पटनाः कोरोना संकटकाल में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. केंद्रीय वित्त मंत्री ने लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी विस्तृत जानकारी दी. केंद्रीय पैकेज को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहले घोषित पैकेजों से यह पूरी तरह अलग है. इसे चुनावी पैकेज नहीं कहा जा सकता.
बिहार में सत्ताधारी जेडीयू के मंत्री भी कह रहे हैं कि इस पैकेज से अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी. पेश है खास रिपोर्ट
पैकेज की हर तरफ हो रही तारीफ
देश में पहले भी कई बार पैकेज की घोषणा हुई है. चुनाव के समय तो विशेष तौर पर लोक लुभावन पैकेज की घोषणा होती रही है. कई बार आपदा के समय भी संबंधित राज्य के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पैकेज दिया जाता है. किसानों के लिए भी कई बार पैकेज की घोषणा हुई है. लेकिन पहली बार किसी महामारी को लेकर पूरे देश के लिये पैकेज की घोषणा की गई है. प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ कोरोना पैकेज पर सियासत भी हो रही है और हर तरफ तारीफ भी हो रही है.
विशेषज्ञों ने कहा- नहीं है ये चुनावी पैकेज
विशेषज्ञ भी इसे अपने तरीके से डिफाइन कर रहे हैं. विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है यह चुनावी पैकेज नहीं है, क्योंकि अभी बिहार को छोड़कर कहीं और इस साल चुनाव नहीं होना है. बिहार के लिए यह चुनावी पैकेज हो सकता है. लेकिन यह पैकेज पूरे देश के लिए है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यह पैकेज दिया गया है. वहीं, सत्ताधारी दल जदयू का भी कहना है कि यह चुनावी पैकेज नहीं है. पीएम के 20 लाख करोड़ के पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी और देश आत्मनिर्भर बनेगा.
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कोरोना संकट काल में भारत पर विश्व की नजर
प्रधानमंत्री ने पैकेज घोषणा के साथ ही ये कहा था कि इस पैकेज से देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होगी. कई विपक्षी दल की तरफ से भी इसकी तारीफ की गई है. लेकिन कुछ निशाना भी साध रहे हैं. पैकेज को समझाने के लिए पिछले पांच दिनों से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं. किस सेक्टर को किस तरह मदद दी जाएगी. उसके बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं. पैकेज देश की जीडीपी का 10% है. दुनिया के कुछ विकसित देश अपने जीडीपी का 10% तक पैकेज की घोषणा की है. उस लिहाज से देखें तो पूरी दुनिया की नजर भी भारत पर है.