पटनाः गांधी मैदान में तीन दिवसीय बिहार दिवस का भव्य आयोजन (Bihar Divas Program In Patna) चल रहा है और इस बार का थीम जल जीवन हरियाली है. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से जुड़ा जल जीवन हरियाली का संदेश गांधी मैदान में बने सभी विभागों के पवेलियन में साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में वन एवं पर्यावरण विभाग के पवेलियन की बात करें तो इस विभाग (Focus On Single Use Plastic Ban In Bihar) के पवेलियन में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन पर फोकस किया गया है.
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बताया गया वृक्षारोपण के महत्वः पवेलियन में पहुंचे लोगों को बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने जो विभिन्न प्रकार के सिंगल यूज प्लास्टिक को एक जुलाई से बंद करने का निर्णय लिया है, उसके प्रति लोग सजग हों और इसके विकल्प पर अभी से ही काम शुरू कर दें. इसके अलावा वन विभाग के पवेलियन में गौरैया संरक्षण के बारे में भी जानकारी दी गई. जिसमें बताया गया कि किस प्रकार शहरीकरण के दौर में गौरैया को संरक्षित किया जा सकता है. इसमें वृक्षारोपण के महत्व को भी समझाया गया.
बिहार दिवस का थीम जल जीवन हरियालीवनः पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के पवेलियन में लगे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के काउंटर पर मौजूद बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक घोष ने बताया कि बिहार दिवस में इस बार का थीम जल जीवन हरियाली है और इसी के दिशा में उन लोगों का एक स्टाल लगा है. जिसके माध्यम से लोगों को 1 जुलाई से भारत सरकार ने जो सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने का निर्णय लिया है, उसको लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है.
'बीते वर्षों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक कैरी बैग को बैन किया गया और अब विभिन्न प्रकार के सिंगल यूज प्लास्टिक मटेरियल बैन किए जा रहे हैं. जिसमें प्लास्टिक का ग्लास, प्लास्टिक के झंडे, प्लास्टिक के रैपर, इत्यादि प्रोडक्ट शामिल है. सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट को बैन करने के कई कारण है. पहला यह कि प्लास्टिक नॉन बायोडिग्रेडेबल और इसका जीवनकाल जो अनुमानित है, वह 400 वर्ष का है और यह भी निश्चित नहीं है क्योंकि प्लास्टिक का जन्म हुए हीं अभी 400 साल ही हुए हैं. ऐसे में जमीन और पानी पर जितना अधिक है प्लास्टिक का कचरा फैलते जा रहा है उसे हवा, मिट्टी और पानी के प्रदूषित होने का खतरा अधिक बढ़ गया है'- डॉक्टर अशोक घोष, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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प्लास्टिक से जल प्रदूषण का खतराः डॉक्टर अशोक घोष ने कहा कि प्लास्टिक से जल प्रदूषण का भी खतरा है. जब हम मिट्टी में प्लास्टिक को फेंक देते हैं तो प्लास्टिक के कन छोटे टुकड़ों में बट जाते हैं. जिसको माइक्रोप्लास्टिक बोलते हैं और माइक्रो प्लास्टिक पानी में चला जाता है और मिट्टी और पानी के माध्यम से फूड चेन में चला जाता है. फूड चेन के माध्यम से मनुष्य के शरीर में आता है और यह घातक हो जाता है.
प्लास्टिक से एयर प्रदूषण का खतराः वहीं, प्लास्टिक से एयर प्रदूषण का खतरा इसलिए है कि प्लास्टिक के वेस्ट का डिस्पोजल तकनीक देश में अधिक विकसित नहीं है. ऐसे में प्लास्टिक डिस्पोज करने के लिए लोग आग लगा देते हैं और इसमें से जो हार्मफुल गैस निकलता है वह हवा को दूषित करता है. जो अस्थमा पीड़ित लोग हैं या सीओपीडी से ग्रसित लोग हैं उनकी परेशानी बहुत अधिक बढ़ जाती है.
लोगों से की गई अपीलः डॉ अशोक घोष ने कहा कि यह एक जन जागृति का विषय है. अत्यधिक दबाव डालकर इस कानून का पालन नहीं कराया जा सकता. इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा कि वह यह जाने कि प्लास्टिक कितना हार्मफुल है और उनके आने वाली पीढ़ियों को इसका कितना नुकसान होने वाला है. 40-50 वर्ष पहले जब प्लास्टिक अधिक प्रचलन में नहीं था तभी दुनिया चलती थी, लोग सामान की खरीदारी करते थे पानी पीते थे. ऐसे में लोगों में यदि जागरूकता आती है तभी प्लास्टिक बैन सफल होगा और वह बिहार दिवस के मौके पर लोगों से अपील करेंगे कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के सरकार के निर्णय को अपना समर्थन दें.
'गांधी मैदान में अपने स्टॉल के माध्यम से लोगों के बीच प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करने के प्रति जागरूकता का काम कर रहे हैं. प्लास्टिक कितना घातक है और कौन-कौन से प्लास्टिक 1 जुलाई से बंद हो रहे हैं. यह बताया जा रहा है, ताकि लोग पहले से जागरूक हो जाए और 1 जुलाई से जब प्लास्टिक बैन करने का निर्णय इंप्लीमेंट हो. उस समय लोग इसके लिए तैयार रहें और इसके विकल्पों के प्रति अभी से ही तैयारी करनी शुरू कर दें'- यश चंद्रशेखर, सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
इस मौके पर मौजूद प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) आशुतोष ने बताया कि जल जीवन हरियाली पर पिछले 2 वर्षों से वन विभाग काफी काम कर रहा है और काफी सफलता भी हासिल की है. इस वर्ष जल जीवन हरियाली पर 5 करोड़ रुपये खर्च करने के लेकिन कोरोना के कारण 3.8 करोड़ रुपये अभी खर्च हो पाए हैं. कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आ गई है. ऐसे में उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में वन विभाग और तेज गति से जल जीवन हरियाली के क्षेत्र में काम करेगा और अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएंगे, जलाशय संरक्षित किए जाएंगे. जल जीवन हरियाली के क्षेत्र में काम लोगों के सहयोग से किया जाएगा और लोगों को इससे जोड़ा जाएगा, प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण के काम में मनरेगा का बहुत अहम योगदान रहा है.
बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने 22 मार्च यानि मंगलवार को गांधी मैदान में बिहार दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. बिहार में इस बार 3 सालों के बाद बिहार दिवस का आयोजन किया गया है, जो तीन दिनों तक चरेगा. इससे पहले 2018 में बिहार दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया था. वहीं, 2020 में कोरोना की शुरूआत हो गई थी, इस वजह से आयोजन नहीं हो पाया था. 2021 में कोरोना की स्थिति बेहद गंभीर थी. लेकिन इस बार आयोजन का जिम्मा शिक्षा विभाग को दिया गया. जिसकी देख रेख में बड़े पैमाने पर बिहार दिवस मनाया जा रहा है. बिहार दिवस में इस बार का थीम जल जीवन हरियाली है. तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पुस्तक मेला, ड्रोन शो समेत कई तरह के कार्यक्रम होंगे. वहीं, 24 मार्च शाम साढ़े 5 बजे प्रदेश के राज्यपाल फागू चौहान कार्यक्रम का समापन करेंगे.
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