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मछली पालन में मसौढ़ी बना हब, 250 से अधिक किसान बन रहे आत्मनिर्भर - बिहार में मछली पालन

मसौढ़ी में मछली पालन की ओर किसानों का फोकस है. इन दिनों किसान परपंरागत खेती को छोड़ मछली पालन करने में जुटे हुए हैं. नूरा पंचायत के मुखिया तकरीबन 50 बीघे में तालाब बनाकर मछली पालन कर लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.

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Published : Jan 22, 2022, 10:40 AM IST

पटना: मछली पालन (Fish Farming In Bihar) बिहार में एक उद्योग के रूप में लेता दिख रहा है. पटना के ग्रामीण इलाकों में भी मछली पालन (Fish Farming In Masaurhi) अब जोर-शोर से होने लगा है. ऐसे में पटना जिला में सबसे ज्यादा मसौढ़ी में मछली के तालाब हैं और लोग इसके प्रति आत्मनिर्भर बनते हुए दिख रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड के मृत्युंजय कुमार तकरीबन 50 बीघे में मछली पालन कर लोगों को स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने का प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं.

मसौढ़ी मछली पालन का हब बनता जा रहा है. यहां के किसान धीरे-धीरे मछली पालन व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं. परंपरागत खेती से हटकर अब सभी किसान मछली पालन की ओर खुद को आत्मनिर्भर बनाने में लगे हुए हैं. पूरे पटना जिला में मसौढ़ी में 350 से अधिक मछली का तालाब है. जहां मसौढ़ी प्रखंड के नूरा पंचायत के मुखिया मृत्युंजय कुमार तकरीबन 50 बीघे में तालाब बनाकर मछली पालन कर लोगों को स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: मायानगरी छोड़ अपने गांव लौटे राजेश, बत्तख पालन और मसाले की खेती से अब होती है इतनी कमाई

मृत्युंजय कुमार 100 की संख्या में लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. वहीं सरकार से मछली मंडी एवं किसानों के लिए सीसी बनाने को लेकर भी गुजारिश कर रहे हैं. मछली व्यवसाय से जुड़े मृत्युंजय कुमार की माने, तो पटना के ग्रामीण इलाकों में मछली पालन करने वाले किसानों के लिए मछली मंडी की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है. मृत्युंजय कुमार का कहना है कि जिस तरह से बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए सीसी की व्यवस्था करायी जाती है वैसे ही मछली पालन से जुड़े किसानों को भी सीसी की व्यवस्था किया जाए ताकि उन्हें मछली बीज को लेकर बाहर से लाना नहीं पड़े.

ये भी पढ़ें: युवाओं को रोजगार देने की खातिर 'कैनाल मैन' फिर चीर रहे पहाड़ों का सीना, मछली पालन से रोकेंगे पलायन

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पटना: मछली पालन (Fish Farming In Bihar) बिहार में एक उद्योग के रूप में लेता दिख रहा है. पटना के ग्रामीण इलाकों में भी मछली पालन (Fish Farming In Masaurhi) अब जोर-शोर से होने लगा है. ऐसे में पटना जिला में सबसे ज्यादा मसौढ़ी में मछली के तालाब हैं और लोग इसके प्रति आत्मनिर्भर बनते हुए दिख रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड के मृत्युंजय कुमार तकरीबन 50 बीघे में मछली पालन कर लोगों को स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने का प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं.

मसौढ़ी मछली पालन का हब बनता जा रहा है. यहां के किसान धीरे-धीरे मछली पालन व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं. परंपरागत खेती से हटकर अब सभी किसान मछली पालन की ओर खुद को आत्मनिर्भर बनाने में लगे हुए हैं. पूरे पटना जिला में मसौढ़ी में 350 से अधिक मछली का तालाब है. जहां मसौढ़ी प्रखंड के नूरा पंचायत के मुखिया मृत्युंजय कुमार तकरीबन 50 बीघे में तालाब बनाकर मछली पालन कर लोगों को स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

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मृत्युंजय कुमार 100 की संख्या में लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. वहीं सरकार से मछली मंडी एवं किसानों के लिए सीसी बनाने को लेकर भी गुजारिश कर रहे हैं. मछली व्यवसाय से जुड़े मृत्युंजय कुमार की माने, तो पटना के ग्रामीण इलाकों में मछली पालन करने वाले किसानों के लिए मछली मंडी की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है. मृत्युंजय कुमार का कहना है कि जिस तरह से बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए सीसी की व्यवस्था करायी जाती है वैसे ही मछली पालन से जुड़े किसानों को भी सीसी की व्यवस्था किया जाए ताकि उन्हें मछली बीज को लेकर बाहर से लाना नहीं पड़े.

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