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Bihar Flood: 'भूख से बिलख रहे हैं बच्चे, सरकार भोजन के बदले दे रही है आश्वासन' - danapur news

बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं. घर मे अनाज नहीं है. हालात 2016 में आई बाढ़ से कम भयावह नहीं है. पटना के नकटा दियारा पंचायत के बिंद टोली गांव के 4 हजार से अधिक आबादी बाढ़ त्रासदी झेल रही है. देखें ग्राउंड रिपोर्ट...

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Published : Aug 13, 2021, 7:29 AM IST

Updated : Aug 13, 2021, 8:59 AM IST

पटनाः गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि (Flood In Ganga River) के कारण पटना सदर के नकटा दियारा (Nakya Diara) पंचायत का बिंद टोली गांव जलमग्न हो गया है. गांव के दो वार्डों के 300 से अधिक घरों में सात से आठ फीट तक पानी भर गया है. जल प्रलय के कारण 4 हजार से अधिक लोग बांध और अन्य ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं.

इसे भी पढ़ें- बिहार में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर, पटना पर मंडराया बाढ़ का खतरा

ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हालात का जायजा लिया. बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि हालात 2016 के बाढ़ से कम भयावह नहीं है. उनके घर बीते कुछ दिनों से जलमग्न हो गए हैं, लेकिन बाढ़ राहत के रूप में उन्हें अभी तक ड्राई फ्रूट, बिस्किट, चूड़ा, गुड़, मिट्टी का तेल, दियासलाई और अनाज सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें कि गुरुवार को जिला प्रशासन ने नकटा दियारा पंचायत के बिंद टोली इलाके के 2 वार्डों में रहने वाले करीब 3 हजार के अधिक की आबादी के लिए भोजन की व्यवस्था करने की बात कही थी, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जब ग्राउंड जीरो पर जाकर हालात का जायजा लिया तो सुविधाएं नदारद पाई गई.

इसे भी पढ़ें- VIDEO: दियारा की महिलाएं गा रही 'शांत हो जाइं हे गंगा मइया...'

"बाढ़ ने घर को तबाह कर दिया है. अब पास के बांध पर शरण लिए हुए हैं. खाने के लिए अनाज भी नहीं है. पास में पैसे नहीं हैं, जो इस संकटकाल में सहारा बन सके. लोगों के आवागमन के लिए प्रशासन ने क्षेत्र में 4 नाव मुहैया करवाई है, लेकिन यह नाकाफी है. बच्चे भूख से बिलख रहे हैं. प्रशासन ने भोजन की जगह आश्वासन दिया है."- शांति देवी, बाढ़ पीड़ित

"2016 में आई भीषण बाढ़ से इस बार स्थिति कम भयावह नहीं है. पिछले कई दिनों से सबकुछ जलमग्न है. घर में बचे खुचे सामानों को घर से दूर सुरक्षित स्थान ले जाना है. लेकिन इसके लिए सरकारी नाव का मल्लाह 1000 रुपये मांग रहा है. मवेशियों के लिए चारा नहीं है. पहले तो लॉकडाउन के कारण स्थिति खराब थी, अब बाढ़ ने रही सही कसर पूरा कर दिया है. जिंदगी पानी के साथ-साथ कर्ज में भी डूब गई है."- बाढ़ पीड़ित

इसे भी पढ़ें- उफान पर गंगा नदी, जल संसाधन मंत्री ने कहा- अगले दो-तीन दिनों तक और भी अलर्ट रहने की जरूरत

बाढ़ का पानी पटना के कुर्जी स्थित काली मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गंगा के जलस्तर में इसी तरह वृद्धि जारी रही, तो पटना के करीब एक दर्जन दीयर पंचायत डूब जाएंगे. ग्रामीणों ने बताया कि इन दिनों से बिजली भी काट दी गई है. लेकिन सरकार ने लालटेन तक की मदद नहीं किया है. आम लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही है.

बता दें कि साल 2016 में पटना में आई भीषण बाढ़ की यादें रूह कंपा देती है. हर तरफ जलजला था. दीयर पंचायत की तो बात ही मत कीजिए. राजधानी के कई रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए थे. लोगों को मुआवजे के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई थी.

फिलहाल गंगा के बढ़ रहे जलस्तर के कारण पटना के बांसघाट, एल सिटी घाट, गोसाई टोला, कुर्जी मोड और सदाकत आश्रम जैसे इलाकों पर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में सीएम नीतीश कुमार ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया था. उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिया था, जिसके बाद से काफी हद तक जिला प्रशासन एक्टिव हुआ है.

पटनाः गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि (Flood In Ganga River) के कारण पटना सदर के नकटा दियारा (Nakya Diara) पंचायत का बिंद टोली गांव जलमग्न हो गया है. गांव के दो वार्डों के 300 से अधिक घरों में सात से आठ फीट तक पानी भर गया है. जल प्रलय के कारण 4 हजार से अधिक लोग बांध और अन्य ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं.

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ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हालात का जायजा लिया. बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि हालात 2016 के बाढ़ से कम भयावह नहीं है. उनके घर बीते कुछ दिनों से जलमग्न हो गए हैं, लेकिन बाढ़ राहत के रूप में उन्हें अभी तक ड्राई फ्रूट, बिस्किट, चूड़ा, गुड़, मिट्टी का तेल, दियासलाई और अनाज सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें कि गुरुवार को जिला प्रशासन ने नकटा दियारा पंचायत के बिंद टोली इलाके के 2 वार्डों में रहने वाले करीब 3 हजार के अधिक की आबादी के लिए भोजन की व्यवस्था करने की बात कही थी, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जब ग्राउंड जीरो पर जाकर हालात का जायजा लिया तो सुविधाएं नदारद पाई गई.

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"बाढ़ ने घर को तबाह कर दिया है. अब पास के बांध पर शरण लिए हुए हैं. खाने के लिए अनाज भी नहीं है. पास में पैसे नहीं हैं, जो इस संकटकाल में सहारा बन सके. लोगों के आवागमन के लिए प्रशासन ने क्षेत्र में 4 नाव मुहैया करवाई है, लेकिन यह नाकाफी है. बच्चे भूख से बिलख रहे हैं. प्रशासन ने भोजन की जगह आश्वासन दिया है."- शांति देवी, बाढ़ पीड़ित

"2016 में आई भीषण बाढ़ से इस बार स्थिति कम भयावह नहीं है. पिछले कई दिनों से सबकुछ जलमग्न है. घर में बचे खुचे सामानों को घर से दूर सुरक्षित स्थान ले जाना है. लेकिन इसके लिए सरकारी नाव का मल्लाह 1000 रुपये मांग रहा है. मवेशियों के लिए चारा नहीं है. पहले तो लॉकडाउन के कारण स्थिति खराब थी, अब बाढ़ ने रही सही कसर पूरा कर दिया है. जिंदगी पानी के साथ-साथ कर्ज में भी डूब गई है."- बाढ़ पीड़ित

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बाढ़ का पानी पटना के कुर्जी स्थित काली मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गंगा के जलस्तर में इसी तरह वृद्धि जारी रही, तो पटना के करीब एक दर्जन दीयर पंचायत डूब जाएंगे. ग्रामीणों ने बताया कि इन दिनों से बिजली भी काट दी गई है. लेकिन सरकार ने लालटेन तक की मदद नहीं किया है. आम लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही है.

बता दें कि साल 2016 में पटना में आई भीषण बाढ़ की यादें रूह कंपा देती है. हर तरफ जलजला था. दीयर पंचायत की तो बात ही मत कीजिए. राजधानी के कई रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए थे. लोगों को मुआवजे के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई थी.

फिलहाल गंगा के बढ़ रहे जलस्तर के कारण पटना के बांसघाट, एल सिटी घाट, गोसाई टोला, कुर्जी मोड और सदाकत आश्रम जैसे इलाकों पर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में सीएम नीतीश कुमार ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया था. उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिया था, जिसके बाद से काफी हद तक जिला प्रशासन एक्टिव हुआ है.

Last Updated : Aug 13, 2021, 8:59 AM IST
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