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Devshayani Ekadashi: आज से अगले 5 महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्यक्रम

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Published : Jun 29, 2023, 5:33 PM IST

आज देवशयनी एकादशी है. आज से हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के घर में अगले पांच महीने तक शादी विवाह पर पाबंदी रहेगी. वैसे तो देवशयनी चार महीने का होता है, लेकिन इस बार दो माह का श्रावण हो रहा है. इसलिए पांच महीने तक कोई भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं होगा. पढ़ें पूरी खबर..

देवशयनी एकादशी 2023
देवशयनी एकादशी 2023
देवशयनी एकादशी आज

पटना: हर साल देवशयनी एकादशी का व्रत (Fasting of Devshayani Ekadashi) आने के साथ ही शुभ मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाता है. आज 29 जून गुरुवार का दिन है. आज से देश में सैनी एकादशी शुरू हो गई है. आज से हिंदू धर्म में शादियां 4 महीने तक नहीं होती है. इसको लेकर के आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि चतुर्मास हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहती है.

ये भी पढ़ें- आज से 4 महीने के लिए मांगलिक कार्य बंद, देवशयनी एकादशी से विवाह पर भी विराम

आज से देवशयनी एकादशी की शुरुआत: आचार्य मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि इस साल चतुर्मास 5 महीने का होगा. क्योंकि सावन मास में एक महीना वृद्धि हो रहा है. जिसे पुरुषोत्तम मास का महीना कहते हैं. इसलिए इस वर्ष चतुर्मास 5 महीने का होगा. यह चतुर्मास काफी शुभ सहयोग है. भगवान भोलेनाथ और विष्णु भगवान का मिलन हो रहा है. इसलिए यह चतुर्मास पूजा पाठ के लिए काफी फलदायक है.

अगले चार महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्यक्रम: मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से जब भगवान विष्णु शयनाअवस्था में चले जाते हैं. तब विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. यानी कि आज से चतुर्मास शुरू हो गई और शुरू होने के साथ अब बैंड बाजा बाराती देखने को नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि 4 महीने जब भगवान विष्णु निद्रा के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योग निद्रा से उठेंगे, तभी हिंदू धर्म के सभी मांगलिक कार्यक्रम की जाएंगी. लेकिन इस बार ये पांच महीने का होगा.

"भले ही शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे कार्य बंद रहेंगे. लेकिन इस चतुर्मास में पूजा करना विशेष लाभकारी होगा. भगवान विष्णु के पूजा के अलावे भगवान भोलेनाथ की भी पूजा का विशेष महत्व का लाभ मिलेगा. इस वर्ष 5 महीने तक भगवान योग निद्रा में रहेंगे. भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके घर में सुख शांति समृद्धि की कामना कर सकते हैं."- मनोज कुमार मिश्रा, आचार्य

23 नवंबर के बाद बजेगी शहनाई: आज से देवशयनी एकादशी जिसे चतुर्मास कहते हैं. आज से लेकर 23 नवंबर तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहेंगे. 23 नवंबर के बाद जब भगवान विष्णु योग निद्रा से उठेंगे, इसके बाद ही विवाह, उपनयन संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश मांगलिक कार्यक्रम शुरू होगा.

इस बार दो महीने का होगा श्रावण: इस साल 5 महीने का चतुर्मास होने से श्रावण 2 महीने का होगा. इसलिए भक्तों को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना विशेष रूप से करनी चाहिए. भगवान विष्णु जब निद्रा में रहेंगे तो भगवान भोलेनाथ इस सृष्टि का संचालन करेंगे. जिससे कि भक्तों को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. खास करके खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 4 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है. ऐसे में लोगों को लहसुन-प्याज वर्जित शाकाहारी भोजन ही करना और चतुर्मास में नियम पूर्वक रहने का विधि विधान बताया गया है.

"5 महीने तक लोगों को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करके पूजन करके ही भोजन बनाना चाहिए. भगवान शिव और विष्णु जी का अभिषेक करनी चाहिए. साथ ही साथ जरूरतमंदों को दान पूर्ण करने का भी विशेष फल मिलता है. भले ही चतुर्मास में शादी विवाह शुभ मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे. लेकिन तीर्थ यात्रा विशेष रूप से लोगों को करनी चाहिए."- मनोज कुमार मिश्रा, आचार्य

देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्यक्रम होगा: बता दें कि आज से शुरू हुई चतुर्मास के कारण 5 महीने तक शहनाई नहीं बजेगी. अब 23 नवंबर को जब देवउठनी एकादशी आएगी, तब जाकर शादी विवाह मांगलिक कार्यक्रम किया जाएगा. हालांकि 5 महीने बाद पूजा पाठ हवन तीर्थ यात्रा करना काफी फलदायक होगा.

देवशयनी एकादशी आज

पटना: हर साल देवशयनी एकादशी का व्रत (Fasting of Devshayani Ekadashi) आने के साथ ही शुभ मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाता है. आज 29 जून गुरुवार का दिन है. आज से देश में सैनी एकादशी शुरू हो गई है. आज से हिंदू धर्म में शादियां 4 महीने तक नहीं होती है. इसको लेकर के आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि चतुर्मास हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहती है.

ये भी पढ़ें- आज से 4 महीने के लिए मांगलिक कार्य बंद, देवशयनी एकादशी से विवाह पर भी विराम

आज से देवशयनी एकादशी की शुरुआत: आचार्य मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि इस साल चतुर्मास 5 महीने का होगा. क्योंकि सावन मास में एक महीना वृद्धि हो रहा है. जिसे पुरुषोत्तम मास का महीना कहते हैं. इसलिए इस वर्ष चतुर्मास 5 महीने का होगा. यह चतुर्मास काफी शुभ सहयोग है. भगवान भोलेनाथ और विष्णु भगवान का मिलन हो रहा है. इसलिए यह चतुर्मास पूजा पाठ के लिए काफी फलदायक है.

अगले चार महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्यक्रम: मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से जब भगवान विष्णु शयनाअवस्था में चले जाते हैं. तब विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. यानी कि आज से चतुर्मास शुरू हो गई और शुरू होने के साथ अब बैंड बाजा बाराती देखने को नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि 4 महीने जब भगवान विष्णु निद्रा के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योग निद्रा से उठेंगे, तभी हिंदू धर्म के सभी मांगलिक कार्यक्रम की जाएंगी. लेकिन इस बार ये पांच महीने का होगा.

"भले ही शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे कार्य बंद रहेंगे. लेकिन इस चतुर्मास में पूजा करना विशेष लाभकारी होगा. भगवान विष्णु के पूजा के अलावे भगवान भोलेनाथ की भी पूजा का विशेष महत्व का लाभ मिलेगा. इस वर्ष 5 महीने तक भगवान योग निद्रा में रहेंगे. भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके घर में सुख शांति समृद्धि की कामना कर सकते हैं."- मनोज कुमार मिश्रा, आचार्य

23 नवंबर के बाद बजेगी शहनाई: आज से देवशयनी एकादशी जिसे चतुर्मास कहते हैं. आज से लेकर 23 नवंबर तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहेंगे. 23 नवंबर के बाद जब भगवान विष्णु योग निद्रा से उठेंगे, इसके बाद ही विवाह, उपनयन संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश मांगलिक कार्यक्रम शुरू होगा.

इस बार दो महीने का होगा श्रावण: इस साल 5 महीने का चतुर्मास होने से श्रावण 2 महीने का होगा. इसलिए भक्तों को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना विशेष रूप से करनी चाहिए. भगवान विष्णु जब निद्रा में रहेंगे तो भगवान भोलेनाथ इस सृष्टि का संचालन करेंगे. जिससे कि भक्तों को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. खास करके खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 4 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है. ऐसे में लोगों को लहसुन-प्याज वर्जित शाकाहारी भोजन ही करना और चतुर्मास में नियम पूर्वक रहने का विधि विधान बताया गया है.

"5 महीने तक लोगों को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करके पूजन करके ही भोजन बनाना चाहिए. भगवान शिव और विष्णु जी का अभिषेक करनी चाहिए. साथ ही साथ जरूरतमंदों को दान पूर्ण करने का भी विशेष फल मिलता है. भले ही चतुर्मास में शादी विवाह शुभ मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे. लेकिन तीर्थ यात्रा विशेष रूप से लोगों को करनी चाहिए."- मनोज कुमार मिश्रा, आचार्य

देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्यक्रम होगा: बता दें कि आज से शुरू हुई चतुर्मास के कारण 5 महीने तक शहनाई नहीं बजेगी. अब 23 नवंबर को जब देवउठनी एकादशी आएगी, तब जाकर शादी विवाह मांगलिक कार्यक्रम किया जाएगा. हालांकि 5 महीने बाद पूजा पाठ हवन तीर्थ यात्रा करना काफी फलदायक होगा.

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