पटना: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एक बार फिर से राजधानी में शुक्रवार 10 जुलाई से 16 जुलाई तक लॉकडाउन लागू किया गया है. सरकार के इस फैसले का हर कोई स्वागत कर रहा है. वहीं, कोरोना की तेज रफ्तार को देखते हुए विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है. विशेषज्ञों का मानाना है कि संक्रमण से बचाने के लिए सरकार अधिक से अधिक लोगों का टेस्ट करवाये. कोरोना लक्षण वाले लोगों को आइसोलेट करे और गरीबों को घर पर भोजन उपलब्ध कराया जाए. जिससे की गरीब अपने घरों से बाहर कम निकल सके.
'संपूर्ण लॉकडाउन कोई स्थाई उपाय नहीं'
एनएन सिन्हा संस्थान के प्रोफेसर डॉ. डीएम दिवाकर बताते है कि संपूर्ण लॉक डाउन कोई ठोस उपाय नहीं है. इसका एक ही मात्र उपाय है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों का कोरोना का टेस्ट करवाए. अधिक से अधिक क्वरंटीन सेंटर की व्यवस्था हो और और लोगों के बीच मास्क-सैनेटाइजर का अधिकाधिक वितरण किया जाए.
उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना अब 8 घंटे तक हवा में जिंदा रह रहा है. जो काफी चिंताजनक है. ऐसे हालात में सरकार को पूरी तैयारी करनी होगी. स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय रखना होगा. इसके अलावे सधन स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस वायरस के संबंध में जागरूक करना होगा. गरीबों को लॉकडाउन में राहत पहुंचाने के लिए राहत पैकेज वितरण करना होगा. जिससे की गरीब-मजदूर लोग घर से बाहर नहीं निकलें.
'हालात काफी चिंताजनक'
वहीं, सामाजसेवी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बीते दिनों में पटना समेत बिहार के कई जिले में संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. हालात काफी चिंताजनक हैं. ऐसे में सरकार को पहले से अधिक सक्रिय रहने की जरूरत है. जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है. पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन संक्रमित है. एक बार फिर से क्वरंटाइन सेंटर के अलावे स्वास्थ्य सेवा को अलर्ट पर रखना होगा. उन्होंने बताया कि अगर हम इसबार चुके तो, स्थितियां विकराल होगी.
बिहार में तेजी से फैल रहा संक्रमण
गौरतलब है कि पटना में शुक्रवार से लॉकडाउन लागू हो गया है. यह 16 जुलाई तक प्रभावी रहेगा. इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़ बाजार की सभी दुकानें बंद रहेंगी. बता दें कि प्रदेश में शुक्रवार तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 14 हजार से पार हो गई. जबकि, इस वायरस के कारण 109 लोगों की मौत भी हो चुकी है.