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25 हजार की लागत से 15 एकड़ में शुरू की फूलों की खेती, आज युवाओं को दे रहा रोजगार

बिहटा के पप्पू सिंह ने 25 हजार की लागत से 15 एकड़ में फूलों की खेती शुरू कर लोगों के लिए मिसाल पेश किया है. इस व्यवसाय से पप्पू सिंह ने न केवल 25 लोगों को रोजगार दिया है बल्कि 100 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित भी किया.

फूलों की खेती
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Published : Mar 29, 2019, 10:02 PM IST

पटना: हौसले अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. इस बात को संभव कर दिखाया है बिहटा के विष्णुपुरा निवासी पप्पू सिंह ने. उन्होंने 15 एकड़ में फूलों की खेती कर न केवल प्रकृति के खूबसूरती को दिखाया बल्कि सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया है. साथ ही साथ 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया है.

दरअसल, पप्पू सिंह को शुरू से ही फूलों में दिलचस्पी थी. इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ 25 हजार की लागत से फूलों की खेती शुरू की. 15 एकड़ में फैला यह फूलों का बागान लोगों के लिए प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है. यही नहीं इस नर्सरी के माध्यम से एक से बढ़कर एक देशी और विदेशी फूलों का व्यवसाय हो रहा है.

करोड़ों का है टर्नओवर
पप्पू सिंह के अनुसार 25 हजार से शुरू किया गया उनका यह व्यवसाय आज करोड़ों के टर्नओवर में बदल गया है. इस व्यवसाय से उन्हें हर साल दो से ढाई लाख की आमदनी हो जाती है.

मदर नेचर नर्सरी विदेशों में भी है फेमस
उन्हें 2007 में सोनपुर मेला में किसान उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया है. इसके अलावा कई कृषि विशेषज्ञों और कृषि महाविद्यालयों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित पत्र भी दिया गया. पप्पू ने बताया कि उनकी मदर नेचर नर्सरी का नाम देश के साथ विदेशों में भी काफी फैला है. अमेरिका और मलेशिया सहित कई देशों के कृषि विशेषज्ञ उनकी नर्सरी पर आ चुके हैं.

25 से ज्यादा लोगों को मिला रोजगार
अपने इस फूलों के व्यवसाय से पप्पू ने 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है. जो पिछले 10 वर्षों से उनके साथ काम कर रहे हैं और फूलों की सेवा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इतना ही नहीं पप्पू सिंह ने सैकड़ों युवाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने का भी काम किया है.

इन फूलों का है व्यवसाय
फिलहाल, पप्पू सिंह अपने नर्सरी में गुलाब, गेंदा ,साल्विया गजनिया, रजनीगंधा सहित कई तरह के देसी-विदेशी फूलों की खेती और व्यवसाय कर रहे हैं. उनके इस काम को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें बागवानी मिशन के तहत सहयोग राशि दी है, जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में काफी मदद मिली है.

गांव के लोगों को है गर्व
वहीं, पप्पू सिंह के इस कार्य से उनके गांव के लोग काफी गौरवान्वित हैं. उनका कहना है कि 2001 से शुरू किए गए इस कार्य से अब तक गांव में 100 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण मिल चुका है. इससे ये युवा आत्मनिर्भर बने हैं, जो काबिलेतारीफ है.

पटना: हौसले अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. इस बात को संभव कर दिखाया है बिहटा के विष्णुपुरा निवासी पप्पू सिंह ने. उन्होंने 15 एकड़ में फूलों की खेती कर न केवल प्रकृति के खूबसूरती को दिखाया बल्कि सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया है. साथ ही साथ 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया है.

दरअसल, पप्पू सिंह को शुरू से ही फूलों में दिलचस्पी थी. इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ 25 हजार की लागत से फूलों की खेती शुरू की. 15 एकड़ में फैला यह फूलों का बागान लोगों के लिए प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है. यही नहीं इस नर्सरी के माध्यम से एक से बढ़कर एक देशी और विदेशी फूलों का व्यवसाय हो रहा है.

करोड़ों का है टर्नओवर
पप्पू सिंह के अनुसार 25 हजार से शुरू किया गया उनका यह व्यवसाय आज करोड़ों के टर्नओवर में बदल गया है. इस व्यवसाय से उन्हें हर साल दो से ढाई लाख की आमदनी हो जाती है.

मदर नेचर नर्सरी विदेशों में भी है फेमस
उन्हें 2007 में सोनपुर मेला में किसान उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया है. इसके अलावा कई कृषि विशेषज्ञों और कृषि महाविद्यालयों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित पत्र भी दिया गया. पप्पू ने बताया कि उनकी मदर नेचर नर्सरी का नाम देश के साथ विदेशों में भी काफी फैला है. अमेरिका और मलेशिया सहित कई देशों के कृषि विशेषज्ञ उनकी नर्सरी पर आ चुके हैं.

25 से ज्यादा लोगों को मिला रोजगार
अपने इस फूलों के व्यवसाय से पप्पू ने 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है. जो पिछले 10 वर्षों से उनके साथ काम कर रहे हैं और फूलों की सेवा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इतना ही नहीं पप्पू सिंह ने सैकड़ों युवाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने का भी काम किया है.

इन फूलों का है व्यवसाय
फिलहाल, पप्पू सिंह अपने नर्सरी में गुलाब, गेंदा ,साल्विया गजनिया, रजनीगंधा सहित कई तरह के देसी-विदेशी फूलों की खेती और व्यवसाय कर रहे हैं. उनके इस काम को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें बागवानी मिशन के तहत सहयोग राशि दी है, जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में काफी मदद मिली है.

गांव के लोगों को है गर्व
वहीं, पप्पू सिंह के इस कार्य से उनके गांव के लोग काफी गौरवान्वित हैं. उनका कहना है कि 2001 से शुरू किए गए इस कार्य से अब तक गांव में 100 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण मिल चुका है. इससे ये युवा आत्मनिर्भर बने हैं, जो काबिलेतारीफ है.

Intro:अपनी कड़ी मेहनत से लोगों के बीच मिसाल बने फूलों की खेती करने वाले बिहटा के पप्पू सिंह।


Body:हौसले अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है ये बताया है बिहटा के विष्णुपुरा निवासी पप्पू सिंह ने जो आज फूलों की खेती कर नसीब खुद स्वावलंबी है बल्कि सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षण देने के साथ साथ 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है दरअसल पप्पू सिंह एक दवा कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत थे। पर उनका उस काम में मन नहीं लगता था बस फिर क्या था उन्होंने नौकरी छोड़ 25हज़ार की लागत से फूलों की खेती शुरू की है किसान पप्पू सिंह की मेहनत रंग लाई और एक बिहार से शुरू उनकी मेहनत 15 एकड़ में फैल गई अब वह न सिर्फ फूलों की खेती करते हैं बल्कि नर्सरी के माध्यम से एक से बढ़कर एक देशी और विदेशी फूलों का व्यवसाय भी कर रहे हैं इतना ही नहीं फूलों की खेती के साथ-साथ धान और गेहूं की खेती और सब्जियों की खेती भी है इन में सुमार है। पप्पू बताते हैं कि 25000 से शुरू उनका यह व्यवसाय आज करोड़ों का टर्नओवर में बदल गया है जिससे वह लगातार फूलों की व्यवसाय को बढ़ाने में लगा रहे है। उनका कहना है कि इस व्यवसाय से उन्हें हर साल 2लाख से ढाई लाख आमदनी हो जाती है। अपने मेहनत के लिए पप्पू सिंह कई सम्मान से भी नवाजा गया है। उन्हें 2007 में सोनपुर मेला में किसान उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया इसके अलावा कोई कृषि विशेषज्ञों और कृषि महाविद्यालयों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित पत्र भी दिया गया। पप्पू बताते हैं कि उनकी मदर नेचर नर्सरी का नाम देश के साथ विदेशों में भी काफी है अमेरिका और मलेशिया सहित कई देशों के कृषि विशेषज्ञ उनकी नर्सरी पर आ चुके हैं। इन विदेशी विशेषज्ञों की टीम यहां आकर अपने तकनीकों को साझा करती है और मुझसे मेरी तकनीक जानकर अपने देशों में उसे प्रयोग में लाती है इससे काफी फायदा होता है पप्पू ने इस साल से कई लोगों को जोड़ा है अपने व्यवसाय के माध्यम से पप्पू ने 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है जो पिछले 10 वर्षों से उनके साथ काम कर रहे हैं और फूलों की सेवा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं इतना ही नहीं पप्पू द्वारा सैकड़ों युवाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने का काम भी किया जाता है। वो अपनी तकनीकों को युवाओं के बीच फैला रहे हैं ताकि कई बेरोजगार युवा उनकी तरफ खुद से मेहनत कर स्वावलंबी बन सके पप्पू फिलहाल गुलाब, गेंदा ,सालिव्या गजनिया, रजनीगंधा सहित कई तरह के देसी विदेशी फूलों की खेती और व्यवसाय कर रहे हैं। उनके इस काम को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें बागवानी मिशन के तहत सहयोग राशि दी है जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में काफी मदद मिली है


Conclusion:अपने गांव के एक व्यक्ति की तरक्की और गांव के युवाओं को अपनी तरह प्रोत्साहित करने किस काम को देख कर बिशनुपुरा गांव के लोग को काफी गौरवान्वित होते हैं।2001 से शुरू अपने इस कार्य से पप्पू सिंह ने 100 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया है और ये अभी भी इस कार्य में लगे हुए हैं और ये अभी भी इस कार्य मे लगे हुए हैं जो काबिलेतारीफ है।

बाईट- पप्पू सिंह, मालिक ,मदर नेचर नर्सरी ,

बाईट- ग्रामीण , स्टाफ
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