वास की मजबूत बेड़ियां!
मानसिक रूप से कमजोर और असहाय लोगों के परिजन इन्हीं बाबाओं के झांसे में आकर गंगा घाट पहुंचते हैं. उन्हें उम्मीद होती है कि तंत्र मंत्र के सहारे उनका मरीज ठीक हो जाएगा. फिर घंटों अंधविश्वास का खेल चलता है. इस बाबत, मोटी रकम की उगाही भी की जाती है.

बहरहाल, कार्तिक पूर्णिमा के दिन चलने वाले तंत्र मंत्र पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी अभी तक शासन और प्रशासन ने नहीं लगाई है. लोगों को भगवान से मिलाने और प्रेत आत्माओं से मुक्ति दिलाने के नाम पर तांत्रिक अपनी जेब भर रहे हैं.

(ईटीवी भारत किसी भी अंधविश्वास का विरोध करता है. हमारा मकसद किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि लोगों को सावधान करना है.)

पटना: पटना सिटी के गायघाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भूतों का मेला लगा. इस वैज्ञानिक युग में जहां हम चांद और मंगल ग्रह पर जाने की बात करते हैं. वहीं, गायघाट में अंधविश्वास के इस खेल में शामिल होने सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस बाबत प्रशासन मौन धारण कर लेता है.

पटना सिटी के गंगा घाट पर अंधविश्वास का जो नजारा देखने को मिला, उससे मन विचलित जरूर होता है. लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि सुरक्षा का दावा करने वाली पुलिस यहां नदारद रहती है. दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा नहाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसे में तंत्र मंत्र के नुमाइंदे अपनी दुकान चलाने से बाज नहीं आते. तांत्रिकों का मानना है कि इस दिन बुरी बला से मुक्ति मिलती है. लिहाजा, गंगा किनारे इनका काले जादू का खेल खेला जाता है.

पटना सिटी से अरुण कुमार की रिपोर्ट

अंधविश्वास की मजबूत बेड़ियां!
मानसिक रूप से कमजोर और असहाय लोगों के परिजन इन्हीं बाबाओं के झांसे में आकर गंगा घाट पहुंचते हैं. उन्हें उम्मीद होती है कि तंत्र मंत्र के सहारे उनका मरीज ठीक हो जाएगा. फिर घंटों अंधविश्वास का खेल चलता है. इस बाबत, मोटी रकम की उगाही भी की जाती है.

बहरहाल, कार्तिक पूर्णिमा के दिन चलने वाले तंत्र मंत्र पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी अभी तक शासन और प्रशासन ने नहीं लगाई है. लोगों को भगवान से मिलाने और प्रेत आत्माओं से मुक्ति दिलाने के नाम पर तांत्रिक अपनी जेब भर रहे हैं.

(ईटीवी भारत किसी भी अंधविश्वास का विरोध करता है. हमारा मकसद किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि लोगों को सावधान करना है.)

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