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Bihar Politics : माले का 11वां महाधिवेशन समाप्त, उत्तर भारत से BJP के सफाये की बनी रणनीति

बिहार के पटना में भाकपा माले का 11वां महाधिवेशन समाप्त हो गया. कार्यक्रम 5 दिनों तक चला. सीपीआई एमएल का ये कार्यक्रम काफी सफल भी माना जा रहा है क्योंकि विपक्ष की एकजुटता की झलक यहां देखने को मिली. अधिवेशन में 2024 में बीजेपी का उत्तर भारत से सफाये पर रणनीति बनी.

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Published : Feb 20, 2023, 10:12 PM IST

11 वां अधिवेशन रहा सफल- सीपीआई एमएल

पटना : भाकपा माले का पांच दिवसीय राष्ट्रीय महाधिवेशन सोमवार को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में सेंट्रल कमेटी के चयन प्रक्रिया के साथ-साथ समाप्त हो गया. 5 दिनों तक चलने वाले 11 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन में अधिकांश समय 2024 चुनाव को लेकर ही चर्चा हुई और पूरे उत्तर भारत से 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को सफाया करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई. पार्टी के विधायक और छात्र संगठन आइसा के राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरभ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि इस बार जो महाधिवेशन का शीर्षक था 'फासीवाद मिटाओ, संविधान बचाओ, देश बचाओ और शहीदों के सपनों का भारत बनाओ' इसी पर विस्तार से चर्चा हुई.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics ..तो इसलिए ILU बोल रहे थे खुर्शीद, जो KCR और कांग्रेस नहीं कर सके, 'लाल' ने कर दिखाया?



भाजपा हटाने के लिए विपक्ष एकजुट: भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि देश में जो माहौल बन रहा है, बहुसंख्यक आबादी में उन्माद पैदा कर देश की शांति व्यवस्था को खत्म करना और कुछ कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का जो काम चल रहा है. उसके खिलाफ आंदोलन को लेकर रूपरेखा तैयार हुई. भाजपा को हटाने के लिए विपक्ष की एक बड़ी एकजुटता कायम करने की कवायद की गई जो सफल रहा. विपक्ष के कई बड़े नेता इस सम्मेलन में शिरकत किए.

बीजेपी का करेंगे उत्तर भारत से सफाया: संदीप सौरभ ने कहा कि 2024 को लेकर विपक्षी एकजुटता के लिए कहीं ना कहीं से शुरुआत करनी थी तो उसकी शुरुआत भाकपा माले ने अपने यहां राष्ट्रीय महाधिवेशन से कर दी है. इस विपक्षी एकजुटता के कवायद से पूरे देश में एक कॉन्फिडेंस बना है कि विपक्षी एकजुटता कायम की जा सकती है.भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि देश में कई बड़े आंदोलनों की पृष्ठभूमि बिहार से तैयार हुई है. उत्तर प्रदेश और बंगाल में भी विपक्ष की एकजुटता कायम करने की कवायद चल रही है. उन्होंने कहा कि इस पूरे महाधिवेशन में मुख्य फोकस रहा कि कैसे 2024 में उत्तर भारत से भाजपा का सफाया किया जाए क्योंकि उत्तर भारत में ही भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में है. उत्तर भारत में पार्टी कार्यकर्ता घूम घूम कर केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम करेंगे.


जनहित के मुद्दे उठाने से माले भी हुई मजबूत: संदीप सौरभ ने कहा कि भाकपा माले की जनाधार में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि वह लोग लगातार जनता के मुद्दे को छात्रों के मुद्दे को, आशा वर्कर्स के मुद्दे को, शिक्षक अभ्यर्थियों के मुद्दे को सदन में उठा रहे हैं. सड़कों पर भी इन मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वह लोग भले ही सरकार को समर्थन दिए हुए हैं. लेकिन अभी भी तमाम पीड़ित अभ्यर्थी उन लोगों के पास आते हैं और अपनी आवाज उठाने की मांग करते हैं. जिसके बाद वह लोग उन अभ्यर्थियों की आवाज उठाते हैं. संदीप सौरभ ने कहा कि इस पूरे महा अधिवेशन में यदि बिहार को लेकर बात किया जाए तो बिहार में न्यू लिबरल पॉलिसी को जिस प्रकार तेजी से अमल किया जा रहा है, उस पर कंट्रोल करने के लिए अब एक्शन लेना है. इसके तहत आंदोलन किए जाएंगे.

सम्मानजनक वेतन दिलाना मकसद: न्यू लिबरल पॉलिसी के तहत प्रदेश में 800000 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं और यह वह कर्मचारी हैं जो परमानेंट नेचर का जॉब कर रहे हैं. यह तमाम कर्मचारी बिचौलियों के माध्यम से सचिवालय और अन्य सरकारी संस्थानों में नौकरी कर रहे हैं जिसमें सरकार तो कंपनी को ₹30000 देती है प्रति कर्मचारी लेकिन कंपनी प्रति कर्मचारी ₹15000 ही महीना देती है. कांट्रेक्चुअल कर्मियों को स्थाई कर्मी बनाया जाए और जो स्कीम वर्कर्स है उन्हें सम्मानजनक वेतन दिया जाए यही मुद्दे हैं.

''पांच दिवसीय महाधिवेशन में पार्टी नेतृत्व से निर्देश प्राप्त हुआ है कि जो जनता का स्वार्थ है. उसे ही पार्टी का स्वार्थ बनाना है और जनता के मुद्दों को ही अपना मुद्दा बनाकर उठाना है. और जनता के हक और अधिकार के लिए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़नी है.'' - संदीप सौरभ, भाकपा माले विधायक

11 वां अधिवेशन रहा सफल- सीपीआई एमएल

पटना : भाकपा माले का पांच दिवसीय राष्ट्रीय महाधिवेशन सोमवार को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में सेंट्रल कमेटी के चयन प्रक्रिया के साथ-साथ समाप्त हो गया. 5 दिनों तक चलने वाले 11 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन में अधिकांश समय 2024 चुनाव को लेकर ही चर्चा हुई और पूरे उत्तर भारत से 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को सफाया करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई. पार्टी के विधायक और छात्र संगठन आइसा के राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरभ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि इस बार जो महाधिवेशन का शीर्षक था 'फासीवाद मिटाओ, संविधान बचाओ, देश बचाओ और शहीदों के सपनों का भारत बनाओ' इसी पर विस्तार से चर्चा हुई.

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भाजपा हटाने के लिए विपक्ष एकजुट: भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि देश में जो माहौल बन रहा है, बहुसंख्यक आबादी में उन्माद पैदा कर देश की शांति व्यवस्था को खत्म करना और कुछ कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का जो काम चल रहा है. उसके खिलाफ आंदोलन को लेकर रूपरेखा तैयार हुई. भाजपा को हटाने के लिए विपक्ष की एक बड़ी एकजुटता कायम करने की कवायद की गई जो सफल रहा. विपक्ष के कई बड़े नेता इस सम्मेलन में शिरकत किए.

बीजेपी का करेंगे उत्तर भारत से सफाया: संदीप सौरभ ने कहा कि 2024 को लेकर विपक्षी एकजुटता के लिए कहीं ना कहीं से शुरुआत करनी थी तो उसकी शुरुआत भाकपा माले ने अपने यहां राष्ट्रीय महाधिवेशन से कर दी है. इस विपक्षी एकजुटता के कवायद से पूरे देश में एक कॉन्फिडेंस बना है कि विपक्षी एकजुटता कायम की जा सकती है.भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि देश में कई बड़े आंदोलनों की पृष्ठभूमि बिहार से तैयार हुई है. उत्तर प्रदेश और बंगाल में भी विपक्ष की एकजुटता कायम करने की कवायद चल रही है. उन्होंने कहा कि इस पूरे महाधिवेशन में मुख्य फोकस रहा कि कैसे 2024 में उत्तर भारत से भाजपा का सफाया किया जाए क्योंकि उत्तर भारत में ही भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में है. उत्तर भारत में पार्टी कार्यकर्ता घूम घूम कर केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम करेंगे.


जनहित के मुद्दे उठाने से माले भी हुई मजबूत: संदीप सौरभ ने कहा कि भाकपा माले की जनाधार में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि वह लोग लगातार जनता के मुद्दे को छात्रों के मुद्दे को, आशा वर्कर्स के मुद्दे को, शिक्षक अभ्यर्थियों के मुद्दे को सदन में उठा रहे हैं. सड़कों पर भी इन मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वह लोग भले ही सरकार को समर्थन दिए हुए हैं. लेकिन अभी भी तमाम पीड़ित अभ्यर्थी उन लोगों के पास आते हैं और अपनी आवाज उठाने की मांग करते हैं. जिसके बाद वह लोग उन अभ्यर्थियों की आवाज उठाते हैं. संदीप सौरभ ने कहा कि इस पूरे महा अधिवेशन में यदि बिहार को लेकर बात किया जाए तो बिहार में न्यू लिबरल पॉलिसी को जिस प्रकार तेजी से अमल किया जा रहा है, उस पर कंट्रोल करने के लिए अब एक्शन लेना है. इसके तहत आंदोलन किए जाएंगे.

सम्मानजनक वेतन दिलाना मकसद: न्यू लिबरल पॉलिसी के तहत प्रदेश में 800000 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं और यह वह कर्मचारी हैं जो परमानेंट नेचर का जॉब कर रहे हैं. यह तमाम कर्मचारी बिचौलियों के माध्यम से सचिवालय और अन्य सरकारी संस्थानों में नौकरी कर रहे हैं जिसमें सरकार तो कंपनी को ₹30000 देती है प्रति कर्मचारी लेकिन कंपनी प्रति कर्मचारी ₹15000 ही महीना देती है. कांट्रेक्चुअल कर्मियों को स्थाई कर्मी बनाया जाए और जो स्कीम वर्कर्स है उन्हें सम्मानजनक वेतन दिया जाए यही मुद्दे हैं.

''पांच दिवसीय महाधिवेशन में पार्टी नेतृत्व से निर्देश प्राप्त हुआ है कि जो जनता का स्वार्थ है. उसे ही पार्टी का स्वार्थ बनाना है और जनता के मुद्दों को ही अपना मुद्दा बनाकर उठाना है. और जनता के हक और अधिकार के लिए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़नी है.'' - संदीप सौरभ, भाकपा माले विधायक

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