पटना: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बिहार से विशेष संबंध रहा है. चंपारण आंदोलन से लेकर पटना के गांधी आश्रम तक बापू की कई यादें जुड़ी हुई हैं. खासकर राजधानी के गांधी आश्रम के साथ, जो पहले कभी उस समय के शिक्षा मंत्री सैयद महमूद का आवास हुआ करता था. उनके आवास पर गांधीजी 1917 से लेकर 1947 तक कुल 126 दिनों तक रहे थे.
बापू ने यहां काफी समय बिताये
देशभर में जब 1947 में दंगे भड़के थे. तब बापू दंगा समाप्त करवाने के लिए बिहार आये थे. इस दौरान वह गांधी आश्रम में सबसे लंबे समय तक लगातार 40 दिनों तक रुके थे. वह प्रतिदिन इस आश्रम के पास स्थित गांधी मैदान में शाम के समय जाकर प्रार्थना सभा करते थे. वहीं, पर लगातार शांति समिति की बैठक भी किया करते थे. डॉ राजेंद्र प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंह जैसे बिहार के दिग्गज नेता उनके साथ लगातार बैठकें करते थे. इसी आवास पर गांधी जी ने खान अब्दुल गफ्फार खान को भी बुलाया था. बाद में दंगा समाप्त कराने के बाद ही बापू पटना से वापस गए.
बदहाल स्तिथि में है आश्रम
साल 2017 में सैयद महमूद के आवास पर सीएम नीतीश कुमार की नजर पड़ी और इसका जीर्णोद्धार कराया गया, इसे गांधी आश्रम नाम दिया गया. राजधानी स्थित गांधी आश्रम एन सिन्हा इंस्टिट्यूट परिसर में है. एन सिन्हा इंस्टिट्यूट के पर इस आश्रम की देख-रेख की जिम्मेदारी है. बता दें कि गांधी आश्रम के नाम से मौजूद सैयद महमूद के आवास का जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन आज भी इस आवास में कई जगह से बरसात का पानी पसीज रहा है. आवास की बिजली भी कटी हुई है. गांधी जी की महत्वपूर्ण तिथियों और कार्यक्रम के मौके पर इस आवास का ताला खुलता है.
आश्रम के बारे में नहीं है लोगों को जानकारी
इस आश्रम के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण लोग यहां आते भी नहीं हैं. वैसे देखने के लिए भी यहां कुछ खास नहीं है. बापू का कुछ पोस्टर और उनके नाम पर जारी डाक टिकट है जो कि प्रदर्शनी के तौर पर रखा गया है, लेकिन अंधेरे के कारण वह भी साफ-साफ नहीं दिख पाता है.
बिहार की धरती पर कई बार आए बापू
बिहार की धरती पर महात्मा गांधी को चंपारण आंदोलन से एक नई पहचान मिली थी. गांधी जी पटना और बिहार चंपारण आंदोलन के दौरान 1917-18 में कई बार आए, 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान भी गांधी जी पटना आए थे. 1921 में बिहार विद्यापीठ की स्थापना के लिए भी गांधी जी पटना आए थे. 1925 में कोलकाता जाने के दौरान पटना आए थे. बापू ने सितंबर 1925 में खुदा बख्श लाइब्रेरी और मंगल तालाब का दौरा किया था. अक्टूबर 1925 में बापू भागलपुर भी आए और उसके बाद कई जगहों का बिहार में दौरा किया. लेकिन सबसे ज्यादा समय तक बापू गांधी आश्रम में ही रहे.
सरकार की उपेक्षा का शिकार गांधी आश्रम
एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के ठीक बगल में गांधी संग्रहालय है. जिसमें गांधी जी की कई यादें संजो कर रखी गई हैं. गांधी संग्रहालय के इंचार्ज रजी अहमद कई बार गांधी आश्रम को गांधी संग्रहालय से जोड़ने की मांग करते रहे, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसी कारण बापू का यह महत्वपूर्ण निवास स्थल चर्चा में नहीं आया. यह स्थल अभी तक उपेक्षित है.